मिला साथ तो महिलाओं ने बदल डाले हालात, फुलो झानो आशीर्वाद अभियान दिखा रहा नई राह
लीला की किस्मत ने उस समय पलटी मारी जब गांव में आनेवाली आईसीआरपी की दीदियों ने उसे राज्य सरकार की योजना फूलो झानों आशीर्वाद योजना के बारे में बताया। यही नहीं इन दीदियों की मदद से वह सरकार से मिलनेवाली 10000 रुपये से अपना सब्जी व्यवसाय शुरू भी कर दिया।
अजय पांडेय, धनबाद। जिले में कई जगह कभी महिलाओं को हडिय़ा-दारू बेचते देखना आम बात थी, लेकिन सामाजिक अपमान की यह तस्वीर अब धुंधलाने लगी है। बदलाव की बयार अब धनबाद के ग्रामीण इलाकों में बहने से हंडिय़ा दारू बेचनेवाली महिलाओं की तकदीर में परिवर्तन दिखने लगा है। बदलाव की यह बयार यूं ही नहीं आई है। इसके लिए इन महिलाओं ने ना केवल हाड़ तोड़ मेहनत की, बल्कि सामाजिक अपमान को मिटाने की भूख भी उनके प्रयासों ने इनमें महती भूमिका निभाई है। महिलाओं ने सरकार के फूलो आशीर्वाद योजना से मिले थोड़े पैसों से अपने लिए सफलता की नई इबारत तो लिखी ही, साथ ही आसपास के इलाकों की उन महिलाओं के लिए नजीर भी पेश किया है जो नशे के कारोबार में लगी हुई थीं। उन्हीं महिलाओं में एक हंै तोपचांची के ब्राह्मणडीहा की 28 वर्षीया लीला देवी। वह आज से दो साल पहले तक स्थानीय हाट में हडिय़ा और देशी दारू बेच कर अपना और अपने परिवार के तीन सदस्यों का पेट पालती थी।
लीला की किस्मत ने उस समय पलटी मारी जब गांव में आनेवाली आईसीआरपी की दीदियों ने उसे राज्य सरकार की योजना फूलो झानों आशीर्वाद योजना के बारे में बताया। यही नहीं इन दीदियों की मदद से वह सरकार से मिलनेवाली 10000 रुपये से अपना सब्जी का व्यवसाय शुरू भी कर दिया। आज वह इस सब्जी दुकान के जरिए प्रतिमाह आठ से दस हजार रुपये कमा रही है। इससे वह अपने परिवार को एक बेहतर ङ्क्षजदगी देने में सफल हो चुकी है। आज उसके दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं तो उसका पति भी अब उसके व्यवसाय में हाथ बंटाता है। वहीं तोपचांची की ही छवि देवी ने इस योजना से मिले पैसे से एक किराना दुकान खोल प्रतिमाह लगभग 12000 रुपये कमा रही है। छवि कहती हैं कि यदि झारखंड राज्य लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के लोगों का साथ नहीं मिला होता तो आज वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती। उन्हीं के सहयोग के कारण उसे इस योजना की जानकारी मिली और उन्हीं लोगों ने रकम दिलाने के साथ दुकान खुलवाने में मदद की। छवि उन चुङ्क्षनदा महिलाओं में शामिल हैं जो अपनी सफलता के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों इस साल नवंबर में रांची में सम्मानित भी हो चुकी हैं।
इस बाबत बात करते हुए जेएसएलपीएस के मीडिया कोआर्डिनेटर राजीव कुमार पांडेय कहते हैं कि अभी धनबाद में 1751 महिलाओं को इस योजना का लाभ दिया जा चुका है। और इनमें से 500 से उपर महिलाओं ने हडिय़ा दारू बेचना छोड़कर सम्मानजनक पेशा अपना लिया है। जिससे ना केवल उनका आर्थिक उन्नयन हुआ है बल्कि समाज में एक सम्मानजनक स्थान भी बना लिया है। आज ग्रामीण इलाकों में उनकी सफलता की कहानी सुनी और सुनाई जा रही है। जो इस योजना को आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे हंै।