शाम सात बजे के बाद माइनिंग में लड़कियों से नहीं कराया जा सकता काम
आइएसएम के ब्रोशर में माइंस एक्ट 1952 की धारा 46 (1) का हवाला देते हुए बताया गया है किलड़कियों से शाम सात बजे के बाद काम नहीं कराया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: आइआइटी आइएसएम में पहली बार तीन लड़कियों ने बीटेक के चार वर्षीय पाठ्यक्रम में नामांकन लिया था। इन छात्रों का बैच 2017 था। आइएसएम के इतिहास में माइनिंग इंजीनिय¨रग की डिग्री पानेवाली पहली बैच की छात्राएं होंगी। यदि इस बार छात्राएं नामांकन लेती हैं तो आइआइटी आइएसएम के लिए यह दूसरा बैच होगा। जेईई एडवांस के हवाले से उसके ब्रोशर पर माइंस एक्ट 1952 की धारा 46 (1) का हवाला देते हुए बताया गया है कि लड़कियों से शाम सात बजे के बाद काम नहीं कराया जा सकता है। यह बताने का मकसद यह है कि लड़कियां इस क्षेत्र में बैखौफ होकर आगे आएं।
जेईई एडवांस ने अपने 2018 के इंफॉर्मेशन ब्रोशर में यह जानकारी दी है। माइनिंग व माइनिंग मशीनरी इंजीनिय¨रग में आइआइटी आइएसएम के अलावा आइआइटी खड़गपुर तथा आइआइटी बीएचयू में ही नामांकन लिया जाएगा।
माइंस में काम करने का समय: जेईई एडवांस ब्रोशर में स्पष्ट दिया गया है कि सुबह छह बजे से शाम सात बजे तक ही लड़कियां काम करेंगी। वहीं शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक लड़कियों पर माइंस में काम करने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है।
आइएसएम में छात्राओं के लिए 95 सीटें रिजर्व: आइआइटी धनबाद की 912 सीटों के साथ ही लड़कियों के लिए पहली बार आरक्षित 95 सीटों पर नामांकन केंद्रित किया गया है। धनबाद में कुल 1007 सीटें हैं। वहीं देश के 23 आइआइटी में साढ़े 11 हजार से अधिक सीटों के लिए छात्र-छात्राओं के बीच मेधा सूची आने की होड़ मची हुई है। 31 एनआइटी 17 ट्रिपल आइटी, 17 केंद्रीय शिक्षण संस्थान समेत अन्य तकनीकी संस्थानों में एडमिशन का मौका मिलेगा।
माइनिंग में लड़कियों के लिए काफी संभावनाएं: माइनिंग में लड़कियों के लिए काफी संभावनाएं हैं। आइआइटी आइएसएम माइनिंग इंजीनिय¨रग के प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि विदेशों में बड़ी संख्या में महिलाएं माइनिंग सेक्टर में बखूबी काम कर रही हैं। लड़कियों के लिए माइंस एक्ट के तहत समय निर्धारित है। लड़कियों को अंडरग्राउंड में नहीं जाना है। ऐसी संभावना है कि सरकार माइंस एक्ट में समीक्षा कर बदलाव करेगी।