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Marxist Co-ordination Committee: घर में ही उखड़ गए पांव और बाहर में संगठन विस्तार की हो रही बात, 16 को बोकारो में महाधिवेशन

Marxist Co-ordination Committee (MCC) का धनबाद में कभी मजबूत जनाधार हुआ करता था। दिग्गज मार्क्सवादी विचारक एके राय धनबाद से सांसद हुआ करते थे। सिंदरी और निरसा विधानसभा क्षेत्र का इसके विधायक प्रतिनिधित्व करते थे। अब न सांसद हैं और विधायक।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 06:36 AM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 06:54 PM (IST)
मार्क्सवादी समन्वय समति के नेता पूर्व विधायक अरुप चटर्जी और अन्य (फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। मासस को फिर जिंदा करने की तैयारी शुरु हो गई है। इसे लेकर 16 दिसंबर को बोकारो में केंद्रीय कमेटी की बैठक बुलाई गई है। 15 सदस्यीय कमेटी में गिरीडीह, हजारीबाग, , रामगढ़, चतरा समेत सात जिलों से मासस के बड़े पदाधिकारी शामिल होंगे। देवचंद महतो, मिथिलेश सिंह को लेकर अरुप चटर्जी अगले केंद्रीय महाधिवेशन का खाका बाद में तैयार करेंगे, लेकिन आगामी चुनाव में पार्टी को मजबूत बनाने पर जोर देने वाले हैं। विगत चुनाव, कोरोना को लेकर विलंब हुए पार्टी के महाधिवेशन में जिला अध्यक्षों को चुनाव होना है।

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कभी धनबाद में सांसद और विधायक होते थे

Marxist Co-ordination Committee (MCC) का धनबाद में कभी मजबूत जनाधार हुआ करता था। दिग्गज मार्क्सवादी विचारक एके राय धनबाद से सांसद हुआ करते थे। सिंदरी और निरसा विधानसभा क्षेत्र का इसके विधायक प्रतिनिधित्व करते थे। अब न सांसद हैं और विधायक। देवघर, जामताड़ा में पार्टी को मजबूत बनाने की योजना है। इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी। अरुप चटर्जी ने कहा कि वे स्व. एके राय के नियमों को मानते हुए बंगाल मूव नहीं करेंगे, लेकिन झारखंड में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए पूरजोर लगाएंगे। उन्होंने यह भी साफ कहा है कि नए लोगों को पार्टी में सम्मान के साथ स्वागत करेंगे। दो-तीन सालों में पार्टी मजबूत रुप से उभरेगी और राय दा की मजदूर नगरी में अच्छी छाप छोड़ेगी। पूर्व विधायक ने कहा कि उनकी पार्टी में सभी का स्वागत है।

जिला नेतृत्व में होगा बदलाव

पूर्व विधायक अरुप चटर्जी ने कहा कि केंद्रीय महाधिवेशन के बाद जिला अध्यक्ष बदले जाएंगे। पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए संभव हो सके वैसे लोगों को खड़ा करेंगे जो जमीन से जुड़े हों। आगामी चुनाव में चार साल बचे हैं। उस बीच बहुत कुछ बदलाव दिखेगा


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