Dhanbad Political News: जिला झामुमो में दो फाड़, अमितेश सहाय और मथुरा महतो में खींचतान
ज्य में झारखड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। ऐसे में जिला स्तर पर भी झामुमो की स्थिति मजबूत है। बात धनबाद की करें तो यहां जिला कमेटी को छोड़ झामुमो दो केंद्रों पर स्थिर है। पहला केंद्र पूर्व मंत्री और टुंडी विधायक मथुरा महतो हैं तो दूसरा व्यवसायिक प्रकोष्ठ
जागरण संवाददाता, धनबाद : राज्य में झारखड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। ऐसे में जिला स्तर पर भी झामुमो की स्थिति मजबूत है। बात धनबाद की करें तो यहां जिला कमेटी को छोड़ झामुमो दो गुटों में बंटी है। पहला गुट पूर्व मंत्री और टुंडी विधायक मथुरा महतो हैं, तो दूसरा व्यवसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष अमितेश सहाय। ऐसे में पार्टी सदस्यों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी दोनों केंद्रों के साथ तालमेल स्थापित कर चलना पड़ रहा है।
तीन बार विधायक और रहे मंत्री : मथुरा प्रसाद महतो के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो ये काफी लंबे समय से झामुमो से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2005 में पहली बार विधायक बने। वर्ष 2009 के चुनाव में भी इन्हें जीत मिली, लेकिन 2014 में इन्हें टुंडी सीट से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2019 के चुनाव में ये फिर से जीत कर विधान सभा पहुंचे। ऐसे में धनबाद जिले की छह विधान सभा सीटों में से टुंडी को झामुमो की झोली में रखने में मथुरा कामयाब रहे। यही कारण रहा कि इनकी पार्टी में भी एक अलग पकड़ है। ऐसे में बात धनबाद में झामुमो की राजनीति की हो तो मथुरा महतो सबसे मजबूत नेता के रूप में स्थापित हैं। जिला कमेटी में भी इनकी अपनी पैठ है। ऐसे में जिला स्तर के मामले हों या फिर राज्य स्तर पर इनकी हर जगह सुनी जाती है।
मुख्यमंत्री से नजदीकियां से अमितेश मजबूत : अब बात झामुमो के दूसरे गुट की बात करें तो अमितेश सहाय झामुमो के एक कदवार नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। इसका कारण उनकी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नजदीकी और दोस्ती को माना जाता है। यही कारण है कि अमितेश सहाय झामुमो व्यवसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष हैं। 2019 के विधान सभा चुनाव के बाद से पार्टी में इन्हें उंचा कद मिला। नतीजतन आज जिला झामुमो से लेकर प्रदेश तक के मामलों में अमितेश सहाय के बातों को महत्व दिया जाता है।