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Weekly News Roundup Dhanbad: संविधान की ऐसी तैसी, जो प्रभारी कहें वही सही; जानिए कांग्रेसियों की पीड़ा

ताजा-ताजा निलंबित हुए झा जी ने कहा- झारखंड में प्रदेश प्रभारी ही संविधान हैं। उन्होंने तो कांग्रेस के नियमों के तहत ही कार्रवाई की थी। अगर प्रदेश प्रभारी को लगता है कि गलत किया तो यह मेरी भूल थी। चोट गहरी लगी थी। मर्माहत झा जी रुके नहीं।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 08:36 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 08:36 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad:  संविधान की ऐसी तैसी, जो प्रभारी कहें वही सही; जानिए कांग्रेसियों की पीड़ा
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ आशीष सिंह ]। धनबाद जिला कांग्रेस में इस समय भूचाल मचा हुआ है। शह-मात का खेल चल रहा है। अनुशासनहीनता में कार्यकारी अध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात। अध्यक्ष महोदय अपनी सफाई देने प्रदेश प्रभारी के दरबार में पहुंच गए। बहुत सी बातें हुईं। फिर प्रदेश हाइकमान से फरमान जारी हो गया। जिन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष को निलंबित किया, उन्हें ही सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद तो जिला कांग्रेस में उथल-पुथल मच गई। जितने मुंह उतनी बातें। ताजा-ताजा निलंबित हुए झा जी ने कहा- झारखंड में प्रदेश प्रभारी ही संविधान हैं। उन्होंने तो कांग्रेस के नियमों के तहत ही कार्रवाई की थी। अगर प्रदेश प्रभारी को लगता है कि गलत किया तो यह मेरी भूल थी। चोट गहरी लगी थी। मर्माहत झा जी रुके नहीं। कह डाला- इतने सीनियर कांग्रेसी पर कार्रवाई कर ठीक नहीं किया। अब क्या होगा, देखना होगा।

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किसी ने बत्ती जला दी तो...

फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा का एक सीन भुलाए नहीं भूलता। भोर में कुछ महिलाएं हाथ में लोटा लिए शौच को  जाती हैं। बाइक की लाइट पड़ते ही चौंक कर खड़ी हो जाती हैं। कुछ ऐसी ही हालत वासेपुर नबी नगर पुलिस पिकेट की है। वासेपुर की फिजा बदल रही है, स्थितियां नहीं। पुलिस वाले रोज सुबह हाथ में लोटा लिए मटकुरिया मैदान में शौच के लिए जाते हैं। अरे, ये क्या? ओडीएफ। हां, मगर कागजों पर। यहां तैनात पांच पुलिसकर्मियों ने चंदा कर शौचालय के लिए गड्ढा बनवाया। यह ज्यों का त्यों है। पिकेट में बिजली-पानी नहीं। है। टूट-फूटे ड्रम में बाहर से पानी लाते हैं। पिकेट खंडहर बने सामुदायिक भवन में चल रहा है। मच्छरों ने डेरा जमा रखा है। उफ, करें तो क्या। आधा समय तो व्यवस्था ठीक करने में गुजर जाता है, ऊपर से डर कि कोई बत्ती न जला दे।

मोबाइल के नाम पर बखेड़ा

आइए चलें एसएसएलएनटी। यह जिले का सबसे बड़ा महिला कॉलेज है। कॉलेज में मोबाइल लाना मना है, कार्रवाई होने की भी बात है, मगर हाथ में मोबाइल न हो, ये क्या मुमकिन है भला? सो, लड़कियां लेकर आती हैं। यहां दो दिन पहले एक वाकया हो गया। चार छात्राओं का मोबाइल एक साथ चोरी हो गया। एक लड़की को शक हुआ कि पास में ही भीख मांगने वाले खड़े थे। शायद उन्होंने ही ले लिया हो। बस, उनके पीछे भागी। बस स्टैंड के पास उन्हें पकड़ लिया। बीच रोड पर हंगामा होने लगा। भीड़ जुट गई, पुलिस भी पहुंच गई। वे रोने लगे। बोले- हम भिखारी हैं, चोर नहीं। छात्रा भी अड़ गई- तलाशी लीजिए। महिला पुलिसकर्मियों को बुलाया गया। तलाशी ली गई, मगर मोबाइल नहीं मिला। अब बोलने वालों को मौका मिला। पहले छात्रा के साथ थे। तुरंत पलट गए। बेवजह इतना हंगामा किया।

सुबह या शाम, धुआं ही धुआं

धनबाद। यह देश की कोयला राजधानी है। जितना कोयला है, उतना ही प्रदूषण। कोयला उत्पादन जरूरी है, भले ही आम जन प्रदूषण की मार झेलते रहें। करकेंद के कांटाघर पर रोज सैकड़ों हाइवा कोयला लेकर आते हैं। बगल में ओपनकास्ट माइनिंग है। आसपास के इलाकों में धूल और धुआं दिनभर उड़ता है। पानी छिड़काव की मांग हुई। आंदोलन किया गया। संघर्ष जारी रहा। अचानक मामला हवा में धुएं की तरह उड़ गया। पीबी एरिया के जीएम ने कथित जन नेता को चैंबर में बुलाया। बात की। कहा- दिक्कत न हो। जिस नेता को जिम्मेवारी दी गई, उसका नाम पुलिस थानों में आपराधिक रिकॉर्ड में दर्ज है। ये कथित नेता आम से लेकर खास तक पर चढ़ावा चढ़ा रहे हैं। यह प्रसाद सबको मिल रहा है। आंदोलन करने वाले नेता से लेकर जनता के रक्षक तक- सबको। और पब्लिक- सुबह और शाम धुआं ही धुआं।


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