Dhanbad IIT ISM: अब शोध के आंकड़ों की नहीं होगी चोरी, रिसर्च डेटा रहेगा सुरक्षित
आपके रिसर्च का डेटा पब्लिकेशन तथा अन्य शोध कार्य बाद भी अब इसका उपयोग दूसरे लोग भी कर सकेंगे। इसके लिए संबंधित रिसर्चर की अनुमति प्राप्त कर अन्य शोध में कर सकेंगे। जी हां आइआइटी आइएसएम धनबाद में रिसर्च डेटा रिपॉजिटरी खुलने जा रहा है देश का पहला रिपॉजिटरी होगा।
धनबाद, जेएनएन : आपके रिसर्च का डेटा पब्लिकेशन तथा अन्य शोध कार्य बाद भी अब इसका उपयोग दूसरे लोग भी कर सकेंगे। इसके लिए संबंधित रिसर्चर की अनुमति प्राप्त कर अन्य शोध में कर सकेंगे। जी हां आइआइटी आइएसएम धनबाद में रिसर्च डेटा रिपॉजिटरी खुलने जा रहा है जो देश का पहला रिपॉजिटरी होगा।
यह डेटा रिपॉजिटरी का लाइसेंस प्राप्त संस्करण है। जो अनुसंधान डेटा का एक अंतर्राष्ट्रीय ओपन एक्सेस रिपॉजिटरी है। इसका फायदा न केवल संस्थान के छात्र और शिक्षकों को मिलेगा। बल्कि उनके संग्रह किए गए डेटा और शोध से भविष्य में दूसरों को भी लाभ होगा।
इस संबंध में आइआइटी आइएसएम ने एक टवीट कर जानकारी दी है। डेटा रिपॉजिटरी अनुसंधान में द्वितीय उपयोग के लिए संख्यात्मक भू स्थानिक डेटा सेट का एक संग्रह है। आमतौर पर अनुसंधान डेटा संग्रह के लिए उस संगठन के डेटा उपयोगकर्ताओं की सेवा के लिए स्थापित है। इसके कई फायदे है।
अब इसके बाद किसी के पेपर से आंकड़ों की चोरी नहीं कर पाएंगे। शिक्षक व छात्र शोध करने के बाद अब रिसर्च डेटा को रिपॉजिटरी में डालेंगे। उसके बाद किसी व्यक्ति को अगर उसके डेटा की जरूरत होगी तो वह अनुमति लेकर उसका उपयोग कर सकते हैं।
जानकारों की माने तो इसका उपयोग दूसरे लोग करेंगे। इस कारण अब शोध करने वाले व्यक्ति अपने रिसर्च तथा डेटा के क्वालिटी पर अधिक ध्यान देंगे। शोध की गति मिलने के साथ ही डेटा भी सुरक्षित रहेगा। आइआइटी आइएसएम धनबाद ने अपना सारा ध्यान अधिक से अधिक रिसर्च दिया है। वहीं आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर बताया कि डेटा रिपॉजिटरी संस्थान के लिए खुशी की बात है। अब शोध के आंकड़ों का उपयोग दूसरे लोग भी कर सकेंगे।