Jharkhand: साहिबगंज में काैतूहल बना दूधकोल का हजारों साल पुराना जीवाश्म, ग्रामीणों के साथ एसडीएम ने की पूजा
दूधकोल के डूमरी पहाड़ी पर हजारों साल पुराना फॉसिल्स मिला है। इसमें पेड़ की टहनियां पत्तियों के चिह्न आदी है। इसके संरक्षण की आवश्यकता है। देश-विदेश के शोधार्थी यहां शोध को आ सकें। इसके संरक्षण और इलाके को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए सरकार को चिट्ठी लिखी जाएगी।
साहिबगंज, जेएनएन। Fossil found in the Dudhkol of Sahebganj तालझारी के दूधकोल गांव स्थित डूमरी पहाड़ पर मिला फॉसिल्स (जीवाश्म) हजारों साल पुराना है। यहां मिले फॉसिल्स में कई पद चिह्न, पत्तियां और टहनी के भी चिह्न पाए गए हैं। यही नहीं स्थानीय आठ साल की बच्ची शर्मिली मरांडी को पहाड़ पर मौजूद शिव पार्वती की मूर्ति मिली है। इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने उस स्थान पर एक सीढ़ीनुमा चबूतरा बनाकर भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति को स्थापित कर पूजा अर्चना शुरू कर दी है।
ग्रामीणों ने मंदिर निर्माण की मांग की
अद्भुत जीवाश्वम मिलने की सूचना के बाद रविवार को राजमहल अनुमंडल पदाधिकारी हरिवंश पंडित, तालझारी बीडीओ साइमन मरांडी, साहिबगंज कॉलेज के भू विज्ञान के प्रोफसर डॉ. रंजीत सिंह व प्रजापति प्रकाश बाबा दूधकोल गांव स्थित डूमरी पहाड़ पहुंचे। जहां इन्होंने मूर्ति की पूजा अर्चना की। बाद में कमेटी के सदस्यों ने मूर्ति के बारे में एसडीओ को विस्तार से जानकारी दी। साथ ही लोगों ने मांग की कि उक्त स्थान पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए। बाद में एसडीओ सहित अधिकारियों ने उक्त स्थल पर पौधरोपण किया।
क्या कहते हैं ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीण का कहना है कि जिस जगह मूर्ति मिली है। हमारे पूर्वज उसे महादेवडाड़ी कहा करते थे। इस स्थान के समीप पहाड़ से निकलने झरने का पानी दूध की तरह है। ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापित कर उक्त स्थान का नाम दूधनाथ धाम रख दिया है। वही पंडित ने बताया कि जिस तरह से महाराजपुर के मोती झरना में बाबा मंदिर, कन्हाई स्थान में इस्कॉन मंदिर को विकसित किया गया है। उसी तरह इस स्थान को भी विकसित किया जाएगा। इसके लिए कमेटी के सदस्यों से बैठक कर प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन को भेजा जाएगा।
डुमरी पहाड़ पर महुआ पेड़ के समीप उसे मूर्ति मिली थी। जिसके बाद उसे वह घर लेकर आई। परिजन सहित गांव वालों को जब दिखाया गया तो पता चला कि ये मूर्ति शिव व पार्वती की है। हमारी मांग है कि जिस स्थान पर मूर्ति मिली है वहां मंदिर का निर्माण हो।
-शर्मिली मरांडी, दूधकोल, तालझारी
दूधकोल के डूमरी पहाड़ी पर हजारों साल पुराना फॉसिल्स मिला है। इसमें पेड़ की टहनियां, पत्तियों के चिह्न आदी है। इसके संरक्षण की आवश्यकता है ताकि देश-विदेश के शोधार्थी यहां शोध को आ सकें। इसके संरक्षण और इलाके को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए मुख्य सचिव को चिट्टïी लिखी जाएगी।
-डॉ. रंजित कुमार सिंह, भू वैज्ञानिक, साहिबगंज
सूचना मिली कि इस स्थान पर पुराने फॉसिल्स मिले हैैं। निरीक्षण के क्रम में मिला कि ये काफी पुराने हैैं। इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। इस ऐतिहासिक फॉसिल्स की सुरक्षा का इंतजाम किया जाएगा।
-हरिवंश पंडित, एसडीओ