वकालत की फीस ही तो ले रहा हूं, इसमें गलत क्या है... Dhanbad News
विधायकजी कुछ ज्यादा परेशान हैं। परेशानी की वजह कोई राज की बात नहीं है। सर्वविदित है। टिकट के दावेदारों ने नाक में दम कर रखा है। विधायकजी का टिकट कटवा कर खुद झटकना चाहते हैं।
धनबाद [जागरण स्पेशल]। काम करने का हर कोई फीस लेता है। देने वाले राजी-खुशी देते भी हैं। आखिर इसमें गलत क्या है? वकील साहब भी तो यही कर रहे हैं। टिकट की वकालत करवानी है तो फीस तो देनी होगी। कुछ लोगों की आदत ही ऐसी है कि बात का बतंगड़ बना देते हैं। आवेदन के साथ वकील साहब ने पांच-पांच हजार रुपये और मिठाई के डिब्बे क्या लिए, जैसे बहुत बड़ा अपराध कर दिया। प्रदेश अध्यक्ष की कान भर दी गई। पुलिस के आला अधिकारी रह चुके हैं। तुंरत बड़ा अपराध समझ संज्ञान लिया। वकील साहब को शोकॉज कर दिया गया। साथ में उनके दो सहायक भी मुफ्त में लपेटे में आ गए। दोनों सहायक परेशान हैं लेकिन वकील साहब मजे में हैं।
अध्यक्ष महोदय वकालत कर रहे हैं कि पार्टी चलाने के लिए तो पैसे चाहिए। यह पैसा कहां से आएगा? फीस लेकर कोई गलती थोड़े की है। शोकॉज पर ध्यान न देकर फिर से वकालत में जुट गए हैं। पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से तीन-तीन दावेदारों की सूची तलब की है। वकील साहब सूची तैयार कर रहे हैं। यह ऐसी-वैसी सूची नहीं है। बहुत काम की सूची है। कहा जा रहा है कि इसी सूची के आधार पर प्रत्याशियों का भाग्य तय होगा। सो, तीन-तीन की सूची में सब अपना नाम जोड़वाने के लिए परेशान हैं। इसकी फीस कुछ ज्यादा है। वकील साहब की निकल पड़ी है।
डिप्टी मेयर का टिकट
विधायकजी कुछ ज्यादा परेशान हैं। परेशानी की वजह कोई राज की बात नहीं है। सर्वविदित है। टिकट के दावेदारों ने नाक में दम कर रखा है। विधायकजी का टिकट कटवा कर खुद झटकना चाहते हैं। बावजूद, आश्वस्त हैं कि टिकट तो कटेगा नहीं। असल परेशानी इसके बाद की है। जो टिकट के लिए हजारों-लाखों खर्च कर रहे हैं न मिला तो नाराजगी स्वाभाविक है। कुछ तो टिकट न मिलने की स्थिति में निर्दलीय ही चुनाव लडऩे के मूड में हैं। लड़ गए तो विधायकजी का ही नुकसान होगा सो अभी से साधने में जुट गए हैं। गुरु सबको साधने के लिए अपने चुनाव के समय विधानसभा का टिकट बांटते रहे हैं। अब चेले गुरुमंत्र को आजमा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद नगर निगम का चुनाव होगा। सो, डिप्टी मेयर का टिकट बांट रहे हैं। तीन प्रमुख दावेदारों को संदेशा भिजवाया है-डिप्टी मेयर का टिकट आपको ही मिलेगा।
मैडम की राजनीति
मैडम को राजनीति की कितनी समझ है यह तो वही जाने लेकिन अच्छे-अच्छे लोगों को घनचक्कर बना दिया है। वह केसरिया पार्टी से टिकट की अपने को बहुत ही सीरियस कैंडीडेट मान कर चल रही हैं। शहर में सूबे के मुख्य सेवक का आगमन हुआ तो मिलने वालों की लाइन लग गई। उस लाइन में मैडम भी थी। संयोग से मिलने का मौका भी मिल गया। मुख्य सेवक ने पूछ लिया कि क्या करती हैं आप? जवाब मिला- महिला बिल्डर। मुख्य सेवक प्रसन्न हुए। फरमाया राज्य में दिहाड़ी मजदूरों के लिए अच्छी योजनाएं चल रही हैं। अपने यहां काम करने वाले मजदूरों को योजना से पंजीकृत कराइए। मजदूर हित में यह काम करने के लिए दूसरे बिल्डरों को भी प्रेरित कीजिए। इसके बाद दूसरे का नंबर आया और मैडम सर्किट हाउस से बाहर निकल गईं। यह क्या? मैडम टिकट की बात करने गई थी और उसी पर बात नहीं हुई। सुबह फिर धमक पड़ी। लोगों ने पूछा कल तो मिली थी। जवाब मिला-विषय पर बात नहीं हो पाई थी। मैडम दूबारा प्रधान सेवक से मिली। मिलते ही टिकट की मांग की। क्या इस तरह टिकट मिलता है? इंतजार कीजिए।