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Earthquake Monitoring System: इजरायल की मदद से IIT (ISM) में चल रहा प्रोजेक्ट, भूकंप से पूर्व की जा सकेंगी भविष्यवाणी

आईआईटी धनबाद के अप्लाइड जियोफिजिक्स विभाग के प्रोफेसर पीके खान इस परियोजना की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। आईएसएम कैंपस में स्टेशन बनाने का काम लगभग पूरा होने की स्थिति में है। आईआईटी पटना गुवाहाटी सहित पूर्वी भारत के कुछ और शहरों में भी स्टेशन लगाए जाएंगे।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 11:51 AM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 11:51 AM (IST)
Earthquake Monitoring System: इजरायल की मदद से IIT (ISM) में चल रहा प्रोजेक्ट, भूकंप से पूर्व की जा सकेंगी भविष्यवाणी
भूकंप सचना प्रणाली पर आइएसएम में हो रहा शोध ( प्रतीकात्मक फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। अब भूकंप से पूर्व उस की भविष्यवाणियां की जा सकेगी। इस दिशा में आईआईटी आईएसएम ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आईआईटी के इस परियोजना में इजराइल के तेलअवीव विश्वविद्यालय भी सहयोग कर रहा है। इस परियोजना का शुरुआती चरण विकसित कर लिया गया है। जिसके बाद अब पूर्वी भारत में भूकंप की निगरानी धनबाद से भी की जा सकेगी। आईआईटी आईएसएम सहित पूर्वी भारत में इसके लिए कई स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं, जो भूकंप से संबंधित अध्ययन में कारगर होंगे। ट्रायल बेसिस पर भूकंप निगरानी प्रणाली (अर्ली वार्निंग सिस्टम) शुरू हो रही है।

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आईआईटी धनबाद के अप्लाइड जियोफिजिक्स विभाग के प्रोफेसर पीके खान इस परियोजना की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। आईएसएम कैंपस में स्टेशन बनाने का काम लगभग पूरा होने की स्थिति में है। आईआईटी पटना, गुवाहाटी सहित पूर्वी भारत के कुछ और शहरों में भी स्टेशन लगाए जाएंगे। स्टेशन स्थापित करने के लिए उपकरण धनबाद आ चुके हैं। प्रोफेसर पीके खान ने बताया कि अभी उपकरण लगाया जा रहा है। इसके शुरू होने में करीब दो माह का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि बिहार, असम सहित अन्य पूर्वी क्षेत्र में भी उपकरण लगाए जाना है। उन्होंने बताया कि इस पूरी परियोजना में भारत सरकार का वित्तीय सहयोग मिला है। बताते चलें कि आईआईटी आईएसएम में भूकंप से संबंधित जानकारी के लिए पूर्व से ऑब्जर्वेटरी सेंटर है।

खान की माने तो कि नए स्थापित स्टेशन से पूर्वी भारत के कई इलाकों से भूकंप संबंधित ज्यादा डाटा मिलेगा। इससे भूकंप को लेकर ज्यादा अध्ययन सामग्री उपलब्ध होगी। वैसे भी पूर्वी भारत भूकंप को लेकर संवेदनशील क्षेत्र रहा है। मौजूदा पहल इस कमी को पूरा करने में सहायक होगा।


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