Weekly News Roundup Dhanbad: राजधानी के सफर में तेलचट्टों को नहीं डर, पढ़ें प्रीमियम ट्रेनों में साफ-सफाई की कहानी
Weekly News Roundup Dhanbad रेल गाड़ियों में कॉकरोच को सफर में मिलने वाली छूट का दायरा बढ़ गया है। पहले पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों में मुफ्त सफर करने वाली कॉकरोच फैमिली अब राजधानी एक्सप्रेस के सेकेंड एसी कोच में मजा ले रही है।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। Weekly News Roundup Dhanbad रेलवे ने आठ-नौ महीने से तकरीबन तमाम रियायतें बंद रखी हैं। कोरोना काल में बुजुर्ग और बीमार भी रियायती सफर के दायरे से बाहर हो चुके हैं, पर लगता है कि कॉकरोच (तेलचट्टा) को सफर में मिलने वाली छूट का दायरा बढ़ गया है। पहले पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों में मुफ्त सफर करने वाली कॉकरोच फैमिली अब राजधानी एक्सप्रेस के सेकेंड एसी कोच में मजा ले रही है। ऐसा हम नहीं, बल्कि हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में सफर करने वाले यात्री का कहना है। अब्दुल हन्नान खान ने जो पीड़ा बयां की, आप भी जानिए। उन्होंने बताया- कमाल है, कोच कॉकरोच से भरा हुआ था। राजधानी एक्सप्रेस में ऐसा! टीटीई और सफाई कर्मी से उनके साथ-साथ सहयात्री ने भी गुजारिश की, मगर उन दोनों ने भी नमस्ते कर लिया। आखिरकार रेल मंत्रालय के ट्विटर को खटखटाया गया। वहां दस्तक देते ही अफसरान कॉकरोच भगाने की तरकीब ढूंढऩे लगे।
टीटीई ने पैसे लिए, पकड़वा भी दिया
टीटीई बाबू की जेब भरने की कला से सभी वाकिफ हैं, साबका पड़ा होगा, पर कभी-कभी उनकी ईमानदारी की तारीफ महकमे के मुखिया भी कर देते हैं। अब 27 नवंबर का ही वाकया ले लीजिए। हावड़ा से जबलपुर जा रही शक्तिपुंज एक्सप्रेस में पांच ऐसे यात्री सवार हुए थे जिनके पास रद टिकट था। टीटीई बाबू आए और बारी-बारी से टिकट मांगना शुरू किया। इन यात्रियों के पास भी पहुंचे। जैसे ही उन्होंने टिकट दिया, टीटीई बाबू की आंखें बड़ी हो गईं। उनके सामने बैठे यात्री रवि साव इस प्रकरण के चश्मदीद थे। उन्होंने ट््िवटर पर इसे वायरल कर दिया। यह भी बताया कि टीटीई ने 500 रुपये लेकर सेटिंग कर ली। मामला डीआरएम तक पहुंच गया तो उन्होंने ट््वीट कर बताया कि यात्री रिश्वत देने की कोशिश कर रहे थे। ऑन ड्यूटी ने इन्कार किया और उन्हें आरपीएफ के हवाले कर दिया।
रेलवे ने खिड़की से झांकने न दिया
रेलगाड़ी हो या बस, खिड़की के पास की सीट किसे अच्छी नहीं लगती। बदलते नजारे को निहारती आंखों के बीच कब सफर कट जाता है, पता ही नहीं चलता। जरा सोचिए, आपने विंडो सीट बुक करा रखी है और जब बैठने गए तो देखा कि सीट खिसक कर बीच में आ गई है, तो नाराजगी तो बनती है। ऐसा ही हुआ प्रेम सिंह के साथ। गया जाना था तो उन्होंने धनबाद-गया इंटरसिटी एक्सप्रेस में विंडो सीट बुक कराई। सोचा था कि खिड़कियों से बाहर निहारते चार घंटे का वक्त यूं ही गुजर जाएगा, पर शायद उनकी प्लानिंग रेलवे को रास नहीं आई। शनिवार की सुबह जब धनबाद स्टेशन पहुंचे तो उनकी ङ्क्षवडो सीट बदल कर मिड्ल हो चुकी थी। पहले तो खूब गुस्सा आया। मन ही मन रेलवे को जमकर कोसा और डीआरएम को ट््वीट भी किया। तुरंत जवाब आया। लिखा था- सॉरी।
बेटिकट नो एंट्री तो इनको कैसे एंट्री
आपके पास कंफर्म टिकट नहीं है तो ट्रेन में चढऩा तो दूर, स्टेशन के अंदर भी नहीं जा सकते हैं। रेलवे ने मुख्य प्रवेश द्वार से प्लेटफॉर्म तक तगड़ा बंदोबस्त कर रखा है, पर सफर करने वाले यात्री ऐसी-ऐसी तस्वीरें ट््िवटर पर वायरल कर रहे हैं कि सारी सुरक्षा कवायद की पोल खुल जा रही है। अजमेर से सियालदह जाने वाली ट्रेन के यात्री हरिकेश मीणा ने तीन दिसंबर को ऐसी ही एक पोल खोलने वाली तस्वीर शेयर की। फोटो एक ऐसे शख्स का है जो बिना किसी अनुमति एसी कोच में चढ़ा हुआ है और अपनी मोटरी-गठरी रखकर कोच की सफाई कर रहा है। चलती ट्रेन में सफाई करने वाला शख्स कूड़े हटाने के बाद यात्रियों के सामने पैसे-दो पैसे के लिए हाथ भी फैला रहा है। इस रहमोकरम पर सवाल उठता है कि बेटिकट को नो एंट्री तो इनको कैसे एंट्री।