Jharkhand: निजी स्कूलों में माफ पर सरकारी में देना होगा रजिस्ट्रेशन फीस, संस्थानों में काउंसिलिंग के लिए भी मांगा जा रहा पैसा
राज्य सरकार ने निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस छोड़कर अन्य सभी प्रकार के शुल्क पर तो रोक लगा दी लेकिन सरकारी स्कूलों में विभिन्न मद में शुल्क वसूले जा रहे हैं। इसमें गरीब विद्यार्थियों को कोई राहत नहीं दी गई है।
धनबाद, जेएनएन। राज्य सरकार ने निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस छोड़कर अन्य सभी प्रकार के शुल्क पर तो रोक लगा दी, लेकिन सरकारी स्कूलों में विभिन्न मद में शुल्क वसूले जा रहे हैं। इसमें गरीब विद्यार्थियों को कोई राहत नहीं दी गई है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल रजिस्ट्रेशन से लेकर झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा विभिन्न संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित होनेवाली परीक्षा तथा काउंसलिंग के लिए शुल्क लिए जा रहे हैं। भले ही शुल्क के रूप में ली जानेवाली राशि कम है, लेकिन कोरोना काल में बेरोजगार हो चुके अभिभावकों के लिए यह राशि भी बहुत बड़ी लग रही है।
झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद ने राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए जेईई मेंस से मेरिट लिस्ट तैयार करने के लिए मांगे गए ऑनलाइन आवेदन के साथ 500 रुपये (एससी, एसटी तथा महिला अभ्यर्थी के लिए 250 रुपये) शुल्क मांगे हैं। वहीं, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) में दाखिले के लिए होनेवाली काउंसिलिंग के लिए 400 (एससी, एसटी तथा महिला अभ्यर्थी के लिए 250 रुपये) रुपये शुल्क के रूप में लिए जा रहे हैं। इसी तरह, अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी शुल्क लिए जा रहे हैं।
आइटीआइ में दाखिले के लिए आवेदन देने वाले छात्र रजनी प्रकाश कहते हैं, राज्य सरकार चाहे तो यह शुल्क माफ कर सकती है। कोरोना काल में गरीब विद्यार्थियों के लिए यह राशि भी बड़ी होती है, क्योंकि उन्हें कई परीक्षाओं के लिए आवेदन के साथ शुल्क जमा करने पड़ते हैं। इधर, झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने नौंवी एवं ग्यारहवीं कक्षा में पंजीयन के लिए आवेदन शुल्क तथा पंजीयन शुल्क दोनों अलग-अलग तय किए हैं।
11वीं में पंजीयन के लिए 200 रुपये तथा पंजीयन आवेदन प्रपत्र के लिए 90 रुपये मांगे गए हैं। इसी तरह, नौवीं में पंजीयन एवं प्रपत्र के लिए क्रमश: 90 व 80 रुपये मांगे गए हैं। हालांकि पूर्व के वर्षों की तरह इस वर्ष भी छात्राओं को शुल्क से मुक्त रखा गया है। हालांकि नौवीं में पंजीकरण के लिए स्वतंत्र छात्र व छात्राओं के लिए पंजीयन शुल्क 400 रुपये तथा अनुमति शुल्क 500 रुपये निर्धारित किए गए हैं।
निजी स्कूलों में संपन्न लोगों के बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में तो गरीब के बच्चे पढ़ते हैं। इनका शुल्क माफ होना ही चाहिए। -अभिषेक सिंह अभिभावक, धैया।
कोरोना काल में संपन्न लोगों के बच्चों का फीस माफ कर दिया गया और गरीब के बच्चे से पैसे वसूला जा रहा है। भले ही शुल्क की राशि कम है, लेकिन रोज कमाने-खाने वाले अभिभावकों के लिए यह राशि भी बहुत बड़ी है। राज्य सरकार को इसे माफ करना चाहिए। -रमेश महतो, हॉउसिंग कॉलोनी।
नामांकन शुल्क नहीं हो सका माफ : सरकारी स्कूलों में कक्षा नौवीं व 11वीं में नामांकन में भी बच्चों को तीन सौ से पांच सौ रुपये शुल्क के रूप में देने पड़े। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो ने यह शुल्क माफ करने की भी घोषणा की थी। इस बाबत उन्होंने विभागीय पदाधिकारियों को निर्देश भी दिए, लेकिन शुल्क माफ नहीं हो सका।
जैक व जेसीईसीईबी के पास फंड की कमी नहीं : राज्य सरकार चाहे तो शुल्क माफ करा सकती है। इससे राज्य सरकार पर कोई बोझ भी नहीं पड़ेगा, क्योंकि झारखंड एकेडमिक काउंसिल तथा झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद के पास फंड की कोई कमी नहीं है। इनके करोड़ों रुपये बैंकों में पड़े होते हैं। दूसरी तरफ, शुल्क माफ करने से गरीब अभिभावकों व विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिल सकती है।