बीमार और कम इम्यूनिटी वाले बुजुर्गों के लिए खतरा ज्यादा, 4 की गइ जान, 5 दिनों में मिले 120 मरीज 348 ठीक हुए
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में भले ही दूसरी लहर जैसी गंभीर स्थिति का सामना नहीं करना पड़ रहा है लेकिन बुजुर्गों के लिए स्थिति विकट हो रहे हैं। पहले से बीमार और कमजोर यूनिटी वाले बुजुर्गों के लिए मामूली संक्रमण काफी जानलेवा वाला साबित हो रहा है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में भले ही दूसरी लहर जैसी गंभीर स्थिति का सामना नहीं करना पड़ रहा है लेकिन बुजुर्गों के लिए स्थिति विकट हो रहे हैं। पहले से बीमार और कमजोर यूनिटी वाले बुजुर्गों के लिए मामूली संक्रमण काफी जानलेवा वाला साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की कोविड सेंटर की आंकड़े की मानें तो 5 दिनों 22 जनवरी से 26 जनवरी के बीच जिले में 4 बुजुर्गों की मौत हो गई है। पहले से बीमार थे, इसके बाद कोरोनावायरस से संक्रमित हुए, ऊपर से ठंड के प्रकोप भी इसमें अहम भूमिका निभाई। यही वजह है कि तीसरी लहर में 10 लोगों की जान गई है इसमें से 9 की उम्र 60 वर्ष से ऊपर है। बुजुर्गों की जान सबसे ज्यादा गई है।
5 दिनों में 120 संक्रमित मरीज मिले 348 ठीक हुए
जिला महामारी रोग नियंत्रण विभाग के पदाधिकारी डॉक्टर राजकुमार सिंह ने बताया तीसरी लहर ने संक्रमित होने वाले मरीजों में ज्यादातर एसिंप्टोमेटिक मरीज रहे। अर्थात वैसे मरीज जिन्हें मामूली सर्दी खांसी और बुखार हुए। उन्हें किसी भी प्रकार की गंभीर इलाज अथवा ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। हालांकि बुजुर्गों के लिए यह कठिन वक्त है। उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अधिक होने से शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कम होती है। ऊपर से सर्दी का असर और संक्रमण का खतरा जानलेवा बना देता है।
हृदय रोग और स्ट्रोक के मरीज को ज्यादा खतरा
डॉ राजकुमार ने बताया कि कोविड अस्पताल में भर्ती होने वाले वैसे बुजुर्ग अथवा स्ट्रोक की समस्या से जूझ रहे हैं, निगरानी की जरूरत है। ऐसे मरीजों के लिए अलग से डॉक्टर निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। युवा युवकों को संक्रमण ज्यादा प्रभावित नहीं कर रहा है, लेकिन इसका असर बुजुर्गों को हो रहा है। संक्रमित होने के बाद उन्हें काफी दिन अस्पताल में रहना पड़ रहा है। इसलिए जरूरी है बुजुर्गों को संक्रमण से बचाया जाए। घर में बीमार बुजुर्गों के लिए अलग से व्यवस्था होनी चाहिए। उन्हें बाहरी संपर्क और ठंड से भी बचाने की कोशिश होनी चाहिए।
जानें कब कितने मरीज मिले, ठीक हुए
तारीख मरीज मिले स्वस्थ हुए
22 जनवरी 14 52
23 जनवरी 37 58
24 जनवरी 11 81
25 जनवरी 39 97
26 जनवरी 37 60