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NE Frontier Rail Project: सिक्किम को रेल नेटवर्क पर लाने के लिए सिवोक-रांगपो प्रोजेक्ट को सिंफर का सहयोग, चीन को मिलेगा जवाब और सफर भी होगा लाजवाब

Sivoke-Rangpo Rail Project 2017 में डोकलाम विवाद के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने चीन की चुनाैतियों से निपटने के लिए सामरिक दुष्टि से महत्वपूर्ण इस परियोजना पर ध्यान केंद्रित किया। मार्च 2023 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 07:58 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 09:10 PM (IST)
NE Frontier Rail Project: सिक्किम को रेल नेटवर्क पर लाने के लिए सिवोक-रांगपो प्रोजेक्ट को सिंफर का सहयोग, चीन को मिलेगा जवाब और सफर भी होगा लाजवाब
सिवोक-रांगपो रेल प्रोजेक्ट के निर्माणाधीन टनल ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। Sivoke-Rangpo Rail Project भारतीय रेल ने भी चीन को तगड़ा जवाब देने की योजना बना ली है। पड़ोसी की हरकतों को देखते हुए सिक्किम को रेल नेटवर्क पर लाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता में सिवोक-रांगपो रेल प्रोजेक्ट है। पश्चिम बंगाल के सिवोक से सिक्किम के रांगपो तक 45 किमी लंबी रेल लाइन बिछाई जा रही है। पहाड़ों को चीर 14 सुरंगें बनेंगी। रेल लाइन का 70 फीसद हिस्सा सुरंगों से ही निकलेगा। यह रेलवे ट्रैक चीन सीमा के पास तक बिछाया जाएगा। जो सामरिक दृष्टिकोण से अहम है।

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सिंफर को मिला 10.26 करोड़ का फंड

पूर्वोत्तर के राज्यों में सिक्किम एक ऐसा राज्य है जहां अभी तक रेल नेटवर्क नहीं है। भारत-चीन सीमा के नाथुला दर्रा तक पहुंचने का एकमात्र साधन सड़क है। रेल लाइन बनने के बाद भारतीय सेना ट्रेन से पहुंच सकेगी। खूबसूरत पहाड़ों के बीच से सिक्किम का सफर पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करेगा। 2023 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है। धनबाद के केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के विज्ञानी आधुनिक नियंत्रित विस्फोट तकनीक का इस्तेमाल कर सुरंग बनवाएंगे, ताकि पहाड़ों में कंपन न हो। पारिस्थिक तंत्र पर भी प्रभाव न पड़े। सिंफर को इसके लिए 10 करोड़ 26 लाख का फंड भी मिला है।

चीन की सीमा से लगा सिक्किम, सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

सिक्किम अब तक रेल नेटवर्क से नहीं जुड़ा है। यह प्रदेश चीन से लगा है। इसलिए यहां तक ट्रेन सेवा की जरूरत हमेशा महसूस की जा रही थी। रेल नेटवर्क से सिक्किम को जोडऩे की जिम्मेदारी मेसर्स इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड को मिली है। कंपनी ने जम्मू-कश्मीर को भी रेल नटवर्क से जोडऩे का काम किया था। दुर्गम इलाके में रेलवे ट्रैक बिछाने के दौरान पहाड़ों से चट्टान खिसकने का खतरा होता है। इसलिए इरकॉन ने सिंफर विज्ञानियों से मदद मांगी। यहां के विशेषज्ञ पहाड़ों में नियंत्रित विस्फोट कराकर सुरंगों के लिए जमीन तैयार करेंगे। इस दौरान कंपन पर नजर रखेंगे। ताकि उनकी तीव्रता मानक से ज्यादा न हो। पहाड़ों में ऐसा कंपन न हो जो खतरनाक हो जाए। पारिस्थितिकी तंत्र भी सुरक्षित रहे। सुरंगों को एक-दूसरे से जोडऩे के लिए दो दर्जन पुल भी बनेंगे।

बेहद रोमांचक होगा सिक्किम का रेल से सफर

न्यू जलपाईगुड़ी से दाॢजलिंग तक ट्रेन से सफर बेहद रोमांचक है। दाॢजलिंग जानेवाले सैलानी इसे कभी नहीं भूलते हैं। सिवोक से रांगपो तक का सफर इससे भी ज्यादा रोमांचक होगा, क्योंकि 45 किमी के सफर में 14 सुरंगे भी होंगी। कंचनजंगा की चोटी को सैलानी और नजदीक से देख सकेंगे।

डोकलाम विवाद के बाद सरकार की प्राथमिकता में यह रेल प्रोडेक्ट

सिक्किम को रेल नेटवर्क पर लाने के लिए प्रोजेक्ट का शिलान्यास 2009 में हुआ था। लेकिन इसके बाद प्रोजेक्ट पर्यावरण के मुद्दों में भटक गई। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार परियोजना को भूल गई। 2017 में डोकलाम विवाद के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने चीन की चुनाैतियों से निपटने के लिए सामरिक दुष्टि से महत्वपूर्ण इस परियोजना पर ध्यान केंद्रित किया। मार्च, 2023 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है।

सिंफर के विज्ञानियों को महत्वपूर्ण परियोजना पर काम करने का अवसर मिला है। 45 किमी लंबी रेल लाइन पर्यटन के साथ सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हमारे विज्ञानियों ने काम शुरू कर दिया है। इसे समय पर पूरा करेंगे।

-डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक, केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान


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