कोई तकनीक नहीं... एलीफेंट काॅरिडोर से गुजरते वक्त ट्रेनों के चालक और सहायक चालक को ही रखनी होगी नजर
हाथी और दूसरे जंगली जानवरों की यात्री ट्रेन या मालगाड़ी से होनेवाली मौतों की रोकथाम के लिए रेलवे किसी तकनीक का सहारा नहीं लेगी। इसके लिए रेलवे के चालक और सहायक चालक अपनी निगाहें चौकस रखेंगे। रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ने इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: हाथी और दूसरे जंगली जानवरों की यात्री ट्रेन या मालगाड़ी से होनेवाली मौतों की रोकथाम के लिए रेलवे किसी तकनीक का सहारा नहीं लेगी। इसके लिए रेलवे के चालक और सहायक चालक अपनी निगाहें चौकस रखेंगे। घने जंगलों या एलीफेंट काॅरिडोर से ट्रेन के गुजरने के दौरान उन्हें रेलवे ट्रैक और उसके आसपास नजर गड़ाए रखना होगा। हाल के दिनों में ट्र्रेनों से हुई हाथियों की मौत के मद्देनजर रेलवे बोर्ड ने जीआर 4.40 के प्रावधान के अनुपालन संबंधी निर्देश जारी किए हैं। रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक संरक्षा द्वितीय केपी यादव ने सभी जोनल रेलवे को इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है।
रेलवे बोर्ड ने कहा है कि भारतीय रेल के विभिन्न क्षेत्रीय रेल के अधीन ऐसे रेल मार्ग हैं जो घने जंगलों से गुजरते हैं। उन रेल मार्गों पर जंगली जानवरों खास तौर पर हाथियों के गुजरने के दौरान असामान्य घटनाओं का खतरा रहता है। इससे जंगली जानवरों की मौत के साथ-साथ रेल दुर्घटना, ट्रेनों के बेपटरी होने, यात्री डब्बों के क्षतिग्रस्त होने और रेल सेवा प्रभावित होने जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके मद्देनजर जीआर 4.40 के प्रावधान का अनुपालन किया जाए जिसके तहत रेलवे ट्रैक पर होनेवाली असामान्य घटनाओं पर नजर रखी जाती है। रेल मंडलों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि एलीफेंट कारिडोर या दूसरे जंगली जानवरों के गुजरने वाले रेल मार्ग और संबंधित स्थानों की लिस्ट तैयार कर चालक और सहायक चालक को लोकेशन की जानकारी दें ताकि निर्धारित लोकेशन पर पूरी निगरानी के साथ रेल परिचालन कर सकें।
दो महीने पहले ही मालगाड़ी से टकरा कर हवा में उछला था हाथी
धनबाद रेल मंडल में इसी साल छह मई की देर रात मालगाड़ी से टकरा कर एक बड़ा हाथी हवा में उछल कर दूर जा गिरा था। धनबाद से गया के बीच गरिया बिहार -चिचाकी रेलखंड पर डाउन लाइन पर आ रही मालगाड़ी के इंजन से हाथी की टक्कर हो गई थी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि हाथी के शरीर टुकड़ों में बंट गए थे। देर रात 2:40 पर हुई घटना के कारण पूरी रात ट्रेन नहीं चली थी। इस रूट की कई ट्रेनों को पंउित दीन दयाल जंक्शन से पटना और जसीडीह रूट से चलाना पड़ा था। इससे पहले 31 जुलाई 2013 को सियालदह दुरंतो से मतारी स्टेशन के पास हाथी की टक्कर भी हो चुकी है।