Parvatpur Coal Block: हिम्मत ए मर्दा मदद ए खुदा... माैत के मुंह से चाैथे दिन बाहर निकले चार मजदूर, तिलाटांड में जश्न-ए-बहारा
Parvatpur Coal Block 26 नवंबर शुक्रवार को आमलाबाद ओपी क्षेत्र में पर्वतपुर कोल ब्लॉक में अवैध खनन के दौरान चाल धंसन के कारण दबे चारों लोग लक्ष्मण रजवार रावण रजवार भरत सिंह तथा अनादी सिंह ने स्वयं रास्ता बनाकर बाहर निकल गए। सभी स्थानीय तिलाटांड़ के निवासी है।
जन्मेंजय, बोकारो। कहा जाता है हिम्मत ए मर्दा मदद ए खुदा। अर्थात जो अपनी मदद करता है उसका भगवान भी मदद करते हैं। यह बात एक बार फिर साबित हुई है। झारखंड के बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड स्थित पर्वलपुर कोल ब्लाक में अवैध खनन के दाैरान चाल धंसने से चार मजदूर फंस गए थे। किसी को उम्मीद नहीं थी कि चारों की जान बचेगी। सबने मान लिया था कि सबकी माैत हो गई। लेकिन चाैथे दिन चारों खदान से बाहर निकल गए। वह भी बगैर किसी मदद के। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। जैसे ही लोगों को चारों के जिंंदा बच निकलने की सूचना मिली तिलाटांड गांव में मजमा लग गया। स्थानीय विधायक और झारखंड प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष अमर बाउरी भी पहुंचे। चारों के बच निकलने की खुशी में गांव में पूजा-पाठ का दाैर चल रहा है। जश्न-ए-बहा आलम है।
चंदनकियारी के विधायक अमर बाउरी।
26 नवंबर की रात से खदान में फंसे थे मजदूर
26 नवंबर, शुक्रवार को आमलाबाद ओपी क्षेत्र में पर्वतपुर कोल ब्लॉक में अवैध खनन के दौरान चाल धंसन के कारण दबे चारों लोग लक्ष्मण रजवार, रावण रजवार, भरत सिंह तथा अनादी सिंह ने स्वयं रास्ता बनाकर बाहर निकल गए। सभी स्थानीय तिलाटांड़ के निवासी है। उनकी सकुशल वापसी के बाद परिवार के लोग व प्रशासन ने राहत की सांस ली है। पूरे गांव मे जश्न का माहौल है। तथा गांव में देवी मां की पूजा की तैयारी चल रही है। बताया जा रहा है कि चारों रात्रि दो बजे के बाद अपने घर पहुंचे हैं। जैसे ही उनके घर पहुंचने की सुचना मिली तो धीरे-धीरे पूरा गांव उन सभी घर इकट्ठा हो गया। बाहर आने की सूचना पर स्थानीय विधायक अमर कुमार बाउरी भी पहुंचे और सभी से मिलकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली । वहीं मेडिकल टीम भी मौके पर मौजूद थी । खदान से बाहर आए लोगों का मेडिकल जांच करने के लिए चारों लोगों को जांच के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन ग्रामीणों ने हंगामा कर नहीं जाने दिया जिसके बाद मेडिकल टीम बैरंग लौट गई।
बीसीसीएल और एनडीआरएम ने भी बचाने का किया था प्रयास
विदित हो कि शुक्रवार को पर्वतपुर कोल ब्लाक के ओपन कास्ट एरिया के अंदर ये हादसा हुआ था। सभी कोयला निकालने के लिए सुरंग के रास्ते अंदर गए थे। अचानक से चाल धंस गया। चाल धंसने की सूचना जमीन पर पड़ी दरार से मिली। हालांकि शुरू में पुलिस इस बात से इंकार करती रही, लेकिन जब फंसे हुए लोगों के स्वजन सामने आए तो प्रशासन भी सक्रिय हुआ। पूरे मामले में खास बात यह रही कि सुरंग की दुरह स्थिति को देखते हुए बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम ने हाथ खड़ा कर दिया था। वहीं एनडीआरएफ की टीम ने पहुंचकर केवल रविवार को मुआयना किया। सोमवार से सुरंग के अंदर प्रवेश करने की बात थी। तब तक चारों ने अपने हिम्मत व बुद्धि का परिचय देते हुए जान बचा लिया।
खदान के पानी के सहारे गुजार दिए तीन दिन
खदान में फंसे मजदूरों ने तीन दिन खदान का पानी पीकर रास्ता तलाशने का काम किया। इन लोगों ने हिम्मत नहीं हारा और लगे रहे, सामने खड़ी मौत को मात देकर बाहर निकल गए। सुरंग में फंसे भरत सिंह ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 9 बजे वे लोग कोयला निकालने के लिए अंदर गए । अचानक से एक बजे चाल धंस गया। तो रास्ता बंद होता देख हमारी हिम्मत टूट गई और शाम तक बैठे रहे। बाहर से किसी की आवाज भी नहीं मिल रही थी। अपने पास जो भी पानी था उसका उपयोग करते हुए रात भर शांत रहे। शनिवार की सुबह रास्ता साफ करने का प्रयास करने लगे। काफी मेहनत के बाद भी सुरंग का रास्ता साफ नहीं हुआ। इसके बाद चारों लोगों ने यह निर्णय लिया कि यहां चाल धंस गया है। सो दूसरे रास्ते की तलाश की जाय। इसके बाद वैकल्पिक रास्ते को साफ करने के लिए सभी लग गए। रविवार का सुबह से हिम्मत जुटाकर एक-एक कर रास्ते को साफ करने लगे। अंतत: रविवार की रात से रास्ता मिलने का आसार नजर आने लगा, तो हिम्मत बढ़ा । और जान बचाने की जीद के कारण भूखे-प्यासे पूरी रात मेहनत के बाद लगभग दो बजे रात में सुरंग के रास्ते पर पहुंचे और तीन बजे बाहर निकलकर घर पहुंच गए।
टार्च की रोशनी में गुजारे चार दिन
सुरंग से निकले अनादी सिंह ने बताया कि जीवन की टूटती डोर के बीच हिम्मत नहीं हारे और आज अपने परिवार के साथ हैं। हादसा होने के बाद हम लोगों ने यह निर्णय लिया कि अपने पास चार टार्च है। उसमें से एक का ही उपयोग करना है। ताकि बैट्री बरकार रहे । जब तक रोशनी है तब तक काम हो सकेगा। इसके लिए एक-एक कर रास्ते को खोजने का काम किया । वहीं रावण रजवार व लक्ष्मण रजवार का कहना है कि रोजगार नहीं मिला रहा है। उनके घर के पास कोल ब्लाक है। चालू रहता तो इस प्रकार जान जोखिम में डालकर काम करने की कोई जरूरत नहीं है। बाहर में काम नहीं है। अंदर अवैध उत्खनन में जीवन का खतरा है। पर परिवार को पालना है तो सबकुछ करना पड़ेगा।
बीसीसीएल के अधीन है पर्वतपुर कोल ब्लाक
पर्वतपुर कोल ब्लाक बीसीसीएल के अधीन है। फिलहाल इसमें खनन कार्य नहीं होता। इसका फायदा अवैध कोयला का धंधा करने वाले उठाते हैं। स्थानीय मजदूरों से अवैध रूप से कोयले का खनन करवाते हैं।