Australian Mines की आग बूझ सकती है तो झरिया की क्यों नहीं ? Coal Ministry की तकनीकी टीम ने उठाया सवाल
विस्थापन की प्रक्रिया एक जटिल उद्यम है। जिसे पूरा करने में कुछ समय लग सकता है। क्योंकि समय के साथ इन इलाकों में कई लोगों ने अवैध रूप से अपना ठिकाना बना लिया है। इनकी पहचान के लिए गूगन अर्थ और मैप का सहारा लिया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर आई कोयला मंत्रालय की टीम ने कोयलांचल इलाके के खदानों में लगी आग पर काबू पाने के लिए आस्ट्रेलियन तकनीक का उपयोग करने की सलाह दी है।
तकनीकी निदेशक पीयूष कुमार इस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, तो दसरे सदस्य नारायण दास मंत्रालय के कार्यपालक निदेशक सुरक्षा हैं। टीम ने अग्निप्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद विभिन्न खनन कंपनियों के अधिकारियों से बात करने के बाद यह सलाह दी। उनका कहना था कि जब आस्ट्रेलिया के खानों में दशकों से धधकती भूमिगत आग पर काबू पाया जा सकता है, तो फिर यहां के आग प्रभावित इलाकों की स्थिति पर क्यों नहीं। जबकि यहां की भयावहता बहुत कम है।
जागरण से बात करते हुए पीयूष कुमार ने कहा कि विस्थापन की प्रक्रिया एक जटिल उद्यम है। जिसे पूरा करने में कुछ समय लग सकता है। क्योंकि समय के साथ इन इलाकों में कई लोगों ने अवैध रूप से अपना ठिकाना बना लिया है। इनकी पहचान के लिए गूगन अर्थ और मैप का सहारा लिया जा सकता है। साथ ही आधुनिक तकनीक से लैस सैटेलाइट मैपिंग के जरिए भी उनकी पहचान की जा सकती है। जरूरत है बस थोड़े धैर्य से काम करने की। क्योंकि इन तकनीकों का सहारा लेकर हमें 1999 से लेकर अभी तक के स्थिति का आकलन करना होगा। उस समय से लेकर वर्तमान तक के चित्रों का मिलान कर अवैध कब्जाधारियों की पहचान की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर बनी हाई पावर समिति की प्रत्येक गतिविधि की मानिटरिेंग पीएमओ द्वारा की जा रही है। पीएमओ का एजेंडा स्पष्ट है। जो आग पर काबू पाने के अलावा लोगों के सुरक्षित विस्थापन से जुड़ा हुआ है। इसको लेकर जल्द ही समिति की बैठक पीएमओ के शीर्ष अधिकारी की अध्यक्षता में आगामी 14 तारीख को नई दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक होनेवाली है। जो पीएमओ की गंभीरता को बताती है।