धनबाद नगर निगम चुनाव में खेला होबे... West Bengal Assembly Election में तैयार हो रही जमीन
धनबाद के पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की रैलियों की तैयारी की जिम्मेदारी दी जा रही है। कांथी में प्रधानमंत्री की रैली को सफल बना चुके हैं। अब कूच बिहार की बारी है। पश्चिम बंगाल के बाद धनबाद नगर निगम का चुनाव होगा।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। धनबाद नगर निगम के पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल की पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ करीबी रिश्ते रहे हैैं। बाबूलाल मरांडी सीएम थे तो वे भी चंद्रशेखर अग्रवाल पर उतना ही एतबार करते थे, जितना रघुवर दास। यह तो है झारखंड की बात। पड़ोसी राज्य बंगाल में विधानसभा चुनाव चल रहे हैैं तो चंद्रशेखर अग्रवाल का संगठन में फिर उपयोग शुरू हो चुका है। नंदीग्राम के नजदीक कांथी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा की तैयारी का जिम्मा उन्हें दिया गया था। मिशन नंदीग्राम कामयाब हो गया तो अब कूच बिहार रवाना होने का उन्हें परवाना मिल चुका है। वहां भी पीएम का सभा होगी। उनके अतिरिक्त झारखंड से पूर्व सांसद रवींद्र राय और राकेश प्रसाद ही ऐसे शख्स है जिन्हें प्रधानमंत्री की सभाओं के लिए केंद्रीय स्तर से जवाबदेही दी जा रही है। संगठन के सिपाही कहीं भी किसी भी जंग के लिए तैयार।
शेखर अग्रवाल से विचार-विमर्श करते पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय
एक रंग में आ गई खाकी
कई जवान विशेष अभियान में भेजे गए हैैं। होली पर्व पर विधि व्यवस्था के लिए जवान कम पड़ गए तो पुलिस कप्तान असीम विक्रांत मिंज ने विशेष फरमान निकाल दिया। खुद अपने कार्यालय में बाबूगिरी कर सभी थानों में रौब झाडऩे वालों को को पुलिस लाइन में योगदान का आदेश निकाल दिया। सिटी एसपी, ग्रामीण एसपी, डीएसपी एवं अंचल पुलिस निरीक्षक के कार्यालयों के जवानों को भी पुलिस लाइन का परवाना थमा दिया गया। पुलिस कप्तान को पता है कि इन जगहों पर बैठे लोग इतने घाघ है कि उन्हें हिलाना आसान नहीं है। चेतावनी दे डाली कि आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो सेवा पुस्तिका बिगड़ जाएगी। पुलिस महकमे के तोप से बंदूक तक पुलिस लाइन में एक पंक्ति में आ गए। होली पर सबके समान रंग। शांतिपूर्वक होली गुजर गई तभी पुरानी कुर्सी मिलेगी। खस्सी-दारु में डूबे तो पूरा रंग उतर जाएगा।
मोहब्बत और जंग में सब जायज
धनबाद बार एसोसिएशन के चुनाव ने अहसास करा दिया कि इसका तख्त-ओ-ताज भी इंद्र के सिंहासन से कम नहीं है। राधेश्याम गोस्वामी भूतपूर्व हो गए। अमरेंद्र राज गया। ध्यान दिला दें कि इंद्र का पर्यायवाची शब्द अमरेंद्र भी है। वकीलों के चुनाव ने राजनीतिक दलों के नेताओं को कई सियासी सीख दे डाली। सकारात्मक तो नकारात्मक भी। होर्डिंग्स लगाने की होड़ शुरू हुई तो इसमें भी अमरेंद्र उर्फ मुन्ना बाबू बाजी मार गए। खाने-पीने का ऐसा दौर चला कि वकीलों को कई महीनों तक स्वाद याद रहेगा। सदैव जय गुरुदेव का जाप करनेवाले राधेश्याम गोस्वामी को पदच्युत करने के लिए सारे विरोधी अमरेंद्र सहाय के साथ खड़े हो गए। कंसारी मंडल, समर श्रीवास्तव, अयोध्या प्रसाद उर्फ मुनमुन बाबू, कामदेव शर्मा, मनोज सिंह, मनोज सिन्हा, सोमनाथ चौधरी जैसे कई नाम हैैं। परदे के पीछे बहुत कुछ है। सचमुच मोहब्बत एवं जंग में सब जायज है।
धान देने को अड़ गए किसान
हेमंत सरकार ने सार्वजनिक तौर पर वायदा किया कि हर किसान का धान खरीदा जाएगा। साढ़े 20 रुपये किलो। धान खरीदने की आखिरी तारीख 31 मार्च मुकर्रर कर दी गई। व्यवस्था बनाई गई है कि किसान का धान खरीदकर पैक्स के गोदाम में रखा जाएगा। वहां से चावल मिलों में धान जाएगा। सरकारी कीमत मुफीद लगी तो खलिहान से धान उठा कर किसानों का कारवां निकल पड़ा था। बलियापुर प्रखंड के रघुनाथपुर पैक्स का गोदाम धान से इतना भर गया कि रखने की जगह शेष नहीं रही। बाघमारा, धड़बड़, वीरसिंहपुर, सुवरिया, परसबनिया समेत कई गांवों के किसान धान की बोरियां लेकर पैक्स आए तो गोदाम में जगह नहीं होने के कारण खरीददारी नहीं हुई। किसान भी अड़ गए। धान रख रतजग्गा शुरू कर दिया। किसानों के तेवर से परेशान पैक्स प्रबंधक सुबलचंद्र महतो हाकिमों से अनुरोध कर रहे हैैं, हुजूर कोई रास्ता निकाल दीजिए।