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खेतों में लहलहा ने लगे धान के बिचड़े; धनबाद के किसान आनंदित Dhanbad News

इस वर्ष खरीफ फसल के लिए किसानों के ऊपर भगवान इंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार भी मेहरबान है। इस वर्ष किसानों को सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर रोहिणी नक्षत्र में ही धान के बीज उपलब्ध करवा दिए गए।

By Atul SinghEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 11:12 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 11:12 AM (IST)
खेतों में लहलहा ने लगे धान के बिचड़े;  धनबाद के किसान आनंदित  Dhanbad News
रोहिणी नक्षत्र में ही धान के बीज उपलब्ध करवा दिए गए। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

मैथन/निरसा, जेएनएन: इस वर्ष खरीफ फसल के लिए किसानों के ऊपर भगवान इंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार भी मेहरबान है। इस वर्ष किसानों को सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर रोहिणी नक्षत्र में ही धान के बीज उपलब्ध करवा दिए गए। साथ ही भगवान इंद्र की भी मेहरबानी से रोहिणी नक्षत्र में अच्छी बारिश होने के कारण किसानों ने अपने-अपने खेतों में धान के बिचड़े भी डाल दिए। निरसा प्रखंड के लगभग 50 प्रतिशत किसानों ने धान के बिचड़े खेतों व नर्सरी में डाल दिए हैं और कई किसानों के बिचड़े काफी अच्छी स्थिति में है। वहीं लगातार बारिश होने के कारण निरसा प्रखंड के लगभग 20 प्रतिशत किसानों के बिछड़े खेत व नर्सरी में गलन के शिकार भी हो गए हैं। हालांकि, जिन किसानों के बिछड़े गल गए हैं वे निराश नहीं है। उन्होंने दोबारा धान के बीज डालने का निर्णय लिया है।

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10 से 12 दिन में तैयार हो जाएंगे बिचड़े :

मदनडीह गांव के किसान श्यामसुंदर सोरेन का 15 से 20 डिसमिल जमीन में लगे धान के बिचड़े लहलहा रहे हैं। इसे देखकर श्यामसुंदर सोरेन व अन्य किसान काफी आनंदित हैं। किसानों ने बताया कि 10 से 12 दिन में धान के बिचड़े रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगे। हम लोग आशा करते हैं कि अगर मानसून इसी तरह मेहरबान रहा तो जून के अंत है या जुलाई के शुरू में धान की रोपाई शुरू कर देंगे।

बिचड़े गलने से किसान निराश नहीं, दोबारा बिचड़े लगाने में जुटे

सिजुआ पंचायत के कृषक मित्र रमेश चंद्र महतो व भालखुरिया के कृषक मित्र नीलकंठ गोराई ने बताया कि हमारे गांव के कृषकों ने भी सरकार से मिले धान के बीज को अपने-अपने खेत में लगाया। परंतु लगातार हो रही बारिश के कारण धान के बिचड़े नर्सरी में ही गल गए हैं। अभी भी गांव के ज्यादातर किसानों के बिचड़े डाले खेतों में पानी जमा है। हालांकि, इससे किसान निराश नहीं है। वह दोबारा धान का बीज खेतों में डालेंगे।

धान रोपाई के पहले खेतों को करें तैयार : जावेद

निरसा प्रखंड तकनीकी प्रबंधक जावेद इस्लाम ने बताया कि सामान्यतः धान के बिचड़े को नर्सरी में डालने के 25 दिन के अंदर रोपाई करनी चाहिए । इससे धान का पैदावार भी ज्यादा होता है। सामान्यता 15 से 20 जुलाई तक धान की रोपाई कर लेनी चाहिए। जिन किसानों ने अभी तक खेतों में बिछड़े नहीं डाले हैं वह 20 जून तक धान के बीज अवश्य डाल दें।

उन्होंने बताया कि रोपाई के पूर्व खेत की अंतिम जुताई के समय यूरिया खाद का आधा मात्रा ही खेत में डालें क्योंकि यूरिया खाद ज्यादा डालने से या तो वह हवा में उड़ जाता है या जमीन के अंदर चला जाता है जिसका लाभ किसानों को नहीं मिलता। धान रोपाई के 3 सप्ताह बाद व 6 सप्ताह बाद 25 प्रतिशत यूरिया खाद डालें । इससे पैदावार अच्छा होगा।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के किसान पोटाश उर्वरक बहुत कम डालते हैं। हर फसल में 20 किलो प्रति हेक्टेयर पोटाश उर्वरक खेतों में डालना चाहिए। पोटाश फसल के जड़- तना को मजबूत करता है तथा कीट पतंगों से पौधों को लड़ने की शक्ति देता है। धान रोपने के अंतिम जुताई के समय पोटाश खेत में अवश्य डालें। निरसा प्रखंड के किसान बराबर शिकायत करते हैं कि उनके धान में खैरा रोग लग जाता है। धान रोपाई के अंतिम जुताई के समय खेत में जिंक सल्फेट 10 से 20 किलो प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए। इससे खैरा रोग से फसल का बचाव होता है।

धान के बिचड़े का ऊपरी हिस्सा काट देना चाहिए 

जावेद इस्लाम ने बताया कि नर्सरी में तैयार धान के बिचड़े की रोपाई करने के लिए उखाड़ने के बाद बिचड़े के पतियों का अग्रभाग 1 इंच काटकर उसे फेंक देना चाहिए। इससे तना छेदक कीट से बचाव होता है। तना छेदक कीट के मादा कीट बिचड़े के अग्रभाग की पंक्तियों में अंडे देते हैं। बिचड़े के अग्रभाग की पंक्तियों को काट कर हटा देने से तना छेदक रोग से बचाव हो जाता है।


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