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Weekly News Roundup Dhanbad: रामायण बंद, महाभारत शुरू... पढ़िए लॉकडाउन में घर-घर की कहानी

लॉकडाउन पार्ट-1 में हर घर सफाईकर्मियों से विहीन हो गया। समय बीतता गया। लोग घरों में कैद होने लगे। दो दिन पांच दिन फिर 21 दिन। लॉकडाउन 2.0 शुरू होते ही उम्मीदों पर पानी फिर गया।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2020 02:32 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2020 02:32 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: रामायण बंद, महाभारत शुरू... पढ़िए लॉकडाउन में घर-घर की कहानी
Weekly News Roundup Dhanbad: रामायण बंद, महाभारत शुरू... पढ़िए लॉकडाउन में घर-घर की कहानी

धननबाद [ आशीष सिंह ]। मुआ कोरोना मरवा के ही मानेगा। वायरस से बच भी गए तो श्रीमती के शब्दों के बाण से भला कौन बचाए। घर में ही सब लॉकडाउन हैं। मिट्ठू रोड के देवेश गुप्ता (बदला हुआ नाम) बच्चों के साथ रामायण देखने में तल्लीन थे। अनुज लक्ष्मण और मेघनाथ का युद्ध चरम पर था। मेघनाथ ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र बाण छोड़ा। नजदीक आने पर लक्ष्मण ने प्रणाम किया तो ब्रह्मास्त्र वापस चला गया। इसी बीच श्रीमती जी ने फ्रिज से टमाटर निकालकर देने को कहा। गुप्ता जी तो रामायण में तल्लीन। श्रीमती जी ने तीन-चार बार आवाज लगाई। गुप्ता जी ने सुना ही नहीं। बस फिर क्या था। किचन से ही तीव्र वेग से सनसनाता हुआ प्याज का बड़ा सा टुकड़ा आया। लक्ष्मण की तरह इन्होंने भी प्रणाम करने के लिए हाथ उठाया। वापस तो गया पर माथे पे सूजन दे गया। बस फिर क्या था, रामायण बंद और महाभारत शुरू। 

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अपनों से लग रहा डर

भूली के सुरेश निजी वैन चालक हैं। रायमुनी घरों में झाड़ू-पोंछा करती हैं। पांडरपाला के राकेश राजमिस्त्री हैं। सुरेश यादव बाबूडीह में चाय बेचते हैं। इनके पास कोई काम नहीं बचा। सो मूल काम छोड़ सब्जी बेचने लगे हैं। इन जैसे कई हैं, जो अपना मूल पेशा छोड़ सब्जियां बेच रहे हैं। हर दिन इसका बाजार सज रहा है। यहां एक चीज गौर करने वाली है। सब्जी की दुकानों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। बिनोद बिहारी चौक पर पिछले दस वर्षों से रामाधार महतो सब्जी बेच रहे हैं। बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले एक दर्जन दुकानें लगा करती थीं। आज 50 से 60 दुकानें हैं। वैन चालक, गोलगप्पे बेचने वाले, राजमिस्त्री तक सब्जी बेच रहे हैं। अब तो एक सब्जी वाला दूसरे सब्जी वाले से ही डर रहा है। कई बार तो जगह कब्जा करने के लिए बहस तक हो जा रही है। 

कामवाली बाई आयी क्या

लॉकडाउन पार्ट-1 में हर घर सफाईकर्मियों से विहीन हो गया। समय बीतता गया। लोग घरों में कैद होने लगे। दो दिन, पांच दिन फिर 21 दिन। लॉकडाउन 2.0 शुरू होते ही उम्मीदों पर पानी फिर गया। काम करते-करते लोगों की बस हो गई। फिर क्या था। जान है तो जहान का नारा किनारे हो चला। लोगों ने धड़ाधड़ अपनी कामवाली बाई को बुलाना शुरू कर दिया। शारीरिक दूरी बाद में देखेंगे, पहले घर का काम तो चले। पंडित क्लीनिक रोड और मनोरम नगर में कामवाली बाई ने काम करना शुरू कर दिया है। लोग अपने घर पर बुलाने से बाज नहीं आ रहे। तर्क भी एक से बढ़कर एक है। कामवाली का कहना है पैसे की जरूरत है। तो मालिक कहते हैं कि सोचा था लॉकडाउन खत्म हो जाएगा। अब नहीं खत्म हो रहा है तो क्या करें। कोरोना के चक्कर में काम करते-करते मर जाएंगे। 


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