यहां हल्की ठोकर से टूट जाती लोगों की हड्डियां
धनबाद दासी देवी और हिमांशु चक्रवर्ती छोटी सी लकड़ी के सहारे झुककर चलते हैं तो महज 18 साल के मनोजीत का दांत पूरी तरह से खराब हो चुका है।
धनबाद : दासी देवी और हिमांशु चक्रवर्ती छोटी सी लकड़ी के सहारे झुककर चलते हैं तो महज 18 साल के मनोजीत का दांत पूरी तरह से खराब हो चुका है। आदित्य सरखल की आंखें अंदर की ओर धंस चुकी हैं। धनबाद मुख्यालय से लगभग 28 किमी दूर सिंदरी विधानसभा का एक पंचायत और झारखंड का आखिरी गांव है घड़बड़। इस गांव से लगती दामोदर नदी से पश्चिम बंगाल की सीमा शुरू हो जाती है। यहां कम उम्र के युवा भी अधेड़ दिखते हैं। पानी में अत्यधिक फ्लोराइड व आर्सेनिक की मात्रा होने के कारण आसपास के 26 गांव के लोग इतने कमजोर हो चुके हैं कि जरा सी ठोकर लग जाने पर हड्डियां तक टूट जा रही हैं। यह सब बुजुर्गो के साथ ही नहीं बल्कि बच्चों और युवाओं के साथ भी हो रहा है। धरती से निकलने वाले इस जहर का असर 26 गांवों में है। आबादी लगभग पांच हजार होगी। यहां के हालात काफी खराब हो चुके हैं। 1954 में डीवीसी से विस्थापित यहां आकर बसे। तब से लेकर आज तक 65 साल बीत गए, लेकिन इस गांव की सुध नहीं ली गई। फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी रह चुके आदित्य सरखल जहरीला पानी पीकर दिल के रोगी बन चुके हैं, हड्डियां भी जवाब दे चुकी हैं। आदित्य बताते हैं कि 65 सालों में 14 विधायक सिंदरी विधानसभा से चुनकर निकले, लेकिन इस ओर झांकने तक कोई नहीं आया। इक्का दुक्का आए भी तो सिर्फ यही आश्वासन मिला कि जल्द ही समस्या का समाधान होगा। हालात जस के तस हैं। पिछले साल सालों से यहां के लोग बीस रुपये जार की दर से पानी खरीदकर पी रहे हैं।
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हर घर में किसी न किसी सदस्य का हाथ-पैर टेढ़ा
घड़बड़ गाव में 30 से 40 की उम्र में ही युवा वृद्ध दिखने लगते हैं। यहां के लोगों की पैर व रीढ़ की हड्डियां 40 साल के बाद सीधी नहीं रहती। इस गाव में शायद ही कोई ऐसा घर बचा होगा, जिसमें हड्डी से संबंधित रोग के मरीज नहीं होंगे। हाथ-पैर टेढ़ा और कमर से झुक चुके इंसान हर घर में देखने को मिल जाएंगे। बच्चों से लेकर युवाओं तक के दांत पीले होकर खराब हो रहे हैं। आंखें अंदर की ओर धंस रही हैं। घडबड़ पंचायत का ब्राम्हण टोला हो या फिर धीवर-बाउरी टोला सभी गाव में अच्छे घर, अच्छी सड़क, बिजली, डिश टीवी और इंटरनेट आदि की सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन धरती के नीचे से फ्लोराइड के रूप में निकलने वाले जहर की बूंद से पूरा गाव बीमारी से ग्रस्त हो चुका है। हिमांशु चक्रवर्ती और ईशान मुखर्जी ने कहा कि वोट की बात मत कीजिए, पहले साफ पानी दीजिए।
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हैंडपंप में रेड निशान यानी न पीएं पानी
घड़बड़ और इसके आसपास के गावों के हैंडपंप में लाल निशान से घेरा कर दिया है। यह पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से किया गया है, ताकि लोग इन हैंडपंप का पानी न पीएं। यहां के निवासी आदित्य सरखल बताते हैं कि विभाग ने लाल घेरा तो बना दिया, लेकिन अब हैंडपंप से पानी न पीएं तो कहां से लाएं। एक-दो कुआं है तो इसका पानी इतना खारा है कि स्नान भी नहीं किया जा सकता, पीना तो दूर की बात है। मजबूरी में पानी खरीदना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों ने यहां के लिए कुछ भी नहीं किया। मौजूदा भाजपा विधायक भी आए और आश्वासन देकर चलते बने।
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बलियापुर स्वास्थ्य केंद्र में इन रोगों की जाच और उसके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। बीडीओ, एसडीओ, विधायक, सभी को लिखकर दिया लेकिन सभी से सिर्फ आश्वासन ही मिला। तीन माह पहले यहां वाटर कनेक्शन देने की बात कही गई थी कि कुसबेड़िया गांव से नल के जरिए पानी यहां पहुंचाया जाएगा, लेकिन यह भी नहीं हुआ। समस्या है लेकिन उसका समाधान नहीं। जनप्रतिनिधियों ने भी कोई पहल नहीं की। जो हमारी समस्या दूर करेगा उन्हें ही वोट करेंगे।
- बीएन मुखर्जी, सेवानिवृत्ति कर्मी घड़बड़
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फ्लोराइड को दूर करने का एकमात्र विकल्प दूसरे जगह से स्वच्छ पानी की आपूर्ति है। पानी गर्म करने से भी फ्लोराइड दूर नहीं होता। प्लोराइड की अधिकता से हड्डियां कमजोर होती हैं। शरीर का विकास रुक जाता है, हड्डियों में लचीलापन आ जाता है जिससे यह टूटने लगती हैं। शरीर भी कमजोर हो जाता है। दांत खराब हो जाता है।
- सर्वजीत सिंह, चिकित्सा प्रभारी बलियापुर स्वास्थ्य केंद्र
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ग्रामीण जलापूर्ति योजना से बलियापुर के गांवों में पानी पहुंचाने की योजना चल रही है। इस पर 21 करोड़ रुपये खर्च होंगे, यह कार्य दिसंबर से पहले हो जाएगा। रही बात घड़बड़ पंचायत की तो यहां कुछ टोला ही फ्लोराइडयुक्त पानी से प्रभावित है। यहां पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी।
- आरपी शर्मा, अधीक्षण अभियंता पेयजल विभाग