गोलकडीह में कैंप बनाने को लेकर ग्रामीणों व आउटसोर्सिंग समर्थकों में नोकझोंक, धक्कामुक्की
तिसरा गोलकडीह डिपू धौड़ा के पास देवप्रभा आउटसोर्सिंग परियोजना का कैंप बनाने के लिए गुरु
तिसरा : गोलकडीह डिपू धौड़ा के पास देवप्रभा आउटसोर्सिंग परियोजना का कैंप बनाने के लिए गुरुवार को ग्रामीणों व आउटसोर्सिंग समर्थकों के बीच काफी नोकझोंक और धक्का-मुक्की हुई। स्थिति तनावपूर्ण हो गया। ग्रामीणों के विरोध करने की सूचना पाकर तिसरा थाना की पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। काफी मशक्कत के बाद लोगों को शांत किया।
पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने काफी सूझबूझ से त्रिपक्षीय वार्ता कराई। प्रबंधन ने ग्रामीणों को बिजली, पानी, शौचालय, रोजगार की व्यवस्था का आश्वासन दिया। इसके बाद मामला शांत हुआ। लोदना क्षेत्र से डोजर मंगाकर कैंप बनाने के लिए समतलीकरण का काम प्रारंभ हुआ। काम प्रारंभ होने से प्रबंधन व प्रशासन ने राहत की सांस ली।
बताते हैं कि डिपू धौड़ा के पास 600 करोड़ की आठ वर्षों तक चलने वाली परियोजना के लिए देवप्रभा कंपनी की ओर से कैंप का निर्माण किया जाना था। गुरुवार को आउटसोर्सिंग परियोजना देवप्रभा के जीएम शीतला सिंह बीसीसीएल व आउटसोर्सिंग की डोजर मशीन लेकर पहुंचे। जानकारी मिलने पर सैकड़ों ग्रामीण हाथ में लाल झंडा लेकर मासस व बीसीकेयू के नेतृत्व में जमा हुए। वे कैंप बनाने का विरोध करने लगे। जीएम शीतला सिंह, कुजामा के पीओ केके सिंह, प्रबंधक सपन मंडल, केएन जयसवाल के साथ तिसरा थाना प्रभारी अभिजीत कुमार ने वार्ता कराई।
पहले चरण में वार्ता में कोई सहमति नहीं बनी। बाद में जोड़ापोखर थाना के इंस्पेक्टर संजीव तिवारी व आउटसोर्सिंग कंपनी के निदेशक कुंभनाथ सिंह पहुंचे। ग्रामीणों के अलावा मासस व बीसीकेयू के प्रतिनिधियों से वार्ता हुई। वार्ता में सहमति बनी कि कैंप निर्माण से ग्रामीणों को परेशानी नहीं होगी। ग्रामीण के घर के पास से लोदना का मेन रास्ता होगा। इसी रास्ते से पेयजल का पाइप जाएगा। जब तक यहां के लोगों का विस्थापन नहीं हो जाता है। टैंकर से पानी दिया जाएगा। शौचालय की भी व्यवस्था करेंगे।
इसके बाद कंपनी के समर्थक चूना लेकर सीमांकन करने लगे। तभी महिलाएं उग्र हो गई। सीमांकन कर रहे युवकों से बोरा छीनने लगीं। इसी बीच नोकझोंक के बाद दोनों ओर के लोगों में धक्का-मुक्की होने लगी। महिलाओं ने हाथ में पत्थर तक उठा लिया। पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कैंप स्थल के लिए सीमांकन कराया। यह भी तय हुआ कि बंगाली कोठी में जाकर जमीन यूनियन प्रतिनिधि और प्रबंधन देखेंगे। इस पर सहमति बनने पर वहां लोगों को बसाया जाएगा। लगभग चार घंटे तक दोनों ओर से तनाव का माहौल कायम रहा।
ग्रामीणों का कहना था कि प्रबंधन पर भरोसा नहीं है। हमेशा वादाखिलाफी होता रहा है। पूर्व में भी हम लोगों को आश्वासन दिया गया था कि पानी मिलेगा। कुछ नहीं हुआ। हम लोग ठगे जा रहे हैं। वार्ता में तय बातों पर अमल नहीं हुआ तो फिर आंदोलन करेंगे। मौके पर तिसरा थाना प्रभारी अभिजीत कुमार, घनुडीह ओपी प्रभारी चंद्रशेखर सिंह, लोदना व अन्य थाना के पुलिस अधिकारी के अलावा दंडाधिकारी डाक्टर प्रमोद कुमार, कंपनी की ओर से सेलो पासवान, मुन्ना सिंह, संतोष सिंह, बिट्टू सिंह, ग्रामीणों में सुरेश भुइयां, हीरा भुइयां, राजेश भुइयां, मनीष यादव आदि थे। 50 लाख टन कोयला का होगा उत्पादन :
कुजामा में लगभग आठ साल तक आउटसोर्सिंग परियोजना के चलने से बीसीसीएल को 50 लाख टन कोयला उत्पादन होने का अनुमान है। जबकि एक लाख 50 हजार क्यूबिक मीटर ओबी भी निकाला जाएगा। 600 करोड़ की परियोजना के चालू होने से कई क्षेत्रों में विस्थापन का खतरा भी उत्पन्न होगा। साइडिग के अलावा कुजामा व आसपास की बस्ती भी प्रभावित होगी। हालांकि, विस्थापन की व्यवस्था प्रबंधन की ओर से कराने की योजना बनाई जा रही है। लोदना क्षेत्र के इस आउटसोर्सिंग परियोजना के चलने से स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा। यहां कैंप का निर्माण होने से बस्ती के लोगों को फायदा होगा। पानी व अन्य सुविधाएं दी जाएगी। नियम के अनुसार रोजगार भी दिया जाएगा।
कुंभनाथ सिंह, निदेशक देवप्रभा कंपनी। बीसीसीएल व देशहित में आउटसोर्सिंग परियोजना का चलना जरूरी है। मिल बैठकर समस्या का समाधान करना होगा। नियम के तहत लोगों का विस्थापन होगा।
केके सिंह, परियोजना पदाधिकारी कुजामा। विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस काम कर रही है। किसी को भी कानून तोड़ने का अधिकार नहीं है।
अभिजीत कुमार, तिसरा थाना प्रभारी।