नसबंदी के बाद भी पिता बन गया निरसा का शख्स, बदनामी हुई तो स्वास्थ्य विभाग ने लगाई कीमत
Vasectomy New धनबाद के निरसा के अशोक ने पुरुष नसबंदी कराई। इसके बाद भी वह पिता बन गया। इससे बदनाई हुई। स्वास्थ्य विभाग में शिकायत की। इस मामले की जांच की गई। जांच में चिकित्सकों की लापरवाही सामने आई। इस मामले में 30 हजार का मुआवजा दिया गया है।
मोहन गोप, धनबाद। छोटा परिवार सुखी परिवार का आधार होता है... इसी थीम पर स्वास्थ्य विभाग जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम चला रहा है। लेकिन कभी-कभी नसबंदी के बाद भी आपरेशन सफल नहीं होते। निरसा के अशोक पासवान के साथ भी यही हुआ है। लगभग डेढ़ वर्ष के बाद आखिरकार स्वास्थ्य विभाग ने अपनी गलती स्वीकार की है। विभाग ने माना है कि आपरेशन सफल नहीं हुआ। नसबंदी ठीक से नहीं हो पाई। पीडि़त अशोक पासवान का दावा सही पाया गया। जिला प्रशासन के निर्देश पर शनिवार को अशोक को मुआवजा के तहत विभाग की ओर से 30 हजार रुपए दिया गया।
मेडिकल बोर्ड ने की थी जांच
मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू की। सिविल सर्जन कार्यालय ने निरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से नसबंदी के कागजात मांगे। आपरेशन करने वाले डाक्टर से मंतव्य लिया लिया। मरीज के आपरेशन के समय का बीएचटी भी मांगा गया। इसके बाद पीडि़त का शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) में विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम से मेडिकल जांच कराई गई। मेडिकल बोर्ड ने माना कि आपरेशन सफल नहीं हुआ था।
वर्ष 2020 में हुआ था आपरेशन, लेकिन बन गए पिता
मार्च 2020 में अशोक ने निरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कराया था। अशोक के घर से दो पहले से बच्चे थे। इसी कारण उसने नसबंदी करा कर परिवार नियोजन कराई थी, लेकिन नसबंदी के बावजूद वह फिर से पिता बन गए। अशोक इससे घबरा गए। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पर मुआवजा के लिए दावा कर दिया। स्वास्थ्य विभाग को उन्होंने आवेदन देकर घटना की जानकारी देते हुए मुआवजा की मांग कर दी। परिवार नियोजन असफल होने पर 30 हजार रुपये मुआवजा दिया जाता है।
मेडिकल बोर्ड में पीडि़त का दावा सही पाया गया है। पीडि़त को 30 हजार रुपये मुआवजा प्रदान किया गया है।
-डा. श्याम किशोर कांत, सिविल सर्जन, धनबाद