Coal India:कोल इंडिया नहीं करेगी बीसीसीएल की आर्थिक मदद, नए ग्राहक तलाशने का चेयरमैन ने दिया निर्दश
Coal India chairman Pramod Agarwal चेयरमैन ने कहा कि इस स्थिति से उबरने के लिए बीसीसीएल को स्वयं ही प्रयास करना होगा। दूसरा कोई उपाय नहीं है। जिस दिन कंपनी 30 मिलियन टन उत्पादन करने लगेगी सारा संकट स्वत समाप्त हो जाएगा।
धनबाद, जेएनएन। घाटा से उबरने में कोल इंडिया बीसीसीएल की कोई आर्थिक मदद नहीं करेगी। यह खरी-खरी कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल की है। सोमवार को अग्रवाल धनबाद आए हुए थे। उन्होंने कोयला नगर गेस्ट हाउस में बीसीसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एवं अन्य निदेशकों के साथ मैराथन बैठक की। तकरीबन ढाई घंटे चली बैठक में अग्रवाल ने कंपनी की वित्तीय स्थिति, उत्पादन एवं डिस्पैच की जानकारी ली। अधिकारियों को स्थिति में सुधार लाने का निर्देश दिया।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में चेयरमैन ने कहा कि इस स्थिति से उबरने के लिए बीसीसीएल को स्वयं ही प्रयास करना होगा। दूसरा कोई उपाय नहीं है। जिस दिन कंपनी 30 मिलियन टन उत्पादन करने लगेगी सारा संकट स्वत: समाप्त हो जाएगा। इस प्रश्न पर कि जो कोयला उत्पादित हो रहा है वह भी नहीं बिक रहा। चेयरमैन ने कहा कि कोयला अगर व्यापक पैमाने पर उत्पादित हुआ तो वह बिकेगा जरूर। उन्होंने इसकी कीमत घटाने से इनकार किया और कहा कि बीसीसीएल के कोयले की जो गुणवत्ता है उस हिसाब से इसकी दर अधिक नहीं है। मार्केट में कोयले की मांग कुछ कम है जो जल्द ही ठीक हो जाएगी। इसके लिए कंपनी को नए ग्राहक तलाशने को कहा गया है।
रियलाइजेशन के मुद्दे पर चेयरमैन का कहना था कि पावर सेक्टर स्वयं संकट में हैं। इसलिए कुछ परेशानी है। यह अस्थाई है। स्थिति जल्द सुधरेगी। हालांकि कंपनी को स्टील सेक्टर और अन्य उद्योगों की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने लिंकेज के मुद्दे पर कहा कि लगातार ऑक्शन होते रहने से लिंकेज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बीसीसीएल को व्यापक पैमाने पर ऑक्शन करना चाहिए, ऐसा कहा गया है। लेकिन यह तभी होगा जब उस अनुपात में कोयला का उत्पादन हो।
नए क्षेत्र में कदम रखेगी कॉल इंडिया
चेयरमैन ने कहा के अगले 25 वर्ष में कोल इंडिया को कोयले का विकल्प तलाश लेना होगा। क्योंकि उसके बाद ग्रीन एनर्जी की मांग के कारण कोयले की मांग लगभग नहीं रहेगी। लिहाजा कंपनी ने नए क्षेत्रों में अवसर तलाशना शुरू कर दिया है। सोलर एनर्जी इसी का एक प्रयास है। साथ ही सीबीएम प्रोजेक्ट पर भी हमने काम करना शुरू किया है। एक बार टेंडर किया गया लेकिन कोई पार्टी सामने नहीं आई। इस बार फिर हमने टेंडर किया है। उम्मीद है कि इस बार हमें सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने झारखंड में भी कोयला से इतर अन्य क्षेत्रों में निवेश करने की बात कही।