भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर मनेगा Tribal Pride Day; झारखंड के भाजपाई गदगद, पीएम मोदी को बधाई
Tribal Pride Day केंद्र सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जंयती को जनजातीय गाैरव दिवस मनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही झारखंड के भाजपाई गदगद हो गए।
जागरण संवाददाता, धनबाद। Tribal Pride Day झारखंड में बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा प्राप्त है। इसे न सिर्फ जनजातीय लोग बल्कि झारखंड के दूसरे समाज के लोग भी नायक के ताैर पर देखते हैं। राज्य के बाहर भी जनजातीय समाज में बिरसा मुंडा के प्रति असीम श्रद्धा है। यही कारण है कि वर्ष 2000 में बिहार को विभाजित कर अलग झारखंड राज्य बना तो राज्य स्थापना दिवस के लिए केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वापजेयी सरकार ने 15 नवंबर का दिन तय किया गया। यह वही दिन है जिस दिन भगवान बिरसा का जन्म हुआ था।
जनजातीय गौरव दिवस पर जनजाति समाज के वीर नायकों के योगदान को याद किया जायेगा।
देशवासियों को उनके जीवन दर्शन के बारे में भी बताया जायेगा, जिससे देश की बड़ी आबादी अभी परिचित नहीं है।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी को इस निर्णय के लिए पुनः साधुवाद।@PMOIndia @BJP4India pic.twitter.com/j2QoLJQvXU— Raghubar Das (@dasraghubar) November 10, 2021
भाजपाई प्रधानमंत्री मोदी को दे रहे बधाई
भगवान बिरसा मुंडा (पूर्ति) का जन्म 15 नवंबर, 1875 को झारखंड के रांची के नजदीक खूंटी जिले के उलीहातु गांव में मुंडा जनजाति के गरीब परिवार में पिता-सुगना पुर्ती(मुंडा) और माता-करमी पुर्ती(मुंडाईन) के घर में हुआ था। अब जब झारखंड में राज्य स्थापना दिवस मनाने की तैयारी चल रही है तो ऐसे समय में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जनजातीय समाज को गाैरवान्वित करने का वाला निर्णय लिया है। मुंडा की जंयती को जनजातीय गाैरव दिवस मनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही झारखंड के भाजपाई गदगद हो गए। वे ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दे रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार, राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने ट्वीट कर कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री को बधाई दी है।
केंद्रीय #कैबिनेट ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया।
जनजातीय समुदाय की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का श्रद्धापूर्वक स्मरण करने के लिए 15 से 22 नवंबर 2021 तक सप्ताह भर चलने वाले समारोहों की योजना बनाई गई।
आभार PM @narendramodi जी। pic.twitter.com/SsvUe8fgDh— Mahesh Poddar (@maheshpoddarmp) November 10, 2021
केंद्र के फैसले की जानकारी अनुराग ठाकुर ने दी
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के निर्णय की जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि भारतीय इतिहास और संस्कृति में जनजातियों के विशेष स्थान और योगदान को सम्मानित करने व पीढ़ियों को इस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में घोषित करने को मंजूरी दी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अक्टूबर को मन की बात में भगवान बिरसा मुंडा पर बात की थी। उन्होंने कहा था-भगवान बिरसा मुंडा ने जिस तरह अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिय संघर्ष किया, वह कोई धरती आबा ही कर सकते थे। उन्होंने हमें अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना सिखाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा का स्मरण कराते हुये कहा कि इस समय हम अमृत-महोत्सव में देश के वीर बेटे-बेटियों और महान पुण्य आत्माओं को याद कर रहे हैं। अगले महीने 15 नवम्बर को हमारे देश के ऐसे ही महापुरुष वीर योद्धा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती है। भगवान बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है- धरती पिता।
आज मा० प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि भगवान #बिरसा_मुंडा जी की जयंती पर 15 नवंबर को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाया जाएगा
इस ऐतिहासिक फैसले के लिए #झारखंड की ओर से उन्हें आभार@blsanthosh @idharampalsingh pic.twitter.com/5dqyognFGS— Anant Ojha BJP (@Anant_Ojha_BJP) November 10, 2021
9 जून, 1900 को हुए थे शहीद
भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। बिरसा मुंडा ने साहस की स्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य की शब्दावली रची। उन्होंने हिन्दू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज मिशनरियों से भ्रमित है। बिरसा मुंडा सही मायने में पराक्रम और सामाजिक जागरण के धरातल पर तत्कालीन युग के एकलव्य और स्वामी विवेकानंद थे। बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तों में की जाती है। ब्रिटिश हुकूमत ने इसे खतरे का संकेत समझकर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया। वहां अंग्रेजों ने उन्हें धीमा जहर दिया था। जिस कारण वे 9 जून 1900 को शहीद हो गए।