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Indian Railways, IRCTC: यात्रीगण कृपया ध्यान दें... आरक्षण पर्ची में पिन कोड, जिला और डाकघर का पता लिखिए, वरना फिर से लगनी होगी लाइन

Indian Railways Alert आरक्षण कार्यालय के कर्मचारी माइक से घोषणा कर रहे हैं। यात्रीगण कृपया ध्यान दें...। आरक्षण पर्ची में जहां जाने वाले हैं वहां का पूरा पता और पिन कोड लिख क दें। बिना भरे गए फार्म रद हो जाएंगे और आपको इसके लिए दोबारा लाइन लगनी होगी...।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 02:07 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 05:42 AM (IST)
Indian Railways, IRCTC:  यात्रीगण कृपया ध्यान दें... आरक्षण पर्ची में पिन कोड, जिला और डाकघर का पता लिखिए, वरना फिर से लगनी होगी लाइन
रेल आरक्षित टिकट खिड़की ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। अगर आप ट्रेन का टिकट बुक करने जा रहे हैं तो अपने गंतव्य का पूरा पता नोट कर लीजिए। सिर्फ राज्य और जिला बताने से काम नहीं चलेगा और उस शहर का पिन कोड और डाकघर भी बताइए, तभी टिकट बुक होगा। अगर आप आरक्षण फार्म में यह सब लिखकर काउंटर पर नहीं बढ़ाते हैं तो आपका आवेदन इंवैलिड हो जाएगा और सबकुछ भरकर फिर से लाइन लगनी होगी। जी हां, रेलवे ने सिर्फ कोरोना काल से पहले वाली ट्रेनों के नंबर और किराए में बदलाव को ग्रीन सिग्नल दिया है। दूसरे सारे नियम वैसे ही हैं। अब तो आरक्षण काउंटर पर पता और पिन कोड के साथ आवेदन देने के लिए अनाउंसमेंट भी शुरू हो गया है।

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रेल कर्मचारी यात्रियों कर रहे अलर्ट

धनबाद रेलवे स्टेशन स्थित आरक्षण कार्यालय के कर्मचारी माइक से घोषणा कर रहे हैं। यात्रीगण कृपया ध्यान दें...। आरक्षण के आवेदन फार्म में जहां जाने वाले हैं, वहां का पूरा पता और पिन कोड लिख क दें। बिना भरे गए फार्म रद हो जाएंगे और आपको इसके लिए दोबारा लाइन लगनी होगी...।

कोरोना के दाैरान लागू हुई यह व्यवस्था

रेलवे ने पिछले साल कोरोना काल के दौरान यह व्यवस्था लागू की थी। इसका उद्देश्य यात्रियों से जुड़ी जानकारी रखना था ताकि दूसरे शहर में जानेवाला यात्री या उसके साथ जानेवाले लोग संक्रमित हो जाएं तो उन्हें आइसोलेट या क्वारेंटाइन किया जा सके। जिस वक्त यह व्यवस्था प्रभावी हुई थी, उस समय वैक्सीनेशन भी शुरू नहीं हुआ था। अब सौ करोड़ से ज्यादा लोग कोराेना वैक्सीन लगा चुके हैं। यहां तक कि जनरल टिकट पर सफर की भी अनुमति मिल गई है। पर रेलवे अब भी डाकघर, जिला, राज्य और पिन कोड का पता पूछ रही है।

गूगल खोलिए और कुछ भी लिखकर दे दीजिए, मिल जाएगा टिकट

रेलवे की इस व्यवस्था से वैसे यात्रियों को परेशानी हो रही है जो कम पढ़े-लिखे हैं या ग्रामीण क्षेत्र के हैं। अन्य ज्यादातर लोग गूगल बाबा की सेवा ले रहे हैं। जहां जाना है वहां का कोई भी पिन कोड और पता लिखकर देते ही टिकट बुक हो रहे हैं। रेलवे के पास ट्रैकिंग की ऐसी कोई सुविधा नहीं है जिससे यह पता किया जा सके कि यात्री जहां जा रहा है, उसने वहीं का पिन कोड दिया है या उस जिले के दूसरी जगह का पिन कोड लिख है। उदाहरण के तौर पर अगर आप पटना, दिल्ली या कोलकाता जा रहे हैं कि उन शहरों के अलग-अलग जगहों के अलग-अलग पिन कोड हैं। रेलवे रिजर्वेशन के लिए उनमें से कोई भी लिख कर काम चला सकते हैं।


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