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Rajmahal के पूर्व विधायक अरूण मंडल का निधन, झारखंड विधानसभा में दो बार किया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व

Former Rajmahal MLA Arun Mondal Passes Away राजमहल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अरुण मंडल का निधन हो गया है। उन्हें इलाज के लिए कोलकाता ले जाया जा रहा था। रास्ते में ही उनका निधन हो गया। मंडल ने झारखंड विधानसभा में दो बार राजमहल का प्रतिनिधित्व किया।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 07:54 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 07:09 PM (IST)
Rajmahal के पूर्व विधायक अरूण मंडल का निधन, झारखंड विधानसभा में दो बार किया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
भाजपा के पूर्व विधायक अरूण मंडल ( फाइल फोटो)।

उधवा, जेएनएन। झारखंड के राजमहल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अरुण मंडल का निधन हो गया है। अचानक तबीयत बिगड़ने पर स्वजन इलाज के लिए पश्चिम बंगाल के मालदा ले गए जहां से बेहतर इलाज हेतु चिकित्सक ने कोलकाता रेफर कर दिया। रविवार की रात्रि हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही निधन हो गया। वह 65 वर्ष के थे। इसकी जानकारी विधायक के छोटे भाई वरुण मंडल ने दी। निधन की सूचना के बाद समर्थकों और शुभचिंतकों में शोक की लहर दाैड़ गई।

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कोलकाता ले जाने के दाैरान रास्ते में हुआ निधन

राजमहल के पूर्व विधायक अरुण मंडल का निधन रविवार रात्रि में कोलकाता इलाज करने के लिए ले जाते समय हो गया है। तबीयत खराब होने पर शुक्रवार रात को उसे मालदा के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। रविवार को तबीयत बिगड़ी तो उसे बेहतर इलाज करने के लिए एंबुलेंस से कोलकाता ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई है। अरुण मंडल ने अपना राजनीतिक जीवन भारतीय जनता पार्टी से किया था। भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुव भगत ने उन्हें राजनीतिक पहचान दिलाई थी। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कई बार राजनीतिक दलों की सदस्यता ग्रहण की।

2000 में पहली बार बने विधायक

1999 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार किया था लेकिन राजमहल विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण में चांय जाति की बहुलता और राजनीति में चांय जाति की ओर से अनुसूचित जाति में शामिल करने के आंदोलन में उसकी संगठन शक्ति को देखते हुए उन्हें पहली बार अविभाजित बिहार में 2000 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया। भाजपा का दांव सही रहा तथा अरुण मंडल भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजमहल विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने।बाद में झारखंड राज्य बनने पर बाबुलाल मरांडी के सरकार बनाने पर उन्हें भाजपा विधायक दल का सचेतक बनाया गया था। 2005 के चुनाव में भाजपा ने अरुण मंडल को उम्मीदवार नहीं बनाया तथा कमल भगत को प्रत्याशी बनाया। अरुण मंडल ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़कर दुसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा ने 2009 के चुनाव में उन्हें मौका दिया तो चुनाव जीत कर विधायक दल के सचेतक बने। लेकिन 2014 में टीकट नहीं मिलने पर उसे राजद से चुनाव लड़कर हार का मुंह देखना पड़ा था।

बिहार विधानसभा और झारखंड विधानसभा में क्षेत्र का किया प्रतिनिधित्व

मंडल पहली बार भाजपा के टिकट पर साल 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजमहल क्षेत्र से निर्वाचित हुए। इसके बाद बिहार विधानसभा में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। साल 2000 में 15 नवंबर को अलग झारखंड राज्य बन गया। इसके बाद राजमहल क्षेत्र झारखंड विधानसभा में शामिल हो गया। 2005 के चुनाव में मंडल हार गए। इसके बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर दोबारा राजमहल क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मंडल को टिकट काट दिया। इसके बाद उन्होंने राजद में शामिल होकर चुनाव लड़ा। हार का सामना करना पड़ा।  अरुण मंडल मुलत: उधवा प्रखंड के बेगमगंज हाटपाड़ा के निवासी थे लेकिन उन्होंने लक्ष्मी देवी से शादी करने के पश्चात राधानगर में अपने नाना ससुर के घर स्थायी आवास बनाकर रह रहे थे। उन्हें दो पुत्र तथा तीन पुत्रियां हैं। पिता हरिश्चंद्र मंडल एक सीमांत किसान थे।छोटे भाई बरुण मंडल गैर सरकारी स्वामी विवेकानंद उच्च विद्यालय श्रीघर में शिक्षक रह चुके हैं।


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