अपनी भाषा-संस्कृति का अतिक्रमण नहीं होने देंगे
धनबाद झारखंड सरकार ने जेएसएससी की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में धनबाद और बोकार
धनबाद : झारखंड सरकार ने जेएसएससी की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में धनबाद और बोकारो में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी, मगही और अंगिका को शामिल किया है। इसका विरोध मूलवासी और आदिवासी संगठन लगातार कर रहे हैं। इनका कहना है कि भोजपुरी, मगही और अंगिका यहां की क्षेत्रीय भाषा नहीं है। बहुत उम्मीद और आशाओं के साथ झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की शासन वाली सरकार बनी थी। इसके बावजूद कुछ होता दिख नहीं रहा है। झारखंडी भाषा बोलने वाले लोगों और झारखंडी जनमानस का कहना है कि हम अपनी भाषा संस्कृति को अतिक्रमण नहीं करने देंगे। इसको लेकर पूरे झारखंड में वृहद रूप से उलगुलान (आंदोलन) का आह्वान किया जाएगा। लोगों का कहना है कि हमारी संस्कृति और भाषा ही हमारी पहचान है। - धनबाद में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी मगही और अंगिका को शामिल किया गया है। हम सभी छात्र किसी भी कीमत में इन बाहरी भाषाओं का अतिक्रमण धनबाद में नहीं होने देंगे। बाहरी भाषा का अतिक्रमण हमारी सभ्यता को मिटाने का काम करेगी। जिसका हम मूलवासी छात्र पुरजोर विरोध करेंगे। अभी तो हमने सत्ता पक्ष के विधायक के आवास को घेरा है। जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री आवास और धनबाद से निकलने वाले खनिज को भी रोका जाएगा। झारखंड का युवा अब जाग गया है।
- अजीत महतो, छात्र नेता हेमंत सोरेन याद रखें आपको झारखंड के लोगों ने सीएम बनाया है, भोजपुरी, अंगिका, मगही बोलने वालों ने नहीं। चुनाव के पहले 1932 का वादा किए थे। सरकार बने दो साल बीत गए पर अभी तक 1932 लागू हुए बिना ही वैकेंसी निकाल कर बाहरी लोग को आमंत्रण दे रहे हैं। यही रवैया रहा तो झारखंडी जनता सड़क से सदन तक आंदोलन करेगी और सरकार को सत्ता से बेदखल करने का भी काम करेगी।
- कुश महतो, छात्र नेता हम किसी भी कीमत में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी, मगही और अंगिका को स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं। इसके लिए हमें आंदोलन करना होगा तो करेंगे, लेकिन अपनी भाषा के साथ समझौता कभी नहीं कर सकते।
- मनोज महतो, छात्र नेता