सामाजिक बहिष्कार की सजा काट रहा धनबाद का तीन आदिवासी परिवार, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
Dhanbad 3 Tribal Family Boycott पीड़ित राजेंद्र किस्कू रामलाल मुर्मू एवं शत्रुघन हेंब्रम ने कहा है कि हम पर आदिवासी समाज का पुजारी नायकी हड़ाम व सहयोगी कुडाम नायकी और गोड़ैत बनने का एक साल पहले दबाव दिया गया। इन्कार करने पर गांववालों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया है।
जागरण संवाददाता, निरसा। Dhanbad 3 Tribal Family Boycott झारखंड के धनबाद जिले के निरसा प्रखंड के मंझलाडीह गांव के तीन आदिवासी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। एक साल से इन्हें न तो गांव के कुएं से पानी भरने दिया जाता है। आरोप है कि इन परिवारों ने आदिवासी पुजारी व उसका सहयोगी बनने से इन्कार किया था, इसलिए ऐसा किया गया। एमपीएल ओपी की पुलिस से सोमवार को शिकायत की गई। सामाजिक वहिष्कार की जो वजह बताई जा रही है वह हैरान करने वाली है। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सार्वजनिक कुएं से पानी लेने पर रोक
पीडि़त परिवारों के राजेंद्र किस्कू, रामलाल मुर्मू एवं शत्रुघन हेंब्रम ने कहा है कि हम पर आदिवासी समाज का पुजारी नायकी हड़ाम व सहयोगी कुडाम नायकी और गोड़ैत बनने का एक साल पहले दबाव दिया गया, मगर उन्होंने इन्कार कर दिया। तबसे गांववालों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। सार्वजनिक कुआं को झाडिय़ां रखकर घेर दिया। हमें मैथन डैम से पानी लाना पड़ता है। मानसिक रूप से बहुत प्रताडि़त हो गए हैं, इसलिए शिकायत की है।
राजेंद्र ने बताई पूरी कहानी
राजेंद्र ने बताया कि सोहराय पर्व के उपलक्ष्य में रविवार को दुर्गापुर से रिश्तेदार सहदेव सोरेन एवं अन्य लोग आए थे। सभी घर के सामने नृत्य कर रहे थे। तभी नरेंद्र सोरेन, बुद्धेश्वर मुर्मू, अतिसर मुर्मू, लखीराम किस्कू एवं श्यामलाल सोरेन आए और हमें व रिश्तेदारों को पीटा। बकौल राजेंद्र किस्कू, एक साल पहले ग्रामीण बाहर से कुछ लोगों को लाए थे। उन्होंने दबाव बनाया कि पुजारी व सहयोगी बनो। इन्कार करने पर ग्रामीणों को भड़काया। तबसे प्रताडि़त किया जाने लगा।
ग्रामीणों ने आरोपों से किया इन्कार
ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार की बात को बेबुनियाद बताया है। बोले- ये परिवार सार्वजनिक तालाब एवं कुएं का पानी लेते हैं। बच्चों के लिए पोषाहार उनके घर तक पहुंचाया जाता है। गांव में समुदाय का पुजारी नहीं है। इसलिए इस साल सोहराय पर्व नहीं मनाया, मगर ये लोग पर्व मना रहे थे। कुछ ग्रामीणों ने विरोध किया तो आरोप लगा दिया।
यूं नहीं बनाया जाता पुजारी
जीतपुर गांव के नायकी हड़ाम साहेब लाल मरांडी कहते हैं- नायकी हड़ाम व सहयोगी कुडाम नायकी और गोड़ैत का पद वंशानुगत होता है। यदि किसी पुजारी का वंश नहीं होता है तो ग्रामीण व आसपास के पुजारी गांव से ही किसी का चयन कर लेते हैं।
पुराना मामला है। शिकायत मिली है। जांच शुरू कर दी है। उचित कार्रवाई की जाएगी।
-वसीम अनवर खान, प्रभारी, एमपीएल ओपी, धनबाद