Coal India: रैयतों से बाजार दर पर जमीन लेगी कोल इंडिया, लंबित परियोजनाओं में आएगी तेजी
कोल इंडिया को अगले पांच साल में 450 मिलियन टन कोयला उत्पादन की आवश्यकता है। इसके लिए जमीन चाहिए। करीब 60 नए प्रोजेक्ट के साथ 193 परियोजनाओं के विस्तारीकरण के लिए जमीन चाहिए।
धनबाद [आशीष अंबष्ट]। कोयला उत्पादन में जमीन की समस्या दूर करने के लिए कोल इंडिया अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करेगी। इसके तहत किसानों से सरकारी की बजाय बाजार दर पर जमीन का मोलभाव किया जाएगा। इस प्रकार रैयतों को जमीन की दोगुना से ज्यादा कीमत मिल सकेगी।
अभी तक सौदा मंदा रहने की वजह से रैयत जमीन देने में आनाकानी करते हैं, जिसके चलते 200 से अधिक परियोजनाओं का श्रीगणेश नहीं हो सका है। कोल इंडिया ने पुनर्वास नीति (आरएनआर) में बदलाव करने के लिए कोयला कंपनियों से ड्राफ्ट मांगा है ताकि इसको और बेहतर किया जा सके। 2012-13 के बाद इसमें संशोधन किया जा रहा है। अभी कोयला कंपनियों में दो एकड़ जमीन पर नौकरी सहित दाम व शिफ्टिंग की राशि मिलती है। नई पॉलिसी के तहत विस्थापितों को अधिक सुविधा मिले, इसपर विशेष ध्यान है। अवैध कब्जाधारी के शिफ्टिंग की दर में वृद्धि कर दी गई है।
कोल इंडिया को अगले पांच साल में 450 मिलियन टन कोयला उत्पादन की आवश्यकता है। इसके लिए जमीन चाहिए। करीब 60 नए प्रोजेक्ट के साथ 193 परियोजनाओं के विस्तारीकरण में जमीन अधिग्रहण की समस्या बाधक बन रही है। इसमें बदलाव कर ही रैयतों को खुश किया जा सकता है। प्रबंधन कई पावर प्लांट कंपनियों के आरएनआर स्कीम का भी अध्ययन कर रहा है। नौकरी नहीं लेने पर अधिक पैसा देने पर भी विचार किया जा रहा है।
कोल इंडिया ने आरएनआर पॉलिसी में बदलाव का विचार किया है। सभी कंपनियों से भी ड्राफ्ट मांगा गया है। नए प्रोजेक्ट को चालू करने में नई पुनर्वास नीति जरूरी है।
-विनय दयाल, तकनीकी निदेशक कोल इंडिया