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Jharkhand Lockdown: बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक से चाैपट हो गई देवघर की अर्थव्यवस्था, हजारों बेरोजगार

देवघर के अर्थतंत्र के अध्ययन के मुताबिक एक भक्त औसतन एक हजार रुपया देवघर पहुंचने के बाद खर्च करता है। चाय-पानी भोजन प्रसाद और आवासन पर लाखों खर्च होता है। बाबा बैद्यनाथ मंदिर बंद रहने के कारण यहाां भक्त नहीं पहुंच रहे हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 11:48 AM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 11:48 AM (IST)
Jharkhand Lockdown: बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक से चाैपट हो गई देवघर की अर्थव्यवस्था, हजारों बेरोजगार
बाबा बैद्यनाथ मंदिर बंद रहने से देवघर के हाट-बाजार में ठहराव ( फाइल फोटो)।

आरसी सिन्हा, देवघर। झारखंड का एकमात्र शहर देवघर है, जिसकी अर्थव्यवस्था की नींव बाबा बैद्यनाथ मंदिर पर है। यहां उद्योग नहीं। इसलिए बाबा की चौखट पर आने वाले श्रद्धालु ही खजाना हैं। एक साल में तकरीबन 80 लाख शिवभक्त आते हैं। देवघर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ दो माह सावन और भादो में लगने वाला मेला है जिसमें तकरीबन 52 लाख श्रद्धालु पहुंचते है। इससे सिर्फ मंदिर से जुड़े लोग ही नहीं बल्कि दुकानदार, होटल व्यवसायी, व्यावसायिक मोटर वालों के लिए अच्छी कमाई होती है। पूरे एक साल के आंकड़ों को देखें तो आश्विन में 10 लाख तीर्थयात्री का आगमन होता है। कार्तिक से अगहन तक एक लाख, माघ और फाल्गुन में तीन लाख अधिक श्रद्धालु पूजा-पाठ को आते हैं। रामनवमी से आषाढ़ पूर्णिमा तक बाबा का दरबार गुलजार रहता है। इस कालखंड में 14 लाख तीर्थयात्री पहुंचते हैैं।

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हमेशा गुलजार रहने वाले देवघर में ठहराव

देवघर के अर्थतंत्र के अध्ययन के मुताबिक एक भक्त औसतन एक हजार रुपया देवघर पहुंचने के बाद खर्च करता है। चाय-पानी भोजन, प्रसाद और आवासन पर लाखों खर्च होता है। इसी तरह पेड़ा, चूड़ा, चूड़ी और सिंदूर का कारोबार वालों को प्रति वर्ष दो सौ करोड़ से अधिक की आय होती है। कारोबारियों के मुताबिक, बर्तन बाजार में साल में तकरीबन सौ करोड़ का बाजार होता है। इसी तरह होटल, रेस्टोरेंट आदि हैं। पहले यहां आने वाले भक्त को उनके तीर्थ पुरोहित अपने मकान में निश्शुल्क रखते थे। पूजा-पाठ के बाद यात्री खुद खाना बनाते थे। बदलते वक्त के साथ यह व्यवस्था बदल गई। लोग आते हैं तो धर्मशाला या होटल में ठहरते हैं। बाजार में उपलब्ध भोजन करते हैैं। इससे बाजार की आय बढ़ती है। मंदिर बंद होने से इन दिनों देवघर की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। बाबा मंदिर एक साल से बंद है। 2020 व 2021 में श्रावणी मेला नहीं लगा। इस वजह से बाजार में करीब 640 करोड़ रुपये नहीं आए। बस, बाजार ठहर सा गया।

अब लोग कर्ज तले दबे जा रहे हैं। कहा- कोविड नियम का सख्ती से पालन कर मंदिर खोलना चाहिए। बैद्यनाथ मंदिर खुदरा दुकानदार संघ के संरक्षक चंदन साह का कहना है कि मंदिर खुलना चाहिए। रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। वर्तमान में बाबा मंदिर पर 1500 दुकानदार आश्रित हैं।

-जयदेव मिश्र, पुरोहित, देवघर

सरकार को चाहिए कि एक अक्टूबर से मंदिर खोल दे। सितंबर में भादो मेला समाप्त हो जाएगा। कोशिश हो कि दस हजार भक्तों को पूजा की इजाजत सरकार दे। इसके लिए आनलाइन बुङ्क्षकग तथा पहली डोज वैक्सीन लेने वालों को छूट मिले।

-दुर्लभ मिश्र, तीर्थ पुरोहित, देवघर


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