Dhanbad Crime News: लाला के काले साम्राज्य को बढ़ाने में झारखंड का रहा भरपूर सहयोग, निरसा में बनता था ट्रकों का अवैध कागजात
पश्चिम बंगाल के कोयला माफिया अनूप मांझी उर्फ लाला के काले कारोबार को बढ़ाने मे झारखंड का भरपूर सहयोग रहा। राज्य के निरसा और मुगमा क्षेत्र के ट्रांसपोर्टरों ने यह सहयोग दिया। लाला के जो भी ट्रक चोरी का कोयला लेकर बिहार उत्तर प्रदेश राजस्थान या दिल्ली के
बलवंत कुमार, धनबाद: पश्चिम बंगाल के कोयला माफिया अनूप मांझी उर्फ लाला के काले कारोबार को बढ़ाने मे झारखंड का भी भरपूर सहयोग रहा। राज्य के निरसा और मुगमा क्षेत्र के ट्रांसपोर्टरों ने यह सहयोग दिया। लाला का जो भी ट्रक चोरी का कोयला लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान या दिल्ली के लिए निकलता था, उनके सभी जाली कागजात निरसा में तैयार किए जाते थे। जांच में यह खुलासा होने के बाद से सीबीआइ अब इन ट्रांसपोर्टरों की भी कुंडली खंगाल रही है।
लाला के पश्चिम बंगाल स्थित दर्जन भर ठिकानों, अवैध खनन स्थल और कांटा घरों की जांच में जो दस्तावेज मिले, उसमें ट्रांसपोर्टिंग से संबंधित दस्तावेज निरसा और मुगमा के पते के हैं। इन दस्तावेज में ट्रांसपोर्टिंग कंपिनयों के फ्रेट स्लीप, टैक्स इनवॉयस और टोकन शामिल हैं। इन दस्तावेज का उपयोग अवैध कोयला की ट्रांसपोर्टिंग के लिए अलग-अलग तरीके से किया जाता था।
दस्तावेज के अलग-अलग उपयोग: फ्रेट स्लीप का उपयोग कोयला लोडिंग से लेकर उसकी ट्रांसपोर्टिंग के लिए किया जाता था, जबकि टैक्स इनवॉयस का उपयोग जीएसटी समेत अन्य प्रकार की कर देनदारी के लिए होता था। बताते चलें कि इस फर्जी टैक्स इनवॉयस के माध्यम से जीएसटी की भी चोरी की जाती थी। इसके अलावा विभिन्न नामों से जारी होने वाले टोकन का प्रयोग थानों के लिए होता था, ताकि इन ट्रकों को कोई नहीं पकड़े। टोकन पर जो नाम होते थे उनमें मुख्य रूप से काली, अष्टमी और शरद शामिल हैं।
झारखंड के दस्तावेज पर संदेह नहीं: कोयला के इस काले कारोबार में झारखंड के दस्तावेज की सत्यता पर किसी को शक नहीं होता है, इसलिए यहां के दस्तावेज का उपयोग बंगाल के अवैध कोयला के कारोबार में किया जाता है। जांच टीम की मानें तो यदि कोयला ट्रांसपोर्टिंग में बंगाल के दस्तावेज लगाए जाते थे तो चेकनाकों पर ऐसे वाहनों को शक की निगाह से देखा जाता था। बंगाल से ट्रक निकलते ही झारखंड की सीमा में प्रवेश करते थे। यहीं पर संबंधित सभी विभागों की जांच शुरू हो जाती थी, जबकि झारखंड के दस्तावेज होने पर अवैध कोयला लेकर जा रहे ट्रकों को भी रियायत मिल जाती थी। झारखंड के कागजात होने का फायदा इन ट्रकों को बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों में भी मिलता था।