मनरेगा के तहत रोजगार देने में लक्ष्य से पिछड़ रहा विभाग
धनबाद जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के अधिकारियों और प्रखंडों के अधिकारियों के बीच तालमेल
धनबाद : जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के अधिकारियों और प्रखंडों के अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी के कारण मजदूरों को निर्धारित दिनों तक काम नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों की लेटलतीफी के कारण केंद्र सरकार की रोजगारपरक महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा की प्रगति अपेक्षित गति से पूरी नहीं हो पा रही है। जिसका नुकसान मजदूरों को उठाना पड़ रहा है।
हाल यह है कि काम पाने के लिए रजिस्टर्ड श्रमिकों को भी विभाग 100 दिन का रोजगार नहीं दे पा रहा है। इसकी पुष्टि इस साल के आंकड़े भी कर रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष के सात महीने गुजर गए हैं, लेकिन अभी तक महज 105 लोगों को ही सौ दिन का रोजगार मिल पाया है। वहीं इस सूची में अनुसूचित जनजाति परिवार का एक भी सदस्य जगह नहीं बना पाया है। जबकि जिले के तीन प्रखंड टुंडी, पूर्वी टुंडी और तोपचांची आदिवासी बहुल हैं। यहां रोजगार के साधनों की घोर कमी है। जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार जिले के किसी जनजातीय परिवार (एसटी) को सौ दिन का रोजगार नहीं मिला है। जबकि सभी को स्थानीय स्तर पर योजनाओं में काम मिलना था। वहीं धनबाद के अनुसूचित जाति (एससी) के महज पांच लोगों को सौ दिन के रोजगार दिए गए हैं।
गौरतलब है कि जिले में सात हजार से अधिक योजनाओं को पूरा करने के लिए इसमें मनरेगा के तहत ही मजदूरों को काम दिया जाना है। ऐसे में चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा से इतनी कम संख्या में रोजगार का सृजन होना मजदूरों के पलायन का कारण बनता जा रहा है। हर दिन ट्रेनों और बसों में सवार होकर मजदूरों को दूसरे प्रदेश कमाने जाते हुए देखा जा सकता है। वजह सात हजार से भी अधिक योजनाओं को पूरा करने की जगह विभाग महज दो हजार के करीब ही योजनाओं को शुरू कर पाया है। इससे अपेक्षित गति से रोजगार पैदा नहीं किया जा सका है।