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गोल बिल्डिंग-कांको मठ 8 लेन रोड को सीएम की मंजूरी

जेएनएन रांची/धनबाद आखिरकार दैनिक जागरण की मुहिम रंग लाई। धनबाद में गोल बिल्डिंग से लेक

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 02:05 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 02:05 AM (IST)
गोल बिल्डिंग-कांको मठ 8 लेन रोड को सीएम की मंजूरी
गोल बिल्डिंग-कांको मठ 8 लेन रोड को सीएम की मंजूरी

जेएनएन, रांची/धनबाद : आखिरकार दैनिक जागरण की मुहिम रंग लाई। धनबाद में गोल बिल्डिंग से लेकर कांको मठ तक बन रहे राज्य के पहले आठ लेन रोड की बाधाएं खत्म हो गई हैं। स्टेट हाइवे अथारिटी ऑफ झारखंड (साज) की अनुशंसा के आधार पर नगर विकास विभाग के संशोधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके पूर्व 20 किमी लंबी इस सड़क को आठ लेन की जगह फोर लेन करने की अनुशंसा की गई थी। यह अनुशंसा धनबाद के उपायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसमें बताया गया था कि ऐसा करने से सरकार के 45 करोड़ रुपये से अधिक बच जाएंगे। लेकिन, सड़क की उपयोगिता और पुरानी योजना में बदलाव से संभावित नुकसान अधिक होने का अनुमान भी लगाया जा रहा था। सड़क की चौड़ाई कम होने की स्थिति में एजेंसी भी बदलनी पड़ती और ऐसा होने से बचत का रास्ता निकाल रहे विभाग को नुकसान ही उठाना पड़ सकता था।

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दैनिक जागरण ने आठ लेन सड़क को फोर लेन करने पर 'धनबाद की हकमारी क्यों' मुहिम चलाई थी। लगातार धनबाद के लोगों की मांग को इसके माध्यम से सरकार तक पहुंचाया गया था। लोगों के माध्यम से शासन-प्रशासन को बताया गया था कि आठ लेन सड़क में कटौती से न सिर्फ धनबाद की जनता को, बल्कि राज्य को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। सरकार ने इसके तकनीकी पहलुओं को समझते हुए फिर आठ लेन सड़क को ही मंजूरी देकर धनबाद के लोगों का दिल जीत लिया।

दरअसल, सड़क की चौड़ाई आठ लेन से कम कर चार लेन बनाने को लेकर उपायुक्त की अनुशंसा नगर विकास विभाग को प्राप्त हुई थी। विभाग ने इस आधार पर सड़क निर्माण विभाग के तकनीकी विग साज से रिपोर्ट तलब की, जिससे पूरा मामला उलटा पड़ता दिखा। साज के तकनीकी जानकारों ने बताया कि अगर योजना में बदलाव किया जाता है तो सरकार के लिए फोर लेन की सड़क बनाना आठ लेन की सड़क से ज्यादा महंगा साबित हो सकता है।

साज ने पुरानी योजना को उपयोगी बताया ही, साथ ही यह भी सुझाव दिया कि सरकार इस बदलाव से जितनी राशि बचाएगी उससे अधिक नुकसान होने की संभावना बनती है। काम करनेवाली एजेंसी काम छोड़ने के एवज में नुकसान की भरपाई का दावा कर सकती है और कहीं नई एजेंसी के चयन की परिस्थिति बनी तो इस एवज में खर्च होनेवाली राशि बचत की राशि से अधिक भी हो सकती है। इतना ही नहीं तकनीकी विग ने यह भी बताया कि फोर लेन सड़क के लिए फिर से डीपीआर बनवानी होगी जो खर्च को और बढ़ाएगी। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही इस योजना को अंतिम रूप दिया गया था। साज के अनुसार इस सड़क की आवश्यकता कतई कम नहीं हुई है।

सड़क ले चुकी है आकार

सड़क के दोनों किनारे पर 90 फीसद नाली का निर्माण हो चुका है। इन नालियों के बन जाने से सड़क का आकार तय हो चुका था। अब आठ लेन जमीन पर चार लेन की सड़क बनती तो दोनों किनारों पर या तो खाली जमीन रहती या फिर इनका अतिक्रमण हो जाता। ऐसे में सरकार के लिए सिर्फ सड़क के निर्माण से संबंधित लागत बच रही थी जो 417 करोड़ रुपये की इस सड़क के लिहाज से बहुत ही कम है।

बोले अधिकारी

मुख्यमंत्री ने संशोधित प्रस्ताव पर सहमति प्रदान कर दी है और इस आधार पर सड़क निर्माण विभाग को काम आगे बढ़ाने के लिए पत्र जारी कर दिया गया है।

विनय कुमार चौबे, नगर विकास सचिव, झारखंड।


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