कोरोना काल में बढ़ी रेडिमेड अर्थी की डिमांड; बड़ी संख्या में अर्थी का समान लेने पहुंच रहे लोग Dhanbad News
बीते 20 दिनों से जो तस्वीर जिले में देखने को मिल रही है। वह लोगों को हैरान व परेशान करने वाली है। कोरोन संक्रमण की रफ्तार ने लोगों को बेबस कर दिया है। किसी का कोई सगा तो किसी का रिश्तेदार कोरोना की भेंट चढ़ जा रहा है।
धनबाद, जेएनएन: बीते 20 दिनों से जो तस्वीर जिले में देखने को मिल रही है। वह लोगों को हैरान व परेशान करने वाली है। कोरोन संक्रमण की रफ्तार ने लोगों को बेबस कर दिया है। हालात अच्छे नहीं हैं। हर दिन किसी न किसी का कोई सगा तो किसी का रिश्तेदार कोरोना की भेंट चढ़ जा रहा है।
यदाकदा माह में एक या दो अर्थी बेचने वाली दुकानों में आज लोगों की कतारें लग रही है। कोरोना महामारी के बीच वंशकारों की बिक्री अचानक बढ़ गई है। हर दिन काफी संख्या में लोग बांस से बनी अर्थी लेने हीरापुर हटिया रोड पहुंच रहे है। वहीं अर्थी तैयार करने वाले दुकानदार की माने तो पीढ़ियों से वे लोग बांस का काम करते आ रहे हैं। यदाकदा माह में एक या दो व्यक्ति हमारे पास अर्थी के लिए बांस लेने आते थे।
लेकिन बीते करीब 20 दिनों से आलम यह है कि हर दिन 10 से 15 लोग बांस से बनी अर्थी लेने पहुंच रहे हैं। यह दृश्य देखकर आंखो से दर्द छलक पड़ता है। रोज लोग सुबह से लेकर शाम तक अंतिम यात्रा के लिए बांस से तैयार की गई अर्थी लेने आ रहे हैं। अर्थी तैयार कर रहे पप्पु प्रसाद ने अभी दो अर्थी तैयार कर ली है अब तीसरी अर्थी को बना रहे हैं जब हमने पप्पु प्रसाद से पूछा कि दो अर्थी किसके लिए है तो उन्होंने कहा यह ऑडर का है। तो फिर हमने पूछ दिया ये जो तीसरी अर्थी तैयार कर रहे हैं यह भी ऑडर का होगा तो पप्पु ने बताया कि नहीं यह ऑडर का नहीं है।
कोई न कोई लेने आएगा हीं इसे हम तैयार कर रख दे रहे हैं। दुकानदार पप्पु ने बताया कि बांस काटने, छिलने और तैयार करने में काफी समय लगता है इसलिए हम रेडिमेड अर्थी तैयार कर रख ले रहे हैं। कोई न कोई आएगा ही। रोज रात दस बज जा रहा है घर जाने में 10-15 अर्थी रोज खपत हो जा रहा है। पेशा है करना पड़ता है लेकिन जो हो रहा है ठीक नहीं है। कोरोन के भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है।