Weekly News Roundup Dhanbad: गैरों पे करम, अपनों पे सितम... कर्मचारियों के लिए अबूझ रेलवे की कार्यशैली
वो रविवार का दिन था। रेल अधिकारी संडे मना रहे थे। एकाएक मोबाइल की घंटी बजने लगी। खबर मिलने भर की देर थी कि रेलवे में अफरा-तफरी का माहौल शुरू हुआ। आरपीएफ की पूरी फौज हांफते-हांफते ओल्ड स्टेशन रेलवे कॉलोनी पहुंची।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। गैरों पे करम, अपनों पे सितम, ऐ जान-ए-वफा ये जुल्म न कर..। 1968 में आई फिल्म आंखें का ये गाना इन दिनों रेलवे कर्मचारी मन ही मन गुनगुना रहे हैं। वजह भी जायज है। रेल क्वार्टर किराए पर देने वाले कर्मचारियों पर रेलवे ने अपनी आंखें तरेर ली है। 139 कर्मचारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है। पर रेलवे की जमीन पर मुफ्त कारोबार करने और जुगाड़ की बिजली जलाने वालों पर नजर-ए-इनायत हैं। अब धनबाद स्टेशन से सटे न्यू स्टेशन कॉलोनी की फुटपाथ दुकानों को ही देख लीजिए। यहां सुबह से रात तक दुकानें सजती हैं। रोशनी से सराबोर बाजार का पूरा बंदोबस्त मुफ्त है। यह बात और है कि सोलर पैनल से हर महीने बिजली खर्च में तकरीबन सवा लाख की बचत हो रही है। पर इसका मतलब तो ऐसा कतई नहीं कि मुफ्त में बिजली बांटी जाए।
और पुराने घर में लौट आए नेताजी
कहते हैं सुबह का भुला अगर शाम में घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। कुछ ऐसा ही हुआ ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के नेताजी के साथ। 2013 में जब रेल यूनियन का चुनाव हुआ था। उस वक्त यूनियन से बगावत कर सतराजीत सिंह ने दूसरे यूनियन का हाथ थाम लिया था। तब यूनियन में उनकी गहरी पैठ थी। लगा था जैसे यूनियन बिखर जाएगी। पर परिणाम चौंकाने वाला आया और यूनियन ने परचम लहरा दिया और जोन की मान्यताप्राप्त यूनियन बनकर काबिज हो गई। चुनाव के बाद भी दिल नहीं मिले और लगातार दूरी बनी रही। अब इतने वर्षों बाद जब धनबाद में यूनियन की मंडल परिषद की बैठक हुई तो एकाएक सतराजीत ङ्क्षसह ने वहां दस्तक दे दी। उनका गर्मजोशी से स्वागत भी हुआ। रिटायर हो चुके हैं। सो पद नहीं मिलेगा। चुनाव आनेवाला है। देखिए क्या होता है।
यात्रीगण कृपया ध्यान दें...
यात्रीगण कृपया ध्यान दें...। आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपका बैंक अकाउंट खाली कर सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि रेलवे के रिफंड की जानकारी जरूर ले लें। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि रेलवे ने कोरोना काल में बुक टिकटों के लिए रिफंड की मोहलत छह महीने से बढ़ा कर नौ महीने कर दी है। इससे यात्री खुश तो हैं ही पर साइबर ठगों की बांछे भी खिल गई हैं। उन्हें ठगी का नया रास्ता मिल गया है। रिफंड के पैसे लौटाने के नाम पर कॉल कर आपका बैंक डिटेल्स, पैन और एटीएम नंबर और यहां तक कि ओटीपी भी मां सकते हैं। रेलवे या आइआरसीटीसी का प्रतिनिधि बनकर कॉल कर सकते हैं। अब आप पर यह निर्भर है कि आप उससे कैसे निबटें। रिफंड के पैसे लेने के चक्कर में अगर उसे सबकुछ बता दिया तो आपका अकाउंट खाली होने की गारंटी है। आगे आपकी मर्जी।
अरे बाप रे, रेल क्वार्टर में बम
वो रविवार का दिन था। रेल अधिकारी संडे मना रहे थे। एकाएक मोबाइल की घंटी बजने लगी। खबर मिलने भर की देर थी कि रेलवे में अफरा-तफरी का माहौल शुरू हुआ। आरपीएफ की पूरी फौज हांफते-हांफते ओल्ड स्टेशन रेलवे कॉलोनी पहुंची। पता चला सील किए गए रेलवे क्वार्टर 133 एच में बम का कार्टन रखा है। पुलिस भी पहुंच गई। पता चला कि किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए अपराधियों ने बंद रेल आवास को बम छिपाने का अड्डा बना रखा है। घंटों मशक्कत के बाद रांची से आई बम डिस्पोजल की टीम ने कार्टन में रखे बमों को निष्क्रिय किया। जरा सोचिए, घनी आबादी के बीच बम विस्फोट हो जाता तो क्या होता। चलो फिलहाल बला टल गई। पर रेलवे की ड्यूटी भी बढ़ गई है। अब समय-समय पर सील रेल आवासों की भी निगेहबानी करनी होगी।