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आज ही के दिन 1949 में अपनाया गया था देश का संविधान, हर वर्ग के लोगों ने दोहराया संकल्‍प

1949 में 26 नवंबर को संविधान समिति ने देश का संविधान अपनाया था। इसीलिए इस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस बार सुबह 11 बजे सरकारी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों ने प्रस्तावना को आत्मसात किया।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 03:53 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 03:53 PM (IST)
आज ही के दिन 1949 में अपनाया गया था देश का संविधान, हर वर्ग के लोगों ने दोहराया संकल्‍प
प्रखंड से लेकर जिला तक सभी ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।

जेएनएन, धनबाद: 1949 में 26 नवंबर को संविधान समिति ने देश का संविधान अपनाया था। इसीलिए इस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस बार सुबह 11 बजे सरकारी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों ने प्रस्तावना को आत्मसात किया। कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए प्रखंड से लेकर जिला तक सभी ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।

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[गुरुवार को संविधान दिवस के मौके पर डीआरएम कार्यालय परिसर में संविधान बचाने की शपथ लेते डीआरएम आशीष बंसल। साथ में रेलवे अधिकारी व कर्मचारी। इस दौरान संविधान बचाने की शपथ तो ली गई, लेकिन शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ गई।]

संवाद-वेबिनार का भी आयोजन: इसके अलावा प्रखंड एवं जिला स्तर पर भारतीय संविधान विषय पर संवाद-वेबिनार का भी आयोजन किया गया। इसमें संविधान के बारे में जानकारी दी गई। इसमें खासकर न्याय, स्वतंत्रता, बराबरी, भाईचारा-बंधुत्व की भावना बढ़ाने पर जोर दिया गया। शिक्षकों ने छात्रों को बताया कि हमारा संविधान कहता है कि धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर लोगों से भेदभाव नहीं करना चाहिए। संविधान की नजर में सब बराबर हैं। अपने विचारों को व्यक्त करने, अपना धर्म चुनने, अपने लिए नौकरी चुनने और समाज की बेहतरी के लिए विकल्प चुनने की पूरी स्वतंत्रता है। छात्रों को बताया गया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। राजकीयकृत मध्य विद्यालय धैया में शिक्षक राजकुमार वर्मा की मौजूदगी में सोनाई चंद्र, मानोशी कर, आरुषि कर ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।

[गुरुवार को संविधान दिवस के मौके पर कोर्ट परिसर में संविधान बचाने की शपथ लेते अधिवक्ता व न्यायाधीश]

यह है संविधान की प्रस्तावना: हम भारत के लोग, भारत को एक संप्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए और उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्रदान करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढृाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं। 


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