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1990 से छात्र-छात्राओं के भविष्य का रखा जा रहा ख्याल

1990 से छात्र-छात्राओं के भविष्य का

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 01:12 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 01:12 AM (IST)
1990 से छात्र-छात्राओं के भविष्य का रखा जा रहा ख्याल
1990 से छात्र-छात्राओं के भविष्य का रखा जा रहा ख्याल

1990 से छात्र-छात्राओं के भविष्य का रखा जा रहा ख्याल

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झरिया : शिक्षा पर हर किसी का अधिकार है। पढ़ाई से ही लोग अपनी अलग पहचान बनाते हैं। इस महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। हर किसी का पढ़ाना आसान नहीं है। इस महंगाई से किसी बच्चे का भविष्य अंधकार में ना चला जाए इसका ध्यान झरिया स्थित राजा तालाब के समीप बने लगभग 45 दुकानों के संचालक रख रहे हैं। बच्चों के भविष्य को देखते हुए यहां के दुकानदार अपनी दुकानों में पुरानी व नई किताब बेचा करते हैं। इन दुकानों से बच्चे कम मूल्य पर किताब खरीद कर अपनी पढ़ाई पूरी कर लेते हैं। यह सिलसिला 1990 से चला आ रहा है। किसी भी प्रकार की किताब हो यहां आसानी से मिल जाती है। वहीं एक स्थान पर सभी प्रकार की किताब मिल जाने की वजह से यहां की दुकानों में छात्र-छात्राओं का हुजूम हमेशा लगा रहता है। यहां के दुकानदारों की मानें तो किताब सभी प्रकार के मिल जाते हैं। सिलेबस नहीं बदलने से पुरानी किताब की बिक्री अधिक होती है। क्यूंकि पुरानी किताब की कीमत नये किताब की कीमत से काफी कम होती है। इसी वजह से लोग यहां किताबों की खरीदारी करने के लिए झरिया सहित आसपास के इलाकों से भी बच्चे आते हैं।

वीरू शर्मा ने खोली थी पहली किताब दुकान :

वीरू शर्मा के परिवार के संजय शर्मा ने बताया कि वर्ष 1990 में यहां सबसे पहली किताब दुकान खोली गई थी। उसी वर्ष वहां लगभग चार दुकानें और भी खुली थी। इससे पहले पूर्वज यहां मिट्टी के बर्तन की दुकान खोल कर बर्तन बेचा करते थे। लोगों की रुचि किताब पढ़ने में लगी। इसके बाद यहां धीरे-धीरे यहां लगभग 45 किताब की दुकानें खुल गई। समय के साथ-साथ सभी का कारोबार तेजी से चलने लगा। इसके बाद लोगों ने अपना कारोबार ही बदल दिया।

हर प्रकार की मिलती है किताब :

झरिया के राजा तालाब के समीप खुली किताब दुकान में हर प्रकार के किताब मिलते हैं। बाजार की दुकानों में बिकने वाली किताब के मूल्य से इन दुकानों में बिकने वाली किताब का मूल्य कम होता है। इस वजह से लोग किताब की खरीदारी करने ज्यादातर यहीं आते हैं। वहीं कंपिटीशन की किताब भी यहां आसानी से मिल जाती है। यहां के दुकानदारों की मानें तो यहां पर हर वर्ष किताबों को जमा करने में काफी मेहनत लगता है। बच्चों के भविष्य व अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए मेहनत करना पड़ता है।

पहले चंद दुकान होती थी। पर अब यहां किताब की दुकान की संख्या दिनों दिन बढ़ती चली गई है। कोडरमा, रानीगंज, जामताड़ा, आसनसोल, बगोदर सहित आसपास के लोग यहां किताब खरीदने आते है।

संजय शर्मा, किताब कारोबारी, झरिया ।

बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए हर प्रकार की किताब कम दाम में मिल जाती है। इसी वजह से यहां लोग किताब की खरीदारी करने के लिए आया करते हैं।

छोटू साव, किताब कारोबारी, झरिया ।

राजा तालाब से कई बार किताब कम दाम में खरीद कर अपनी पढ़ाई पूरी की है। बड़ी दुकानों में जो किताब मिलती है उससे कम दाम में यहां मिल जाती है।

मानिक मल्लिक, छात्र झरिया ।

एक समय मैं भी यहां से हर साल किताब खरीदता था। जो कहीं नहीं मिलती थी वह किताब यहां मिल जाती थी। हर वर्ष किताब खरीदने के लिए यहां आया करता था।

सौरव अग्रवाल, झरिया।


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