Weekly News Roundup Dhanbad: मैडम का आदेश ताक पर, साहब की व्यवस्था से मटन की भी कालाबाजारी
गरीबों की क्षुधा को शांत करने के लिए शासन ने दो व्यवस्था की हैं पुलिस की सामुदायिक किचन और जिला प्रशासन की मुख्यमंत्री दीदी किचन। दोनों जगह पका पकाया भोजन।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। कोयलांचल में हर तरफ खदान। खदान में काम करने वाले अधिकतर लोगों को मटन या मुर्गा चाहिए। मय भी। रविवार को बिना नागा। लॉकडाउन में चैत नवरात्रि आ गयी। मटन की दुकानें बंद। इसी दौरान पशुपालन सचिव पूजा सिंघल को शिकायत मिली थी कि मटन, मुर्गा या अंडा की दुकानें जबरन बंद कराई जा रही हैं। उन्होंने आदेश निकाला कि दुकानें खुलेंगी। नवरात्रि बाद लोग मटन की दुकानों के आगे मंडराने लगे कि अब उपवास टूटेगा। धनबाद एसडीओ राज महेश्वरम ने दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी। सो, पुलिस वालों ने धनबाद में शहर से गांव तक दुकानें खुलने ही नहीं दीं। एसडीओ ने नया परवाना निकाला कि जिसके पास लाइसेंस है, वही बेचेंगे। लाइसेंसी सिर्फ दो तीन लोग। सो, 500 के मटन के दाम हो गए 800 रुपये किलो तक। एसएसपी किशोर कौशल से शिकायत हो रही है, 'श्रीमान...मटन की भी कालाबाजारी हो रही है।'
दारू चाहिए तो किराना दुकान जाइए
लॉकडाउन में दारू की सरकारी दुकानें बंद। अवैध महुआ शराब मिलना भी उतना ही मुश्किल। लॉकडाउन में कई को घरों में रहना कुबूल है, पर मय के बिना नहीं। पीने वालों का यह दर्द पिलाने वाले कहीं बेहतर महसूस करते हैं। सो, विदेशी दारू को बेचने का नया जुगाड़ निकाल गया। हीरापुर की किराना दुकानदार ने चावल की बोरी के पीछे शराब की पेटी रख ली। धीरे धीरे संदेश फैल गया कि जिसे दारू चाहिए किराना दुकान जाइए। और भी किराना दुकानों में शराब बिकनी शुरू हो गई। सिर्फ ब्रांड से समझौता करने की शर्त लागू थी। बोतल की कीमत डेढ़ से दोगुना तक। पड़ोसी से अधिक दाम मांग लिया तो शिकायत कर दी। छापा मारा गया तो किराना दुकान में पकड़ी गई शराब। अब शाम ढली नहीं कि जितनी नसें खिंच रही हैं, मय के आशिक शिकायतकर्ता को उतना ही कोस रहे हैं।
मिठाई में पड़ गयी खटाई
जनता कफ्र्यू के बाद झारखंड में 31 मार्च तक लॉकडाउन हुआ। धनबाद में तीन चार मिठाई दुकानों को खोलने का आदेश मिला। बाकी बंद। और मिठाई दुकानों का क्या गुनाह था? किसी को नहीं मालूम। जिन्हें खोलने का आदेश दिया गया, उनकी विशेषता भी अज्ञात। आखिर धनबाद एसडीओ का आदेश था तो कोई पूछे कैसे। रामनवमी आई तो हो गया झमेला। लॉकडाउन में मिठाई दुकान का शटर तनिक उठा हुआ था। ग्र्राहक मिठाई खरीदने को आतुर ताकि मुंह तो मीठा होता रहे। ग्र्रामीण एसपी अमित रेणु ने जब देखा तो शुरू कर दी पूछताछ। केस भी हो गया। फिर शुरू हुई पैरवी। एसएसपी किशोर कौशल को बताया गया कि एसडीओ का आदेश था। एसडीओ से जिज्ञासा की गई कि सिर्फ कुछ दुकानों को ही अनुमति क्यों और कब तक? जवाब मिला कि 31 मार्च तक। तय हुआ कि सब मिठाई दुकानें खुलेंगी या कोई नहीं।
थाना के खाना में स्वाद
गरीबों की क्षुधा को शांत करने के लिए शासन ने दो व्यवस्था की हैं, पुलिस की सामुदायिक किचन और जिला प्रशासन की मुख्यमंत्री दीदी किचन। दोनों जगह पका पकाया भोजन। मुख्यमंत्री दीदी किचन में गांवों में तो लाइन लग रही है, शहरों में उतनी भीड़ नहीं। प्रशासन के लोग लंबे समय से मुख्यमंत्री दाल भात योजना चलाते रहे हैं। पीले रंग का पानी मिलता है, दाल नहीं। थानों में शुरुआत में थानेदारों ने खुद नून, तेल, लकड़ी का इंतजाम किया। फिर मिल गए मददगार। एसएसपी किशोर कौशल ने भी घूम घूम कर स्वाद चखा। फिर पुलिस को खाद्य आपूर्ति विभाग से अनाज मिलने लगा। बीसीसीएल ने भी मदद की। थानों का भोजन ऐसा लजीज कि समय से पहले लंबी लाइन। रविवार को निरसा पुलिस की सरकारी दावत उड़ाते हुए लोग खुसफुसा रहे थे, 'सचमुच पुलिस वाले खाने में माहिर होते हैं और खिलाने में भी।