कोरोना ने मूर्तिकारों की कमाई पर लगाया अंकुश...आंसू बन छलका दर्द
कोरोना के बाद से मूर्तिकार की जीवन में उथल-पुथल मची हुई है। कई मूर्तिकारों की कमाई पर अंकुश लग गया है। लाकडाउन के बाद जितने भी पर्व त्यौहार आए बेहद कम मूर्तियां बनाई गई वो भी 4से 5 फीट आकार के।
राकेश कुमार महतो, धनबादः कोरोना के बाद से मूर्तिकार की जीवन में उथल-पुथल मची हुई है। कई मूर्तिकारों की कमाई पर अंकुश लग गया है। लाकडाउन के बाद जितने भी पर्व त्योहार आए बेहद कम मूर्तियां बनाई गई वो भी 4से 5 फीट आकार के। मूर्तिकारों का कहना है कि पिछले दाे सालों में कोरोना के कारण बेहद कम कमाई हुई है। ऐसा बोलते हुए उनके आंखों से आंसू बाहर निकल आएं। कहा-कोरोना के कारण सभी पर्व-त्योहार सादगी के साथ मनाए जा रहे हैं। सामूहिक रूप से होनेवाले आयोजनों की रौनक बिल्कुल गायब है। हालांकि शहर में कई मूर्तिकार छोटी-छोटी प्रतिमाएं बना कर अपने घरों से ही दर कम कर बिक्री कर रहे हैं। उसके बावजूद खरीदार नहीं हैं। यहां तक की सरस्वती पूजा करीब है फिर भी प्रतिमाओं के लिए अभी तक बुकिंग नहीं होने से निराश है।
मूर्तिकारों के चेहरे पर छाया मायूसी
कई मूर्तिकार हैं, जो साल भर सिर्फ मूर्ति बनाने का काम करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस की तीसरी लहल में उनके चेहरे पर मायूसी छाया है। कुमार पट्टी के मूर्तिकार संजय पंडित, टिंकू पाल, पप्पू पंडित करीबन 40 साल से मूर्तियां बना रहे हैं। बताया कि सरस्वती पूजा की मूर्ति बुकिंग के अनुसर करीब 3 महीने पहले से ही बनानी शुरू हो जाती थी।
मूर्ति तो बन रही, लेकिन खरीदार नहीं पहुंच रहे है
मूर्तियां बनाने के लिए कोलकाता से मिट्टी, रंग और कारीगर लाए जाते हैं। लाकडाउन के बाद से ही सभी सामानों की दर में वृद्धि हो गई है। अभी जितने मूर्ति बनाए जा रहे हैं, उस हिसाब से बिक्री भी नहीं हो रही हैं। बताया गया कि बड़ी मूर्तियां के खरीदार कम है, अधिकतर लोग छोटी मूर्तियां खरीद रहे हैं और सादगी तरीकें से पूजा का आयोजन कर रहे हैं।
मूर्तियां बनाने से कतरा रहे मूर्तिकार
कोरोना वायरस से मूर्तिकार के मन में भय ठहर गया है। लगातार लाकडाउन के कारण भारी नुकसान हुआ है। बताया गया कि अगर बनी हुए मूर्ति बीक जाए तो सिर्फ कारीगरों का खर्च ही निकलेगा।