मायानगरी के सपने बेच रहे सौदागर
झारखंड में बनने वाली फिल्म के लिए हीरो और हीरोइन चाहिए। इस तारीख पर धनबाद में ऑडिशन होगा। अपना रजिस्ट्रेशन जल्द करा लें। सीटें सीमित हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद: झारखंड में बनने वाली फिल्म के लिए हीरो और हीरोइन चाहिए। इस तारीख पर धनबाद में ऑडिशन होगा। अपना रजिस्ट्रेशन जल्द करा लें। सीटें सीमित हैं। ऐसी लुभावनी घोषणाएं इन दिनों सोशल साइट फेसबुक, वाट्सएप समेत अन्य सोशल साइट पर देखने को मिल जाएंगी। परिणामस्वरूप फिल्म में एक्टिंग करने का सपना देखनेवाले युवा फंस जाते हैं। मायानगरी के सपनों को बेचने का यह गोरखधंधा इन दिनों कोयलांचल में खूब चल रहा है। इस धंधे को कला एवं फिल्म से जुड़े कलाकार अवैध और धन उगाही का एक जरिया मानते हैं।
बीते एक माह के अंदर धनबाद में फिल्म में रोल देने को लेकर आधा दर्जन से अधिक ऑडिशन का आयोजन हुआ। एक्टिंग, डांसिंग, मॉडलिंग आदि शामिल है। यह ऑडिशन धनसार, स्टीलगेट, झरिया, कतरास में आयोजित हुए। अब बरवाअड्डा में होने वाला है। लेकिन इसके पीछे की सच्चाई जाने बिना ही यहां के युवा फंसते जा रहे हैं। प्रत्येक ऑडिशन के लिए प्रति प्रतिभागी 500 रुपये तक वसूल किया जाता है। इनमें पहुंचने वालों की संख्या करीब 200 से 250 के आसपास होती है। ऐसे में आयोजक महज एक दिन में एक से सवा लाख रुपये की कमाई कर निकल जाते हैं। न तो फिल्म बनती है न ही कुछ और होता है।
प्रशासन का ध्यान नहीं: ऐसे ऑडिशन पर प्रशासन की भी नजर नहीं जाती। इसके लिए कभी यह नहीं बताया जाता कि पैसे भी लिए जाएंगे। प्रचार के दौरान कभी पैसों का जिक्र तक नहीं होता। जबकि दूसरी ओर ऑडिशन लेनेवाले अपना पता दिल्ली, मुंबई या बिहार का बताते हैं। इनके पते की भी जांच नहीं होती। साथ ही कंपनी निबंधित है या नहीं, इसको लेकर भी कभी पूछताछ नहीं की जाती। कुल मिलाकर प्रशासन को धोखा देकर ऑडिशन का यह खेल होता है।
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''ऑडिशन के नाम पर कलाकारों का मानसिक एवं आर्थिक शोषण किया जाता है। जो निर्माता या निर्देशक फिल्म बनाते हैं वह किसी खास रोल के लिए आवाज अथवा अभिनय का टेस्ट लेते हैं। पैसे नहीं लेते, बल्कि देते हैं। रंगमंच कलाकारों को कभी ऑडिशन नहीं देना पड़ा।''
- वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा, वरिष्ठ रंगकर्मी
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''फिल्म के निर्माण से जुड़ी जानकारी नहीं होने के कारण युवा ऐसे धंधेबाजों की जाल में फंस रहे हैं। कोयलांचल के युवाओं को बरगलाया जा रहा है। जिन निर्माता-निर्देशकों को फिल्म बनानी होती है, वे सीधे तौर पर कलाकारों को संपर्क करते हैं, वे चाहे जहां कहीं के भी हों। फिल्म के नाम पर धोखाधड़ी हो रही है।''
- राज अली, एक्टर व निर्देशक
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''फिल्म के नाम पर ऑडिशन का यह धंधा केवल अपनी कमाई के लिए हो रहा है। यदि को कंपनी केवल पांच जिलों में ऑडिशन करा दे तो आसानी से पांच लाख रुपये कमा सकती है। इस पैसे का न तो टैक्स देना है और न ही कोई पूछने वाला है। ऑडिशन लेने वाले लोगों की कंपनी निबंधित भी नहीं होती। कलाकारों एवं इच्छुक युवाओं को ऐसे मॉडलिंग, डांस आदि के ऑडिशन से बचना चाहिए।''
- शेखर श्रीवास्तव, संगीत निर्देशक सह फिल्म निर्माता