Jharia Master Plan पर संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में कोई निर्णय नहीं, आग कम होने का दावा
Jharia Master Plan राष्ट्रीयकरण से पहले अवैज्ञानिक खनन के कारण यह आग लगी थी। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी। 12 अगस्त 2009 को 10 वर्ष की कार्यान्वयन अवधि पर प्लान जमीन पर उतारा गया। इसकी अवधि अगस्त 2021 में समाप्त हो गई।
जागरण संवाददाता, धनबाद। बुधवार को नई दिल्ली में संसद भवन में कोयला मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक हुई। कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी की अध्यक्षता में झरिया मास्टर प्लान पर विमर्श हुआ। बैठक में न तो सांसद सुनील सोरेन और न ही दीपक प्रकाश पहुंचे जो समिति के सदस्य हैं। एक घंटे से कम समय में ही बैठक समाप्त हो गई। उम्मीद थी कि इस बैठक में संशोधित झरिया पुनर्वास योजना पर कोई निर्णय होगा, मगर वह नहीं हो सका।
घट रही झरिया की आग
बैठक में शामिल बीसीसीएल के अधिकारियों ने बताया कि दो साल में पुनर्वास की रफ्तार संतोषजनक रही है। झरिया की आग अब घट रही है। राष्ट्रीयकरण से पहले अवैज्ञानिक खनन के कारण यह आग लगी थी। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी। 12 अगस्त, 2009 को 10 वर्ष की कार्यान्वयन अवधि पर प्लान जमीन पर उतारा गया। इसकी अवधि अगस्त 2021 में समाप्त हो गई। अब संशोधित मास्टर प्लान की मंजूरी होनी है ताकि आग प्रभावित इलाके के परिवारों को सुरक्षित स्थान पर बसाया जा सके।
18 हजार से ज्यादा घरों का हो रहा निर्माण
बीसीसीएल ने 15852 घरों का निर्माण किया है। तत्काल 3852 परिवारों को नए घरों में स्थानांतरित किया जाना है। बीसीसीएल ने गैर बीसीसीएल परिवारों के लिए झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (जेआरडीए) द्वारा उपयोग किए जाने वाले 8000 घरों का प्रस्ताव किया है। गैर-बीसीसीएल परिवारों के पुनर्वास के मामले में 2004 की कट-आफ तिथि के मुकाबले 2019 तक अतिक्रमणकारियों की संख्या में वृद्धि हुई है। कानूनी और गैरकानूनी स्वामित्वधारकों के स्थानांतरण के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। राज्य सरकार के तहत जेआरडीए ने 18,352 घरों का निर्माण शुरू किया है। इनमें 6352 पूरे हो चुके हैं, बाकी अगस्त 2022 तक पूरे हो जाएंगे। जेआरडीए ने एक संशोधित पुनर्वास प्रस्ताव तैयार किया है।
सुझावों पर अमल करने का निर्देश
कोयला मंत्रालय ने हाई पावर कमेटी को धरातल की स्थिति देखने को कहा है, ताकि उसके सुझावों पर अमल कर पुनर्वास की रफ्तार को तेज किया जा सके। उस कमेटी की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। बैठक में कोयला सचिव अनिल जैन के अलावा अवर सचिव बीके तिवारी, सीएमपीडीआइ के सीएमडी मनोज कुमार, बीसीसीएल के तकनीकी निदेशक चंचल गोस्वामी आदि थे।