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गरीब का बेटा और युवाओं की पैरोकारी से बनाई रॉबिन हुड की छवि

धनबाद पुलिस हिरासत से राजेश गुप्ता को छुड़ाने के आरोप बुधवार को बाघमारा विधायक ढुलू महतो को डेढ़ वर्ष की कैद की सजा हुई है। हालांकि उनको मिली इस सजा पर भी उनके समर्थकों ने राहत की ही सांस ली है। वजह कि यह कि सजा दो वर्ष से कम की हुई है। इससे उनकी विधायकी तो बची ही वे आगामी विधानसभा चुनाव में फिर बतौर प्रत्याशी भाग्य आजमाते नजर आएंगे। यह विरोधाभास ढुलू की राजनीति में शुरू से रहा है। वे देश की राजनीति में वे संभवत इकलौते राजनीतिज्ञ हैं जो वाम और दक्षिणपंथ दोनों को एक साथ साधे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 02:40 PM (IST)
गरीब का बेटा और युवाओं की पैरोकारी से बनाई रॉबिन हुड की छवि
गरीब का बेटा और युवाओं की पैरोकारी से बनाई रॉबिन हुड की छवि

धनबाद : पुलिस हिरासत से राजेश गुप्ता को छुड़ाने के आरोप बुधवार को बाघमारा विधायक ढुलू महतो को डेढ़ वर्ष की कैद की सजा हुई है। हालांकि उनको मिली इस सजा पर भी उनके समर्थकों ने राहत की ही सांस ली है। वजह कि यह कि सजा दो वर्ष से कम की हुई है। इससे उनकी विधायकी तो बची ही वे आगामी विधानसभा चुनाव में फिर बतौर प्रत्याशी भाग्य आजमाते नजर आएंगे। यह विरोधाभास ढुलू की राजनीति में शुरू से रहा है। वे देश की राजनीति में वे संभवत: इकलौते राजनीतिज्ञ हैं जो वाम और दक्षिणपंथ दोनों को एक साथ साधे हुए हैं। ढुलू भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए हैं लेकिन उनका मजदूर यूनियन धुरविरोधी वामपंथी एटक से संबद्ध है। उन्होंने न सिर्फ राजनीतिक दलों बल्कि नेताओं को भी अपने हित के लिए हमेशा इस्तेमाल किया। बावजूद इसके उनका करिश्मा कभी कायम नहीं हुआ। इसकी वजह यह रही कि विरोधी भले उन पर रंगदारी, मौकापरस्ती का आरोप लगाते रहें लेकिन आमलोगों के बीच उनकी मौजूदगी हमेशा बनी रही। सामाजिक सरोकारों के कामों में दिलचस्पी लेते रहे। गरीबों के हक और स्थानीय युवकों को रोजगार के लोकलुभावन नारे के कारण युवकों की टोली हमेशा उनके पीछे खड़ी रही और वे बाघमारा की जनता के बीच रॉबिन हुड की छवि बनाने में कामयाब रहे। मंदिर-मस्जिद से शिक्षण संस्थानों तक का किया निर्माण :

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हाल ही में रामराज मंदिर के निर्माण को लेकर ढुलू काफी चर्चित रहे। लेकिन उनके ही शब्दों में यह उनका 51वां मंदिर है। इससे पहले भी वे जनसहयोग से 50 मंदिरों का निर्माण कर चुके हैं। एक ईदगाह और एक मस्जिद का भी निर्माण किया। ढुलू चुनौती देते हैं कि उनके किए काम का 10 फीसद भी कोई विरोधी गिना दे तो वे मान जाएं। अपने पिता पूना महतो के नाम पर हाई स्कूल, आइटीआइ, पॉलीटेक्निक, ग‌र्ल्स हाई स्कूल, पैरा मेडिकल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट आदि का निर्माण वे करा चुके हैं। उनके नाम पर प्रतिवर्ष खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन भी वे कराते रहे हैं। यही कारण है कि जनता उनके साथ हमेशा खड़ी है। टाइगर फोर्स के जरिए राजनीति में किया प्रवेश :

टाइगर फोर्स के वर्तमान जिलाध्यक्ष धर्मजीत सिंह के मुताबिक ढुलू ने बोकारो के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री समरेश सिंह के सान्निध्य में राजनीति की शुरुआत की। समरेश ने वर्ष 2000 में जब टाइगर फोर्स का गठन किया तो ढुलू को उसका अध्यक्ष बनाया। उन्हें अपना टाइगर बताते हुए वर्ष 2004 में झावकां का टिकट भी दिया। हालांकि वे हार गए पर 20 हजार वोट लाकर अपनी ताकत दिखा दी। बाद में वे बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो में शामिल हुए और वर्ष 2009 के चुनाव में पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो को शिकस्त दी। वर्ष 2014 में वे भाजपा में शामिल हुए और दुबारा बाघमारा सीट से जीते। गरीब और युवाओं के हक की उठाई आवाज :

ढुलू के मीडिया प्रभारी कैलाश गुप्ता की मानें तो ढुलू की लोकप्रियता का राज गरीबों और युवाओं के बीच उनकी पैठ है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत ही वहां की कोलियरियों, आउटसोर्सिग कंपनियों में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने के नाम पर की। उन्हें अधिकार दिलाया भी। यही कारण है कि तमाम विरोधी एक होकर भी उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे। सामाजिक क्षेत्र में भी उन्होंने कई काम किए। टुंडू जिंक फैक्ट्री के लोगों के बकाया भुगतान को लेकर भी उन्होंने आंदोलन किया।


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