Happy Diwali 2020: सिर्फ दो घंटे रात्रि आठ से दस बजे तक चलाएं पटाखे, जेएसपीसीबी कर रहा मॉनिटरिंग
Happy Diwali 2020 झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी आरएन चौधरी के अनुसार कार्बन मोनोऑक्साइड जहरीली गंधहीन गैस भी पटाखों से निकलती है जो हृदय की मांस पेशियों को नुकसान पहुंचाती है। सल्फर डाइआक्साइड ब्रोकाइटिस जैसी सांस की बीमारी पैदा करती है।
धनबाद, जेएनएन।Happy Diwali 2020 झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीवाली के दिन पटाखे फोड़ने को लेकर समय-सीमा निर्धारित की है। बोर्ड के अनुसार रात्रि आठ से दस बजे तक ही आतिशबाजी की जानी है। रात्रि दस बजे के बाद पटाखा जलाने पर रोक है। इसके लिए बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइन का हवाला दिया है। इसकी मॉनिटरिंग जेएसपीसीबी का क्षेत्रीय कार्यालय करेगा। क्षेत्रीय पदाधिकारी आरएन चौधरी के अनुसार आज और दीवाली के एक सप्ताह तक यानी 22 नवंबर तक वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का स्तर मापा जाएगा। इसके लिए तीन जगह बैंक मोड़, बरटांड़ और हीरापुर में वायु एवं ध्वनि मापक यंत्र लगाया गया है।
- जेएसपीसीबी का निर्देश
- पटाखे फोड़े जाने के स्थल से चार मीटर की दूरी पर ही 125 डेसिबल के पटाखे जलाएं।
- 125 डेसिबल से अधिक शोर वाले पटाखे न जलाएं।
- शांत क्षेत्रों (अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, न्यायालय, धार्मिक संस्थानों से 100 मीटर से कम दूरी वाले क्षेत्र) में पटाखा जलना वर्जित है।
- समूह में ही पटाखा फोड़ें।
- कम आवाज और ग्रीन पटाखा जलाने को प्राथमिकता दें।
- लड़ीवाले पटाखों का प्रयोग न करें।
- 2019 में धनबाद में ध्वनि प्रदूषण का स्तर
स्थान ध्वनि प्रदूषण (डेसिबल)
बरटांड़ - 106.7
हीरापुर - 107.5
बैैंक मोड़- 107.2
- 2018 की दीवाली का स्तर
बरटांड़ : 90.08
हीरापुर : 91.08
सरायढेला : 90.85
बैंक मोड़ : 93.51
पुराना बाजार : 92.96
(नोट - ध्वनि प्रदूषण का आंकड़ा डेसिबल में)
- ध्वनि प्रदूषण का हाल
2017 की दीवाली का स्तर
बरटांड़ : 91.08
हीरापुर : 91.01
सरायढेला : 89.86
बैंक मोड़ : 93.51
पुराना बाजार : 91.96
2016 की दीवाली का स्तर
बरटांड़ : 90.5
हीरापुर : 89.65
सरायढेला : 89.66
बैंक मोड़ : 93.01
पुराना बाजार : 90.65
- इन क्षेत्रों में तीन दिन तक मापा जाएगा प्रदूषण का स्तर
- बैक मोड़ थाना
- हीरापुर
- बरटांड़
- कौन सा पटाखा कितना हानिकारक
- बाजार में बिकने वाले अधिकतर पटाखे की ध्वनि क्षमता 120 डेसिबल या उससे अधिक होती है।
- सुतली बम 110, बुलेट बम 119.4, कोरोनेशन ब्रांड बम 118.2, मोर ब्रांड इलेक्ट्रिक क्रैकर बम 118.4, मुर्गा छाप गोल्डन बम 119 डेसिबल के रहते हैं।
- सुबह 6 से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल और रात 10 से सुबह 6 बजे तक 45 डेसिबल रहना चाहिए।
- इसे ज्यादा ध्वनि या शोर कुछ समय बाद मानव को बेचैन करते हैं।
- 95 डेसिबल की आवाज कान को प्रभावित करती है।
- 110 डेसिबल से अधिक आवाज हो तो कान का पर्दा फटने का डर रहता है।
- पटाखों के धुएं में लगभग 75 फीसद पोटेशियम नाइट्रेट, दस फीसद सल्फर तथा 15 फीसद तक कार्बन की मात्रा होती है।
- पटाखों में कॉपर, बैडमियम लेड, नाइट्रेट, जिंक नाइट्रेट, मैग्निशयम, सोडियम, चारकोल, सल्फर, एल्यूमीनियम परकलोरेट, बेरियम नाइट्रेट तथा काला पाउडर जैसे रसायनों का भी इस्तेमाल होता है।
पटाखों से होता है ये नुकसान
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी आरएन चौधरी के अनुसार कार्बन मोनोऑक्साइड जहरीली, गंधहीन गैस भी पटाखों से निकलती है, जो हृदय की मांस पेशियों को नुकसान पहुंचाती है। सल्फर डाइआक्साइड ब्रोकाइटिस जैसी सांस की बीमारी पैदा करती है। इससे बलगम व गले की बीमारियां पैदा होती हैं। नाइट्रेट कैंसर जैसी बीमारियां, हाइड्रोजन सल्फाइड मस्तिष्क व दिल को नुकसान व बेरियम आक्साइड आंखों व त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। क्रोमियम गैस सांस की नली व त्वचा में परेशानी पैदा करती है तथा जीव जंतुओं को नुकसान करती हैं।