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Eid Milad-un-Nabi 2021: क्यों मनाई जाती है ईद-ए-मिलादुन्नबी, जानें इसका महत्व और इतिहास

Eid Milad-un-Nabi 571 ईसवी को सऊदी अरब के शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद (सल्ल) का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम धर्म को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 12:56 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 08:04 PM (IST)
Eid Milad-un-Nabi 2021: क्यों मनाई जाती है ईद-ए-मिलादुन्नबी, जानें इसका महत्व और इतिहास
पैगंबर साहब की याद में मनाई जाती ईद मिलादुन्नबी ( सांकेतिक फोटो)।

मो. शाहीद, वासेपुर। कोयलांचल के साथ-साथ मुस्लिम बहुल क्षेत्र वासेपुर में भी ईद मिलादुन्नबी की तैयारियां हो चुकी है। मंगलवार, 19 अक्टूबर को ईद मिलादुन्नबी मनाई जाएगी। हालांकि झारखंड सरकार के द्वारा कोविड-19 गाइड लाइन को देखते हुए मुस्लिम समाज ने यह फैसला लिया है कि शहर में ईद मिलादुन्नबी, का जुलूस नहीं निकाला जाएगा। कोविड-19 के गाइडलाइन को देखते इस वर्ष यह तय किया गया है कि ईद मिलादुन्नबी के जुलूस को मोहल्ले में ही निकाला जाएगा और वापस फिर लोग अपने घर को चले जाएंगे। हर वर्ष ईद मिलादुन्नबी के मौके पर मुस्लिम बहुल क्षेत्र वासेपुर से विशाल जुलूस निकाला जाता था, जो धनबाद के श्रमिक चौक के समीप से होते हुए वापस लोग अपने घर को चले जाते थे। इस दौरान श्रमिक चौक के समीप मुस्लिम सामाजिक संस्थाओं के द्वारा फलों और मिठाइयों का वितरण भी किया जाता था। जुलूस में शामिल लोगों के ऊपर फूलों की बारिश भी की जाती थी और इसके बाद लोग फातिहा खानी कर जरूरतमंदों के बीच खाना और वस्त्र का भी वितरण कर अपने घर को चले जाते थे। 

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क्यों मनाई जाती है ईद मिलादुन्नबी

571 ईसवी, को सऊदी अरब के शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद (सल्ल) का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम धर्म को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया है। आप हजरत मोहम्मद,(सल्ल) इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला है। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं, मोहम्मद (सल्ल) को वहीं पर (अल्लाह) रब्बुल इज्जत ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल, (अलै) के मार्फत पवित्र संदेश सुनाया। (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के रसूल मोहम्मद, (सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम) से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे। सैकड़ों की तादाद में, कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था। आप (सल्ल) ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया। लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए। साथ ही सभी लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए। साथ ही (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के पवित्र संदेश को भी सभी लोगों तक पहुंचाया। 

नाैजवान कमेटी ने जुलूस नहीं निकालने का लिया निर्णय

19 अक्टूबर को मोहम्मद साहब के जन्मदिवस पर मनाए जाने वाला पर्व ईद मिलादुन्नबी मानने को लेकर पुराना बाजार नौजवान कमेटी की बैठक जामा मस्जिद पुराना बाजार में हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कोरोना संक्रमण एवं झारखंड सरकार के कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए इस बार जुलूस नहीं निकाला जाएगा। संस्थापक सदस्य मो. सोहराब खान एवं मो. इमरान अली ने बताया कि कोरोना एवं झारखंड सरकार के गाइडलाइंस को देखते हुए इस बार भी पुराना बाजार नौजवान कमेटी किसी भी जलसे जुलूस का हिस्सा नहीं होगा। साथ ही कोई स्वागत मंच नहीं बनाया जाएगा। बैठक में सोहराब खान, इमरान अली(जीवा), गुलाम मुरसलीन, हाजी मो० इमरान, अफजल अंसारी, मो. अफसर, मो. ताजुद्दीन, मो शाहबुद्दीन, आरिफ आलम, मो. तनवीर अंसारी, मो. अफरोज मो. हुमायूं, मो सलाउद्दीन, मो. फिरोज सयैद मो. खालिद, मो. आरिफ मंडल, मो. मुबारक अंसारी, जहांगीर खान, मो. इमरान अंसारी (जुग्गनु)आदि उपस्थित थे।


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