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Quality Coal चाहिए तो देना होगा चढ़ावा, पढ़ें बीसीसीएल में कोयले की लदाई का खेल

सुनने में यह अटपटा भले लगे पर है बिल्कुल सच। भरोसा न हो तो नॉर्थ तिसरा कोल डंप आ जाएं। विपरीत परिस्थिति में मजदूरों ने जिस कोयले को खदान से निकाला वह यहां फिजूल में जलाया जा रहा है। कोयले के हजारों टन के ढेर में आग लगी हुई है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 01:24 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:46 PM (IST)
Quality Coal चाहिए तो देना होगा चढ़ावा, पढ़ें बीसीसीएल में कोयले की लदाई का खेल
कोल डिपो में ट्रक लोड करता पेलोडर ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। यहां सब कुछ संभव है। रनिंग ऑफ माइन की जगह स्टीम कोयला चाहिए मिलेगा, बस कुछ खर्च कर दीजिए। कोयला तब भी पेलोडर से ही लोड किया जाएगा, लेकिन उससे पहले मजदूरों की टोली कोयले के अंबार से चुन-चुन कर बेहतर कोयला अलग कर देगी। इसके लिए ज्यादा नहीं, बस प्रति गाड़ी 3000 रुपये रख दीजिए। सीधा सा हिसाब जीनागोड़ा डंप का है। मंजूर नहीं तो फैसला आपका। हालांकि कुछ कारोबारियों को यह भी मंजूर न हुआ। परिणाम कोयला लोड करने आए आधा दर्जन ट्रक पांच दिन खड़े रहकर लौट गए। आखिर शिकायत करें भी किससे, जब कंपनी का ही एक बाबू इस सुविधा का पैरोकार हो। यह स्थिति तब है, जबकि यहां आउटसोर्सिंग का कोयला स्टॉक किया जा रहा है। यानी ऊपरी कमाई की भी व्यवस्था कर ली गई है। ब्लॉक- 4 के बाद अब यहां भी कटमनी की व्यवस्था परवान पर है।

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भड़कती आग पर कोयले का ढेर

सुनने में यह अटपटा भले लगे, पर है बिल्कुल सच। भरोसा न हो तो नॉर्थ तिसरा कोल डंप आ जाएं। विपरीत परिस्थिति में मजदूरों ने जिस कोयले को खदान से निकाला, वह यहां फिजूल में जलाया जा रहा है। कोयले के हजारों टन के ढेर में आग लगी हुई है। अब इसपर जो बचा है, उसमें कोयला कम और पत्थर अधिक है। हालांकि इससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि इस विशाल ढेर के बगल में ही कोयले का नया स्टॉक भी है, जो पहाड़ का रूप लेता जा रहा है, लेकिन बेचारे मजदूर इसे भी सुलगता देखने को विवश हैं। कड़ी मेहनत के पसीने से ये चाहकर भी इन लपटों को बुझा नहीं पा रहे। विद्वान अधिकारियों ने आग बुझाने के लिए कुछ दमकल लगाकर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली है, लेकिन ऐसे में कोई खरीदार न मिले तो आश्चर्य क्या!

भला हो सीआइएसएफ का...

महंगाई के इस दौर में कोई तो है जो नो प्रोफिट नो लॉस के तहत लोगों को सस्ती दर पर सामग्री उपलब्ध करा रहा है। भले उसका लाभ वे लोग ही उठा पा रहे हैं, जो पहले से ही खा-पीकर अघाए हुए हैं। साहब लोग भी इन दिनों सीआइएसएफ की कैंटीन का भरपूर लाभ ले रहे हैं। दरअसल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने बीसीसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में अपने जवानों के लिए कैंटीन खोल रखी है। जवानों के नाम पर कर्मचारी व साहब भी इससे उपकृत हो रहे हैं। महंगाई के दौर में सस्ते में सामान दिलाने के लिए सीआइएसएफ को साधुवाद भी दे रहे हैं। यूं तो डीआइजी साहब ने कैंटीन बल के जवानों व उनके परिवार के लिए खुलवाई है, पर अपने यहां इतनी सख्ती से कानून मानने वालों को लकीर का फकीर ही समझा जाता है। इसलिए मौका मिले तो आप भी आजमाइए...।

वे लोग परमानेंट थे...

बीसीसीएल का नगीना, जेलगोड़ा स्टेडियम। कुछ दिन पहले इसी स्टेडियम में धनबाद क्रिकेट एसोसिएशन ने मैच का आयोजन किया। उद्घाटन स्वयं सीएमडी साहब ने किया था। साहब इधर उद्घाटन कर निकले ही थे कि कर्मचारियों ने भी हाथ जोड़ लिए। संयोग ऐसा कि तभी खिलाडिय़ों को प्यास लग गई। उन्होंने पानी मांग दिया। व्यवस्थापक तत्काल कर्मचारियों के पास दौड़े। स्टेडियम कार्यालय से दो बाल्टी पानी भरकर खिलाडिय़ों की गैलरी तक पहुंचा देने की विनती करने लगे। कर्मचारियों ने भी उसी सादगी से हाथ जोड़ दिए। कहा कि उनसे तो बाल्टी उठाई न जाएगी। कोई और व्यवस्था कर लें। उनके पास समय भी नहीं है। एक सहयोगी के घर पूजा का प्रसाद खाने जाना है... और वे चल दिए। उनका जाना था कि पीछे से एक भाई साहब पानी भरी बाल्टी लिए पहुंचे। पूछने पर बताया कि वे ठेका कर्मी हैं। प्रसाद खाने गए लोग परमानेंट थे।


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