कोरोना ने बदल दी शिक्षण प्रणाली, और होंगे बदलाव
कोरोना संक्रमण ने जहां पूरी दुनिया को प्रभावित किया है वहीं इसने तकनीक को तेजी से अपनाने में भी लोगों की मदद की है। बड़े बदलाव और तकनीक की बात करें तो यह धनबाद की उच्च शिक्षा में देखने को मिला है।
धनबाद, जेएनएन : कोरोना संक्रमण ने जहां पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, वहीं इसने तकनीक को तेजी से अपनाने में भी लोगों की मदद की है। बड़े बदलाव और तकनीक की बात करें तो यह धनबाद की उच्च शिक्षा में देखने को मिला है।
अभी तक ऑनलाइन क्लास की बात चल रही थी, लेकिन अब हाईब्रिड क्लास, ड्राइ लैब, फ्लिप क्लास आने वाले हैं। पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीके सिन्हा के इस कांसेप्ट को झारखंड सरकार अपनाने जा रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में पठन-पाठन की उच्च तकनीक पूरे राज्य में देखने को मिलेगी।
प्राचार्य डॉ. बीके सिन्हा ने बताया कि हाईब्रीड क्लास, फ्लिप क्लास, ड्राई लैब समेत एजुकेशनल टेक्नोलॉजी सेंटर की अवधारणा को कोरोना काल में तैयार किया गया। शिक्षण व्यवस्था की आवश्यकताओं को देखते हुए तकनीक आधारित शिक्षण पद्धति पर जोर दिया गया। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में कॉलेज खुल रहे हैं। कक्षाएं संचालित होंगी, लेकिन कोरोना से बचाव को लेकर जारी निर्देशों का पालन करते हुए ही कक्षाएं संचालित की जानी है।
ऐसे में एक बार में 50 फीसद छात्र-छात्राएं ही कक्षाओं में उपस्थित हो सकेंगे। इसलिए हाइब्रीड क्लास की आवश्यकता होगी। ताकी शिक्षक किसी एक कक्षा में पढ़ाएं, लेकिन पढ़ने वाले छात्र अन्य कक्षाओं में भी बैठ कर विषय का ज्ञान ले सकते हैं। इसके अलवा प्रयोगशालाओं का लाभ भी छात्र-छात्राओं को वर्चुअल रूप से मिले इसकी भी व्यवस्था होनी चािहए।
उन्होंने बताया कि इस दौर में जरुरी है कि शिक्षक भी तकनीकी रूप से दक्ष हों। इसके लिए एक एजुकेशनल टेक्नोलॉजी सेंटर बनाने की आवश्यकता है। जहां शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण व्यवस्था से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा सके। वर्तमान दौरन में सभी व्यवस्थाएं डिजिटल होती जा रही हैं। ऐसे में कॉलेजों में पढ़ाई कैसे हो इसके लिए भी शिक्षकों को तैयार होना होगा।
उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान पीके रॉय ने फ्लिप क्लास की व्यवस्था की। इस व्यवस्था के तहत कॉलेज के ही करीब 6500 छात्र-छात्राओं ने अपनी पढ़ाई पूरी की। इनके अलावा 2500 छात्र-छात्राएं ऐसी थीं जो अन्य कॉलेजों से थे। वे भी इसमें शामिल। डॉ. सिन्हा ने बताया कि एजुकेशनल टेक्नोलॉजी सेंटर के उनके इस प्रस्ताव को झारखंड सरकार अपनाने जा रही है। ताकि भविष्य में छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मिल सके।