SNMMCH धनबाद में एक्सपायरी यंत्र के भरोजे मरीजों की जान, आग लगी तो होगी बड़ी मुश्किल
अस्पताल में फायर एंड सेप्टी एप्पलीएंस दिल्ली व राजपति इंटरप्राइजेज कोलकाता द्वारा 6 फरवरी 2018 को 40 लाख रुपये खर्च कर अग्निशमन यंत्र लगाए गए थे। यंत्र लगने के बाद जब इसकी विभागीय जांच की गई तो यंत्र में जो केमिकल डाले गए थे वह घटिया और स्तरहीन पाए गए।
जागरण संवाददाता, धनबाद। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कालेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) में लगे अग्निशमन यंत्र आठ माह पहले ही एक्सपायर हो गए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने अबतक इन यंत्रों को नहीं बदला गया है। ऐसे में अगर अस्पताल में अगलगी की कोई घटना होती है तो बड़े हादसे को टाला नहीं जा सकता है। यह लापरवाही तब है जब बीते दिनों हाई कोर्ट ने सभी अस्पतालों को अग्निशमन यंत्र का पुख्ता इंतजाम रखने को कहा था।
जांच में केमिकल निकला था स्तरहीन
अस्पताल में फायर एंड सेप्टी एप्पलीएंस दिल्ली व राजपति इंटरप्राइजेज कोलकाता द्वारा 6 फरवरी 2018 को 40 लाख रुपये खर्च कर अग्निशमन यंत्र लगाए गए थे। यंत्र लगने के बाद जब इसकी विभागीय जांच की गई तो यंत्र में जो केमिकल डाले गए थे, वह घटिया और स्तरहीन पाए गए। यह आग बुझाने में सक्षम नहीं थे। प्रबंधन की फटकार के बाद एक बार फिर संबंधित एजेंसी ने 26 नवंबर 2019 को केमिकल की फीङ्क्षलग की थी, जिसे एक्सपायर हुए भी आठ माह बीत गए हैं।
एमसीआई के निर्देश पर एक रात में लगाए गए थे यंत्र
वर्ष 2018 में रांची रिम्स में आगजनी की घटना हुई थी। कोर्ट के निर्देश पर रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर और एसएनएमएमसीएच धनबाद में अग्निशमन यंत्र की जांच की गई थी। एसएनएमएमसीएच में अग्निशमन यंत्र नहीं होने के कारण कोर्ट नाराज हुआ था। इसके बाद एमसीआई की गाइडलाइन के बाद आनन-फानन में अस्पताल परिसर में एक ही रात में ही डेढ़ सौ अग्निशमन यंत्र लगा दिए गए थे।
अस्पताल में 350 मरीज हैं इलाजरत
अस्पताल के विभिन्न वार्ड में अभी 350 मरीज भर्ती हैं। इसमें इमरजेंसी में 45 मरीज, आईसीयू व एचडी में 17 मरीज के अलावा मेडिसिन, सर्जरी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, हड्डी रोग विभाग में भी काफी संख्या में मरीज भर्ती हैं। वर्ष 2017 में अस्पताल के शिशु रोग विभाग में शार्ट सर्किट से आग लग गई थी। उस वक्त काफी मशक्कत के बाद इस पर काबू पाया गया था।
खाली यंत्री को फिर से रिफङ्क्षलग कराया जाएगा। इसकी कोशिश प्रबंधन कर रहा है। एजेंसी को भी निर्देश दिए जा रहे हैं।
-डा. एके चौधरी, अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच।