चुनौतियां काफी फिर भी देश में कोयला की जरूरत को पूरा करेंगे
धनबाद चुनौतियां काफी हैं। जमीन अधिग्रहण की समस्याएं हैं लेकिन तमाम समस्याओं के बावजूद हमें देश में कोयले की जरूरत को पूरा करना है। विश्वास सबसे बढ़ी चीज होती है।
धनबाद : चुनौतियां काफी हैं। जमीन अधिग्रहण की समस्याएं हैं, लेकिन तमाम समस्याओं के बावजूद हमें देश में कोयले की जरूरत को पूरा करना है। विश्वास सबसे बढ़ी चीज होती है। हमारे श्रमिक काफी मेहनती हैं। यह बातें कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने बुधवार को ईसीएल दौरे के क्रम में कही। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण विकास पर भी ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि खनन के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। हमें उन तकनीक को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने ईसीएल सीएमडी, निदेशक मंडल व महाप्रबंधकों के साथ बैठक में क्षेत्र की समस्याओं एवं भावी योजनाओं की जानकारी ली। चेयरमैन ने कहा कि कंटीन्यूअस माइनिग एवं लांगवाल माइनिग तकनीक का उपयोग करने की जरूरत है। रानीगंज झरिया क्षेत्र में बेहतर कोयला का भंडार है। सुरक्षा हमारी प्राथमिकता में होने चाहिए। कोल इंडिया की स्थिति को और बेहतर करने की जरूरत है। बैठक के दौरान भूमिगत खदानों के उत्पादन बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई। चेयरमैन ने कहा कि भूमिगत खदानों को कैसे मुनाफे में लाया जाए, इस पर अध्ययन करें। इस दौरान कोल इंडिया के चेयरमैन ने राजमहल क्षेत्र में मिल कोल ब्लाक से कोयला खनन की स्थिति, सीबीएम प्रोजेक्ट की भी जानकारी ली। उन्हें कंपनी स्तर पर बनाए गए वर्क प्लान को भी दिखाया गया। ईसीएल का चालू वित्तीय वर्ष में 56 मिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य दिया गया। ईसीएल 19 प्रतिशत नकारात्मक ग्रोथ है। इस दौरान चेयरमैन ने सोनपुरबजारी, कनसतोडिया व झाझंरा प्रोजेक्ट का निरीक्षण भी किया।
बैठक के दौरान ईसीएल सीएमडी पीएस मिश्रा, डीटी बी वीरा रेड्डी, डीपी विनय रंजन, डीटी जीपी गुप्ता, डीएफ सीके डे सहित विभिन्न एरिया के जीएम मौजूद थे। वहीं विभिन्न समस्याओं व कोल इंडिया की योजनाओं को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी शुक्रवार को मिलेंगे। कोयला उठाव में बढ़ोत्तरी :
धनबाद : कोल इंडिया ने चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में रिपोर्ट जारी कर दी है। कोयला उठाव 32.7 प्रतिशत बढ़कर 160.4 मिलियन टन हो गया है। पिछले वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी का कुल उठाव 120.8 मीट्रिक टन था। ईसीएल, एसईसीएल, सीसीएल व बीसीसीएल को बेहतर करने की दिशा में कई सुझाव भी दिए गए है। वैसे कोयला आयात में भी काफी कमी आई है।