जीटी रोड और हावड़ा-नई दिल्ली रेलमार्ग पर भूमिगत आग से खतरा, ईसीएल नहीं गंभीर
बनारसी खदान जीटी रोड व ग्रैंड कॉड के बीच में है। अग्नि प्रभावित क्षेत्र में ईसीएल की ओर से एमपीएल की छाई से भराई कराई जा रही है।
निरसा, जेएनएन। मुगमा क्षेत्र में ईसीएल की लखीमाता कोलियरी की अग्नि प्रभावित बनारसी खदान की आग अब जीटी रोड और हावड़ा-नई दिल्ली रेलमार्ग के लिए खतरा बन रही है। समय रहते इसपर काबू नहीं पाया गया तो दायरा बढऩे का खतरा है। इससे शासनबेडिय़ा एवं आसपास के कई गांव भी भूमिगत आग की चपेट में आ जाएंगे। ईसीएल प्रबंधन ने आग पर नियंत्रण के लिए अभी कोई कदम नहीं उठाया है।
जीटी रोड से करीब 150 फीट और हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग से एक किमी दूर इस खदान ने मंगलवार को ध्यान तब खींचा जब भूमिगत आग की चपेट में आकर बांकुड़ा के भाई-बहन झुलस गए। बनारसी खदान जीटी रोड व ग्रैंड कॉड के बीच में है। अग्नि प्रभावित क्षेत्र में ईसीएल की ओर से एमपीएल की छाई से भराई कराई जा रही है मगर उसके ऊपर मिट्टी नहीं डालने से प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। बनारसी खदान के अगल-बगल वन विभाग द्वारा वर्षों पूर्व लगाए गए सैकड़ों पेड़ जलकर खाक हो चुके हैं। इससे इलाके में पर्यावरण असंतुलन का भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
कभी भी हो सकता भयानक हादसा : ईसीएल मुगमा क्षेत्र के सलाहकार समिति के सदस्य गणेश धर कहते हैं कि अग्नि प्रभावित क्षेत्र से उठने वाली गैस के कारण लोग गंभीर बीमारियों से पीडि़त हो रहे हैं। छाई के प्रदूषण से लोगों को चर्म रोग से जूझना पड़ेगा। छाई भराई के बाद उस पर कम से कम 10 फीट मिटटी डाली जानी चाहिए परंतु इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। छाई पानी के साथ अंदर जाकर खदान को प्रभावित करेगी, भूगर्भ जल को भी प्रदूषित करेगा। हम लोग बार-बार सलाहकार समिति की बैठक में इस बात को उठाते हैं परंतु न प्रबंधन और न प्रशासन इस दिशा में ठोस कार्रवाई कर रहा है। इस दिशा में जनप्रतिनिधियों को भी गंभीरता से विचार करना चाहिए।
प्रबंधन को भाई-बहनों के झुलसने की सूचना नहींः मुगमा क्षेत्र के महाप्रबंधक सदानंद सुमन ने कहा कि बनारसी खदान में मंगलवार की दोपहर दो भाई-बहनों के झुलस कर बुरी तरह घायल हो जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। अग्नि प्रभावित क्षेत्र की छाई से भराई कराई जा रही है। आग पर पूरी तरह नियंत्रण पाने का प्रस्ताव ईसीएल मुख्यालय को भेजा जाएगा। प्रभावित एरिया से सारे ओबी को निकाल कर आग पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के बाद उसे भर दिया जाएगा। इस संबंध में लखीमाता कोलियरी के अभिकर्ता से बात कर आग पर तत्काल नियंत्रण पाने संबंधी बातचीत होगी।