Covid-19: काली मिर्च में पाए जाने वाले पिपराइन से कोरोना का पक्का इलाज का दावा, आइआइटी (आइएसएम) के शोध को मिला जर्नल ऑफ बायो मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स में स्थान
आइआइटी (आइएसएम) में अनुसंधान करने वालों का दावा है कि कोरोना को निष्प्रभावी करने वाले इसके गुणों का सैद्धांतिक रूप से अध्ययन कर लिया गया है। इस पर परीक्षण शुरू है। जल्द ही पिपराइन कोरोना की दवा के रूप में इस्तेमाल होने लगेगा।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। जबसे कोरोना वायरस अस्तित्व में आया है तबसे इसके इलाज के लिए शोध और अनुसंधान का काम जारी है। हालांकि अब तक कोरोना का कोई ठोक दवा सामने नहीं आई है। अनुसंधान की कड़ी में आइआइटी (आइएसएम) धनबाद के वैज्ञानिकों ने एक दावा किया है। यह दावा से काली मिर्च से कोरोना का पक्का इलाज का। काली मिर्च में पाए जाने वाले पिपराइन नामक रसायन से कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है।
जल्द ही पिपराइन कोरोना की दवा के रूप में होगा इस्तेमाल
आइआइटी (आइएसएम) में अनुसंधान करने वालों का दावा है कि कोरोना को निष्प्रभावी करने वाले इसके गुणों का सैद्धांतिक रूप से अध्ययन कर लिया गया है। इस पर परीक्षण शुरू है। जल्द ही पिपराइन कोरोना की दवा के रूप में इस्तेमाल होने लगेगा। परीक्षण में देखा जा रहा है कि वायरस को प्रभावहीन करने के लिए कितनी मात्रा में यह रसायन दिया जाए। इस कार्बनिक यौगिक के गुणों का अध्ययन करने वाली टीम के लीडर आइआइटी-आइएसएम के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर उमाकांत त्रिपाठी हैैं। बताते हैैं कि अध्ययन में मिले निष्कर्ष को जर्नल ऑफ बायो मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स में हाल ही में प्रकाशित किया गया है। पिपराइन के अध्ययन में टीम के सदस्य जनमेजय राउत और विकास चंद्र स्वाईं का अहम योगदान रहा।
नहीं पड़ेगा शरीर पर विपरीत प्रभाव
आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधि बताया गया है। इसमें मौजूद इस रसायन का जब दवा के रूप में इस्तेमाल होगा तो वायरस को निष्प्रभावी करेगा। इसका मानव शरीर पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस रसायन में एंटीवायरल गुण पाया जाता है। यह कोरोना से निजात दिलाने में वरदान बनेगा। प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि इस दिशा में काम करने वाली कंपनी इमेजिनेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जीव विज्ञान विकास विभाग के निदेशक डॉ. अशोक कुमार पात्रा की टीम परीक्षणों को अंजाम दे रही है।
इस तरह वायरस होगा निष्प्रभावी
प्रोफेसर त्रिपाठी की मानें तो वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद अपनी सतह पर मौजूद प्रोटीन का इस्तेमाल कर कोशिका में प्रवेश करने लगता है। इस प्रकार यह फेफड़ों को संक्रमित करता है। शरीर के अंदर अनुकूल परिस्थितियां मिलने के कारण वायरस की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है। विज्ञानियों ने कंप्यूटर आधारित तकनीक का उपयोग कर करीब 30 कार्बनिक यौगिकों के अणुओं का अध्ययन किया। पता चला कि क्षारीय गुणों से भरपूर पिपराइन मानव शरीर में रक्त के माध्यम से पहुंचता है तो संक्रमित कोशिकाओं में मौजूद वायरस के ऊपरी खोल के प्रोटीन से जुड़ जाता है। इस दौरान हुई रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप वह वायरस को निष्प्रभावी कर देता है। इस खोज से यह तय हो गया है कि कोरोना के खात्मे के लिए भविष्य में काली मिर्च का बड़ा योगदान होगा।